देश के किसी भी कोने में कहीं भी कोई हिन्दू मुसलमान का साम्प्रदायिक दंगा झगड़ा होता है तो उसकी सीधी प्रतिक्रिया मेवात में होती है. 6 दिसम्बर 1992 को जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया तो मेवात में सबसे पहले उसकी प्रतिक्रिया हुई. मेवात के कस्बा, पुन्हाना पिनगंवा, नगीना व नूंह में लगभग 23 मंदिरों की प्रतिमाओं को खण्डित व अपवित्रा कर दिया गया. पुन्हाना आर्य समाज मन्दिर के यज्ञ कुण्ड में सामूहिक मल मूत्रा किया गया. भादस के आर्य समाज आश्रम के पूरे भवन को तहस नहस कर दिया गया।
नूह के गउशाला से 69 गायों को मुसलमानों ने जबरन खोल लिया. जिन्दा
गाय के गले में मिट्टी के तेल से भिगों कर टायर डालकर जला दी गई. मंदिरों में रखे
हुए सभी समान को मुसलमानों ने लूट लिया. पुन्हाना के मालीबास में किसानों की
कडंवी में आग लगा दी गई. तेल मिल व बाजार की दुकानों को लूट लिया गया. स्थानीय मुस्लिम
नेताओं ने हिन्दुओं के घरों में दूध देने वालों पर 550 रूपये दंड का ऐलान कर दिया. पिनगंवा व
नूंह कस्बे का बहिष्कार कर दिया ताकि इस इलाके का कोई मेव इन दोनों कस्बों के किसी
हिन्दू दुकान से कोई सौदा नहीं खरीदे. इस घटना के बाद दुकानदारी से पेट पालने वाले
यहाँ के हिन्दू पलायन कर गये.
आज यहाँ पर जो भी हिन्दू बचे हुए हैं उनके दुकानों में चोरी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है. बाहर का व्यापारी अपने उधार के पैसे लेने और अगला नया माल का आर्डर लेने आते हैं तो उनको लूट लिया जाता है. ऐसे में अब उन व्यापारियों ने यहां उधार देना बन्द कर दिया. इसके कारण मेवात का हिन्दू अपना घर बार छोड़ कर दुसरे शहरों में चले गये है.
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