सरकारी सिस्टम की लेटलतीफी का इससे
बड़ा उदाहरण क्या होगा कि एक महिला को पति की मौत के 69 साल बाद पेंशन मिली है.
मात्र 12 साल में ब्याही परूली देवी के पति की मौत भारतीय सेना में ड्यूटी के
दौरान 1952 में हो गई थी. लेकिन पेंशन 2021 में स्वीकृत हुई है. परूली देवी की
शादी 10 मार्च 1951 को देवलथल तहसील के लोहाकोट निवासी सैनिक गगन सिंह के साथ हुई
थी. दुर्भाग्य से 14 मई को गगन सिंह की गोली लगने से ड्यूटी के दौरान ही मौत हो गई
थी. पति के मौत के बाद कुछ समय परूली देवी ने ससुराल में ही गुजारा. लेकिन फिर वे
मुख्यालय के करीब लिंठ्यूडा स्थित अपने मायके आ गईं.
पूरी जिंदगी परूली देवी ने अपने मायके
में ही गुजार डाली. मायके पक्ष के लोगों ने परूली देवी का पालन-पोषण किया. इस
दौरान न तो परूली देवी को पेंशन की कोई जानकारी मिली और नही भारतीय सेना ने उनकी
कोई सुध ली. आखिरकार लम्बे समय बाद लोगों की पेंशन मामलों में मदद करने के लिए
चर्चित रिटायर्ड उपकोषाधिकारी डीएस भंडारी ने परूली देवी की पेंशन के लिए कोशिशें
की तो उनकी मेहनत रंग लाई.
'प्रधान नियंत्रक रक्षा लेखा पेंशन
प्रयागराज' से परूली देवी की पारिवारिक पेंशन
स्वीकृत हुई है. रिटायर्ड उपकोषाधिकारी डीएस भंडारी का कहना है कि परूली देवी 1977 से 44 साल की पेंशन का एरियर 20 लाख
के करीब मिलेगा. परूली देवी कहतीं हैं कि उन्हें मायके में कभी कोई कमी नहीं हुई.
ऐसे में इस धनराशि के असल हकदार उनके मायके के लोग ही हैं. मायके वालों ने उनका
जिंदगी भर पालन-पोषण किया है. परूली देवी के भाई के बेटे प्रवीण लुंठी इस बात से
ही खुश है कि उनकी बुआ की पेंशन 69 साल
बाद मिल रही है. लेकिन वे इस बात से भी थोड़ा आहत हैं कि सेना ने इतने लंबे समय तक
भी पेंशन की हकदार होने के बाद भी उन्हें पेंशन देने की पहल नहीं की.
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