शैलेन्द्र सिंह एक ऐसा नाम जिसने माफिया मुख़्तार अंसारी को सलाखे के
पीछे पहुंचा दिया. 17 साल पहले माफिया मुख्तार अंसारी पर ऐक्शन
लेने के बाद डीएसपी शैलेंद्र सिंह चर्चा में आए थे. उन्होंने नौकरी छोड़ दी और
सियासत में उतरे. अब योगी सरकार ने उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे में राहत दी है. मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई को लेकर 17 साल पहले सुर्खियों में आए पुलिस अधिकारी
शैलेंद्र कुमार सिंह का मामला एक फिर चर्चा में है.
योगी सरकार की तरफ से 20 दिसंबर 2017 को शैलेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा हटाने
के संबंध में प्रस्ताव तैयार किया गया था. हालांकि, पहले भेजे गए प्रस्ताव में धारा 353 की
जगह 553 लिख गया था. इसे सात जून 2018 को संशोधित किया गया. वाराणसी सीजेएम
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में लोकहित या किसी व्यक्ति या संपत्ति
को क्षति पहुंचाने की बात नहीं कही गई है, इसलिए
न्याय हित में मामले को वापस लेने की अनुमति दी जाती है. कोर्ट ने छह मार्च, 2021 को मामला वापसी के आवेदन को मंजूरी दे
दी.
लाइट मशीनगन मिलने के मामले में
मुख्तार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई हुई थी. 2004
में मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने के बाद तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार ने उनके
खिलाफ किसी भी मामले में कमी ढूंढकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे. उसी दौरान
वाराणसी में बलवंत राय डिग्री कॉलेज के भ्रष्टाचार के मामले ने जोर पकड़ रखा था.
इस्तीफा देने के बाद वह वाराणसी में समाज सेवा में लगे थे. इसी दौरान बलवंत राय
कॉलेज के छात्रों के मदद मांगने पर वह छात्रों के साथ डीएम के यहां गए. डीएम अपने
ऑफिस में ही नहीं थे. करीब एक घंटे तक इंतजार करने के बाद सभी वहां से लौट आए थे.
इसके बाद डीएम ऑफिस के चपरासी लालजी ने
कैंट कोतवाली में डीएम ऑफिस के विश्राम कक्ष की कुर्सियों, डीएम की कुर्सी पर बैठने, नारा लगाने और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने
का मामला दर्ज करवा दिया. कैंट कोतवाली में शैलेंद्र और अन्य के खिलाफ आईपीसी की
धारा 353, 143, 419 व 7 सीएलए
के तहत मामला दर्ज हुआ था. शैलेन्द्र सिंह के मुताबिक इस मामले में उन्हें जेल
भेजकर प्रताड़ित करने की पूरी तैयारी थी, कोर्ट
में पेशी के दौरान वकीलों के भारी विरोध के बाद उन्हें कोर्ट से ही जमानत दे दी गई.
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