27 April 2021

मनोचिकित्सकों के नज़र में कोरोना वायरस

पूरी दुनिया में एक ओर जहां लोग कोरोना के चलते लोग बीमार पड़ रहे हैं वही दूसरी ओर अब इसके अलग प्रभाव भी देखने को मिलरहा है. ज्‍यादा समय से घर में बैठे लोगों में अकेलेपन, खालीपन और संक्रमण के डर के कारण डिप्रेशन और घबराहट की स्थिति पैदा हो रही है. एक शोध के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से ज्‍यादा लोग ऐसे हैं, जो कोरोना वायरस के डर के कारण ठीक से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, दुनियाभर में डिप्रेशन के मरीजों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है.

अमेरिका में फेडरल एजेंसियां और विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्‍याएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं. उनके मुताबिक, ये भयंकर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य संकट की शुरुआत है. न्‍यूज रिपोर्ट के मुताबिक, केजर फैमली फाउंडेशन के सर्वे में अमेरिका के करीब 50 फीसदी लोगों का कहना है कि कोरोना वायरस उनके दिमागी संतुलन को खराब कर कर रहा है.

जब लोगों को अपने करीबी, पहचान वाले, साथ काम करने वाले या घर के आसपास किसी के संक्रमित होने की जापनकारी मिलती है तो घबराहट बहुत ज्‍यासदा होने लगतीर है. सर्वे में 45 फीसदी व्‍यस्‍कों ने कहा कि वैश्विक महामारी उनके दिमाग पर नाकारात्‍मक असर डाल रही है. वहीं, 19 फीसदी का कहना था कि इससे उनके दिमाग पर बहुत बुरा असर हो रहा है. होम क्‍वारंटीन या क्‍वारंटीन सेंटर्स में रखे गए लोगों की हालत ज्यादा खराब है.

कोरोना संकट के दौर में लोगों को नींद नहीं आ रही है. लोग उदास और डरा हुआ महसूस कर रहे हैं. वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट, कई यूनिवर्सिटी के शोध और मेडिकल जर्नल में पहले ही ये सामने आ चुका है कि इस दौरान लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं. भारत में भी जैसे-जैसे कोरोना मरीजों की संख्‍या और मौत के मामले बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे लोगों में घबराहट भी बढ़ रही है. एशियन जर्नल ऑफ सायकाइट्री में प्रकाशित शोध के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से ज्‍यादा लोग कोरोना वायरस के डर की वजह से सही से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. 

सर्वे के मुताबिक, भारत में 40 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनका दिमाग कोरोना वायरस से संक्रमण के बारे में ख्‍याल आते ही अस्थिर हो जाता है. वे काफी देर तक इसके अलावा कोई दूसरी बात सोच ही नहीं पाते हैं और उनका दिमाग अस्थिर हो जाता है. वहीं, कोरोना संकट के बीच अपने परिवार की सेहत को लेकर बहुत ज्‍यादा चिंतित रहने वालों की तादाद 72 फीसदी है. भारत में 41 फीसदी लोगों ने कहा कि अगर उनकी पहचान या उनके ग्रुप या उनके कार्यस्‍थल का कोई व्‍यक्ति बीमार होता है तो घबराहट कई गुना बढ़ जाती है.

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