नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से हाथ मिला लिया है. आज नेपाल की सरकार इस कदर चीन के चंगुल फंस गई है की उसे अपने ही देश की भूमि पर चीनी कब्ज़ा दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में नेपाल की सरकार के ऊपर इस बात का दबाव बढ़ रहा है कि वो चीन के साथ सीमा के मुद्दों को लेकर कड़ा रुख़ अख़्तियार करे. नेपाल की मीडिया में ऐसे कई रिपोर्ट सामने आई है जिसमे ये बताया गया है कि कई नेपाली गांव को चीन ने अपने कब्जे में ले लिया है.
नेपाल के कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुल 10 जगहों पर चीन ने कब्जा कर लिया है. यही नहीं पेइचिंग ने 33 हेक्टेयर की नेपाली जमीन पर नदियों की धारा बदलकर प्राकृतिक सीमा बना दी है और कब्जा कर लिया है. भारत के बातचीत के ऑफर के बाद भी विवादित नक्शा जारी करने वाली नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने आका चीन के इस नापाक कदम पर चुप्पी साध रखी है. वहीं नेपाली विपक्ष को अब ड्रैगन का डर सताने लगा है.
चीनी सरकार तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र TAR में सड़क नेटवर्क के लिए निर्माण कर रहा है जिससे नदियों और सहायक नदियों का रास्ता बदल गया है और वे नेपाल की तरफ बहने लगी हैं. ऐसे में अगर समय नेपाल चीन के खिलाफ कदम नहीं उठाया तो नेपाल का एक बड़ा हिस्सा चीन के पास चला जाएगा.
बीड़ी संभावना ये है कि चीन इन इलाकों में
अपने बॉर्डर ऑब्जर्वेशन पोस्ट BOP बना रहा है. जहां
उसकी सशस्त्र पुलिस तैनात रहेगी. वर्ष 1960 में सर्वे के
बाद खंभे लगाकर चीन की सीमा तय कर दी गई थी लेकिन नेपाल ने सीमा को सुरक्षित करने
के लिए कुछ भी नहीं किया. तो ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है की क्या नेपाल की
कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार नेपाल को चीन में बिलय का कोई बड़ा साजिश तो नही रच रही
है ?
नेपाल और चीन के बीच 100 और भारत की सीमा पर 8,553 खंभे लगे हैं. रुई गांव वर्ष 2017 से तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा हो गया है. इस गांव में अभी 72 घर हैं. रुई गांव अभी भी नेपाल के मानचित्र में शामिल है, लेकिन वहां पर पूरी तरह से चीन का नियंत्रण हो गया है. रुई गांव के सीमा स्तंभों को नेपाल ने हटा दिया है.
नेपाल के वर्तमान सरकार ने चीन के सामने घुटने टेक दिए हैं. नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अब भारत विरोधी बयानों और भारत विरोधी गतिविधियों का सहारा ले रहे हैं.. ताकि चीन की नेपाल सीमा में घुसपैठ को छुपा सके.
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