भारतीय संस्कृति में तिलक लगाने की परंपरा अति प्राचीन है. युगों-युगों से अपने देश में ये परम्परा लोग आज भी निभा रहे हैं. किसी के माथे पर तिलक लगा देखकर मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है तो आज हम आपको बताते है इसका वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण छिपा हुआ है. तो आइए जानते हैं आखिर क्या है वो कारण ? मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक लगाना उपयोगी माना गया है.
माथा चेहरे का केंद्रीय भाग होता है इसलिए मध्य में तिलक
लगाया जाता है. तिलक लगाने से मन को शांति मिलती है. माथे पर तिलक लगाने के पीछे
मनोवैज्ञानिक कराण यह है कि, इससे
व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है. माथे के बीच पर जब भी आप तिलक लगाते हैं उससे लोग शांति व सुकून
अनुभव करते हैं. यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से भी हमें बचाता है. साथ ही तिलक
लगाने से मानसिक उत्तेजना पर भी आप काफी हद तक नियंत्रण कर पाते हैं.
अगर आप हर दिन चंदन का तिलक अपने माथे
पर लगाते हैं तो दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से
होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में
उत्साह जगता है. यह उत्साह मनुष्य को अच्छे कामों में लगाता है. साथ ही इससे तनाव
कम होता है और सिरदर्द की समस्या में कमी आती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है. लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रह शांत रहते हैं. अगर आप हल्दी से तिलक करते हैं तो आपकी त्वचा शुद्ध होगी क्योंकि हल्दी में एंटी बैक्ट्रियल तत्व होते हैं जो रोगों से मुक्त करता है.
चंदन का तिलक लगाने वाले घर में अन्न-धन पर्याप्त मात्रा में रहते हैं और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है. साथ ही इससे शांति भी मिलती है.
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