27 April 2021

पालघर में साधुओं के हत्या की बरसी पर विशेष

पालघर हत्या कांड के बीते 1 साल होगए मगर अबतक मारे गए संतों को न्याय नहीं मिला. संतों के देश में आज साधु-संतों के साथ हीं न्याय नहीं होरहा है. पुलिस और सरकार दोनों अब भी इस मुद्दे पर मूकदर्शक बने हुए हैं. अदालतों में तारीख पर तारीख का सिलसिला जारी है. महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को दो साधुओं समेत कुल 3 लोगों की हुई निर्मम हत्या के मामले में जांच कर रही सीआईडी ने दहाणु कोर्ट में दो अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की हैं. सीआईडी ने 126 लोगों के खिलाफ पहली चार्जशीट 4995 पन्नों की जबकि 5921 पन्नों की दूसरी चार्जशीट अदालत में दाखिल की. CID ने अफवाह को घटना की मुख्य वजह माना है. मामले में अब तक 165 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. साधुओं की हत्या के मामले में 808 संदिग्धों से पूछताछ हुई.

इस पूरे घटना को अफवाह में हुई हत्या बता कर लीपापोती होरही है. चार्जशीट में CID ने बेहद हीं गौर जिम्मेदाराना रिपोर्ट दिया है..सीआईडी ने अपनी जांच में कहा है की साधु हत्याकांड के पीछे कोई अफवाह मुख्य वजह थी, जबकि ये हत्या सरेआम ईसाई और जिहादी लिंचिंग कहा था. CID के अनुसार कुछ लोग बच्चों को किडनैप कर उनके शरीर से किडनी जैसे अंग निकलने के लिए साधु, पुलिस या डॉक्टर के भेष में आ सकते हैं. इसी अफवाह के चलते स्थानीय लोगों ने इन संतों को किडनैपर समझकर साधुओं पर जानलेवा हमला किया. महाराष्ट्र राज्य सरकार ने साधुओं की हत्या और मॉब लिंचिंग के लिए सांप्रदायिक कारण को खारिज कर रही जबकि पूरा संत समाज इसे हत्या करार दे रहा है. ऐसे में पालघर के साधुओं के साथ न्याय नहीं होने के कारण देश में में साधु-संतों की हत्या में बेहताशा बढ़ोतरी हुई है. 

पालघर के गड़चिंचले गांव में 16 अप्रैल की रात को हुई वारदात के वीडियो ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. घटना के एक वीडियो में 65 वर्षीय महंत भीड़ से अपनी जान बचाने के लिए पुलिस का हाथ थामे चल रहे थे लेकिन पुलिसकर्मी ने इनका हाथ छुड़वाकर. उन्हें भीड़ को सौंप दिया. इसके बाद इस भीड़ ने जूना अखाड़े के दो साधुओं महंत 35 वर्षीय सुशील गिरी महाराज और 65 वर्षीय महंत महाराज कल्पवृक्ष गिरी और 30 वर्षीय ड्राइवर निलेश तेलगडे की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. संत अपने एक साथी के अंतिम संस्कार के लिए गुजरात के सूरत जाने के लिए किराए की गाड़ी में मुंबई के कांदिवली इलाके से रवाना हुए थे. तब से लेकर अबतक पूरा संत समाज न्याय के आस में बैठा है.

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