पाकिस्तान में खुलेआम घूमने वाला आतंकवादी सरगना हाफिज सईद अब भारतीय मुसलमानों का 'दिल जीतने' के लिए भारत में मस्जिद और मदरसे बनवा रहा है। उसके पैसे से बनने वाली एक मस्जिद की जांच इन दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी एन.आई.ए. कर रही है। मरकजी मस्जिद के नाम से बनने वाली यह मस्जिद हरियाणा के पलवल जिले के गांव उटावड़ में बन रही है। हालांकि जांच के कारण इन दिनों मस्जिद का निर्माण कार्य बंद है। कहा जा रहा है कि यह इस इलाके की सबसे बड़ी मस्जिद है। मस्जिद के नाम पर मुस्लिमों के दबदबे वाली ग्राम पंचायत ने 20 बीघा जमीन दी है। बता दें कि यह गांव मेवात का हिस्सा है, जो हरियाणा में एकमात्र मुस्लिम-बहुल क्षेत्र है।
सूत्रों के अनुसार जुलाई महीने
में एन.आई.ए. को पता चला कि दिल्ली के कुछ लोग दुबई स्थित फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन
(एफ.आई.एफ.) के लिए काम करते हैं। यह हाफिज सईद द्वारा गठित जमात-उद-दावा का
सहयोगी संगठन है। जानकारों का कहना है कि कहने के लिए तो यह 'इंसानियत' के
लिए काम करता है, पर
इसका असली काम है आतंकवादियों को पैसे उपलब्ध कराना। यह कश्मीरी आतंकवादियों को भी
हवाला के जरिए पैसा देता है। इसमें भारत के कुछ कट्टरवादी तत्व भी सहयोग करते हैं।
इसकी भनक लगते ही एन.आई.ए. ने ऐसे तत्वों की निगरानी शुरू की। पुख्ता जानकारी के
बाद 25 सितंबर
को दिल्ली के निजामुद्दीन से मोहम्मद सलमान और उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया
गया। उसके दो साथी हैं मोहम्मद सलीम उर्फ मामा और सज्जाद अहमद वानी। इनके पास से 1.56 करोड़ रु. और 43,000 की नेपाली मुद्रा भी मिली थी।
सूत्रों के अनुसार मोहम्मद सलीम हवाला कारोबारी है और दिल्ली का रहने वाला है। वह दिल्ली और दुबई के बीच प्रमुख कड़ी था और हवाला के जरिए पैसा मंगाता था। उस पैसे को ठिकाने लगाने का काम सलमान करता था। सलमान मूलत: उटावड़ का रहने वाला है, लेकिन बरसों से दिल्ली में रहता है। दिल्ली में रहते हुए वह अपने गांव में मस्जिद बनवा रहा था। निर्माण कार्य देखने के लिए वह हर जुम्मे को उटावड़ जाता था। पता चला है कि इस मस्जिद का नक्शा सलमान ने दुबई में बनवाया था। सूत्रों के अनुसार वह अब तक हवाला के जरिए मिले 70,00000 रु. को ठिकाने लगा चुका है। कहा जा रहा है कि इसमें से कुछ पैसे आतंकवादियों को दिए गए और बाकी मस्जिद के निर्माण में खर्च हुए। वहीं सलमान के भाई यूसुफ का कहना है कि मस्जिद के निर्माण के लिए देश-विदेश से पैसा लाया तो गया है, लेकिन इसका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है। सज्जाद अहमद वानी कश्मीर का रहने वाला है और वह कई साल से आतंकवादियों को पैसे पहुंचाने का काम कर रहा था। सूत्रों का कहना है कि इन तीनों ने हवाला के जरिए आतंकवादियों तक पैसा पहुंचाने की बात कबूली है।
सूत्रों के अनुसार एफ.आई.एफ. का उपाध्यक्ष कामरान नाम का एक पाकिस्तानी है। वह दुबई में रहता है और वहीं से अनेक देशों में आतंकवादियों के लिए पैसे का इंतजाम करता है। सूत्रों ने यह भी बताया कि कामरान के साथ सलमान और उसके गुर्गों के गहरे रिश्ते हैं। सलमान कई बार दुबई जा चुका है। सूत्रों ने यह भी बताया कि सलमान अपने कुकर्मों को छिपाने के लिए मेवात और अन्य मुस्लिम-बहुल इलाकों में मस्जिद और मदरसों का निर्माण करवाता है और गरीब मुसलमानों के लिए सार्वजनिक निकाह का आयोजन करता है, और अनेक तरह से मदद भी करता है। इस कारण आम मुसलमानों के बीच उसकी 'समाजसेवक' वाली छवि है। सलमान तब्लीगी जमात से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि उसके अब्बा के भी तब्लीगी जमात से संबंध हैं। तब्लीगी जमात मुसलमान युवाओं को कट्टरवादी बनाने में अहम भूमिका निभाती है।
उटावड़ की इस मस्जिद में आतंकवादियों के पैसे लगने की खबर के बाद मेवात के अनेक लोग वहां बन रहीं दूसरी मस्जिदों और मदरसों की भी जांच की मांग कर रहे हैं। मीडिया रपटों के अनुसार मेवात के लोगों की इस मांग का ही असर है कि पिछले चार वर्ष में मेवात में जितनी भी मस्जिदें या मदरसे बने हैं, या अभी जो बन रहे हैं, उन सबकी जांच करने का निर्णय लिया गया है। उन लोगों की भी जांच करने का फैसला लिया गया है, जो किसी न किसी मस्जिद या मदरसे से जुड़े हैं और जो हर महीने या दो महीने पर विदेश जाते हैं। उटावड़ और उसके आसपास के इलाकों में पिछले दो वर्ष में कितने पासपोर्ट बने हैं, इसकी भी जांच शुरू कर दी गई है। एक जानकारी के अुनसार बहीन थाने के अंतर्गत 2017 में 774 और 2018 में अब तक 510 पासपोर्ट बनाए गए हैं। जांच एजेंसियां यह जानना चाहती हैं कि इनमें से कितने लोग विदेश गए और कब गए, कहां गए, क्यों गए? सूत्रों के अनुसार जांच के दौरान यदि पता चलेगा कि सलमान और उसके गुर्गों ने हवाला के पैसे से और कहीं कुछ बनाया है तो एन.आई.ए. उन सबकी जांच करेगी।
उल्लेखनीय है कि पूरे मेवात में
मस्जिदों और मदरसों की बाढ़ आई हुई है। हर गांव में एक से ज्यादा मस्जिदें और
मदरसे हैं। 'भारत
बचाओ संगठन' के
संयोजक विक्रम सिंह यादव कहते हैं,
''एक ओर तो कहा जाता है कि मेवात के मुसलमान बहुत ही
गरीब हैं, वहीं
दूसरी ओर वे वहां मस्जिद और मदरसे आएदिन बन रहे हैं। जो लोग मदरसे या मस्जिद बनवा
रहे हैं, वे
गरीबों की मदद क्यों नहीं कर रहे हैं?''
इसका जवाब भी वही देते हैं। कहते हैं,''मेवात बहावी विचारधारा का केंद्र बन चुका है और यह
विचारधारा किसी गैर-मुसलमान को बर्दाश्त नहीं करती। इसलिए वहां जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे का मकसद है मेवात से हिंदुओं को भगाना।'' मेवात में ऐसे विचार रखने वालों की कोई कमी नहीं है।
पिन्गवां निवासी जसवंत गोयल कहते हैं,
''उटावड़ में बन रही मस्जिद भारत की राजधानी दिल्ली की
नाक के नीचे आतंकवादी अड्डा साबित हो सकती है, क्योंकि
इससे पहले मेवात क्षेत्र में जितने भी आतंकवादी पकड़े गए हैं, वे किसी मस्जिद या मदरसे से ही पकड़े गए हैं।'' उन्होंने यह भी कहा,
''मेवात में आतंकवादियों को बचाने वाली मानसिकता भी
दिखती है। यदि यहां पल रहे आतंकवादी कुछ करते हैं तो इससे मेवात के लोगों, चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान, को भी नुकसान होगा,
उनकी छवि खराब होगी। इसलिए मैं तो मेवात के लोगों से
आग्रह करता हूं कि वे किसी भी दहशतगर्द को बचाने के लिए सामने न आएं।''
एक अन्य समाजसेवी कहते हैं, ''मेवात में मानसिक आतंकवाद पहले से है। अब आतंकवादी भी यहां जड़ें जमा रहे हैं। मस्जिदों और मदरसों में इन्हंे शरण दी जाती है। इसलिए यहां बन रहे या बन चुके मदरसों और मस्जिदों की जांच होनी चाहिए कि इनके लिए पैसा किसने दिया?'' इस संबंध में समाजसेवी बिजेंदर शास्त्री की टिप्पणी गौर करने लायक है। वे कहते हैं, ''गलत पैसे से बनने वाली मस्जिद इबादत के लिए तो सही जगह नहीं है। जरूर इसका मकसद कुछ और ही होगा जिसे मजहब का आवरण देकर दुनिया की नजरों से बचाने की कोशिश की जा रही है।'' खैर, देर से ही सही मेवात में जांच एजेंसियों ने अपना काम शुरू कर दिया है। उम्मीद है, मेवात में सक्रिय देश-विरोधी तत्व बेनकाब होंगे और वहां सभी समुदाय के लोग सौहार्द के साथ रह पाएंगे।
पूरे मेवात में बड़ी संख्या
में मस्जिदों और मदरसों का निर्माण हो रहा है। मुख्य सड़क के किनारे हर मोड़ पर
मस्जिदें बन रही हैं और 8-10 गाँवों के बीच एक बड़ा
मदरसा बन रहा है। कोई भी अपराध करके अपराधी सड़क के किनारे की मस्जिद में छिप जाते
हैं। जो अपराधी मस्जिद में छिप जाता है वह पुलिस की पकड़ से बाहर हो जाता है, क्योंकि पुलिस मस्जिद के अंदर तलाशी लेने से बचती है। एकाध बार पुलिस
ने ऐसा किया तो पुलिस पर मजहबी ग्रंथों के अपमान का आरोप लगाकर खूब हंगामा मचाया
गया।
मेवात के कई हिस्सों में बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों और म्यांमार
से भगाए गए रोहिंग्यायी मुस्लिमों को बसाया जा रहा है। इन्हें बसाने के लिए ग्राम
पंचायतों की जमीन उपलब्ध कराई जा रही है। केनाल रेस्ट हाउस (यह एक स्थान का नाम
है), पुन्हाना में तम्बू लगाकर इन मुस्लिमों को रखा
जाता है। इसके बाद अन्य पंचायतों में उन्हें बसाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है
कि इन मुस्लिमों की मदद जमीयत उलेमा हिन्द के अलावा मेवात के अनेक मजहबी संगठन, पंचायत प्रतिनिधि और विभिन्न राजनीतिक दलों के मुस्लिम नेता कर रहे
हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब 200 विदेशी मुस्लिम परिवारों को
नूंह के रेवसन और फिरोजपुर झिरका के पास बसाया गया है। सूत्रों के अनुसार इन
दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम बुखारी के द्वारा जारी धर्मान्तरण पत्र मुस्लिमों की
मदद के लिए स्थानीय मुस्लिमों से पैसा वसूला जा रहा है। यह भी पता चला है कि इन
मुस्लिमों के नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने की कोशिश की जा रही है।
तब्लीगी जमात :: मेवात के मुस्लिमों में कट्टरवाद घोलने का काम तब्लीगी जमातें कर रही
हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि जमात के लोग गांव-गांव घूमते हैं और मुस्लिम
युवाओं को जिहाद और लव जिहाद के लिए उकसाते हैं। साथ ही हिन्दुओं को मुस्लिम बनाने
का काम करते हैं। पिन्गवां के एक युवक ललित ने बताया कि करीब एक साल पहले मौलानाओं
के भाषण से प्रभावित होकर वह मुस्लिम बन गया था और इस्लाम का प्रचार करने लगा था।
किन्तु जल्दी ही उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और आर्य समाज के कार्यकर्ताओं के
सहयोग से पुन: हिन्दु हो गया। इस तरह की घटनाएं
मेवात में प्राय: रोज ही घटती हैं। मेवात के अधिकतर मुस्लिम युवा ट्रक चालक हैं।
इस बहाने उन्हें पूरे भारत में जाने का मौका मिलता है। आए दिन ये युवा कहीं न कहीं
से हिन्दु युवतियों को साथ ले आते
हैं। कुछ दिन मौज-मस्ती करते हैं फिर उन्हें आपस में ही बेच देते हैं। आर्य वेद
प्रचार मंडल मेवात के संरक्षक श्री पदमचंद आर्य ने बताया कि ऐसी अनेक युवतियों को
हमारे कार्यकर्त्ताओं ने जान हथेली पर रखकर मुस्लिमों से छुड़ाया है।
इस्लामी शैली में सरकारी
भवन :: मेवात में जो भी सरकारी भवन
बन रहे हैं, उनमें इस्लामी शैली की छाप
स्पष्ट रूप से दिखती है। उदाहरण के लिए आप नूंह में बन रहे नए सचिवालय और नूंह के
पास ही नल्लड़ गांव में बन रहे चिकित्सा महाविद्यालय को ले सकते हैं। ये दोनों भवन
इस्लामी शैली में बन रहे हैं। इनमें मस्जिद की तरह मीनारें और गुम्बद हैं। क्या
हिन्दु बहुल क्षेत्र में कोई
सरकारी भवन मंदिर की शैली में बन सकता है? यदि नहीं तो मेवात में ऐसा
क्यों हो रहा है? मांडीखेड़ा का अल-आफिया
जनरल अस्पताल, जिसका निर्माण ओमान के
सुल्तान ने अपनी बेटी के नाम पर किया है, भी पूरी तरह इस्लामी शैली
में है। सवाल उठता है कि इस्लामी शैली में एक अस्पताल के भवन का निर्माण क्यों
किया गया? इसकी अनुमति किसने दी?
मेवात में आएदिन
पुलिसकर्मियों की पिटाई होती है। पिछले 10 महीने में ऐसी 40 घटनाएं हो चुकी हैं। जब भी पुलिस किसी अपराधी, तस्कर, बलात्कारी या हत्यारे की
धर-पकड़ के लिए जाती है तो स्थानीय लोग पुलिसकर्मियों को घेर कर पीटते हैं। दिल्ली
में भी मेवात के युवा डकैती, हत्या, छीना-झपटी, बलात्कार आदि घटनाओं में
शामिल पाए जाते हैं। दिल्ली में उन्हें ‘मेवाती गिरोह’ के नाम से जाना जाता है। जब भी दिल्ली पुलिस मेवाती गिरोह के किसी
अपराधी को पकड़ने के लिए मेवात जाती है तो उसकी भी पिटाई होती है।
मेवात में हिन्दुओं का हौसला बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक, भाजपा एवं आर्य समाज के कार्यकर्ता और कुछ अन्य संगठनों के लोग प्रयासरत हैं। प्रो. जयदेव आर्य कहते हैं, ‘जब भी हिन्दुओं के साथ कोई घटना होती है इन संगठनों के कार्यकर्ता ही उनकी ओर से आवाज उठाते हैं। इसके बाद ही प्रशासन हिन्दुओं की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाता है।’ भारतीय शुद्धि सभा एवं गोरक्षा समिति के बैनर तले मेवात में काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सुन्दर मुनि कहते हैं, ‘मेवात में स्थिति तब ठीक हो सकती है जब मेव मुस्लिमों को उनकी प्राचीन संस्कृति से अवगत कराया जाए। उन्हें यह बताने की जरूरत है कि मेवात के हिन्दुओं और मुस्लिमों का खून एक ही है, फिर अपने हिन्दु भाइयों को प्रताड़ित क्यों कर रहे हो?’
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