12 January 2014

स्वामी विवेकानंद की 151वीं जयंती पर कोटि- कोटि प्रणाम !

सिर्फ 39 वर्ष 5 महीने और 24 दिन का छोटा सा जीवन लेकिन कद इतना बड़ा की विश्व में करोड़ों लोग स्वामी विवेकानंद को न सिर्फ अपना आदर्श मानते हैं बल्कि उनके दिखाए मार्ग पर चलते हैं स्वामी विवेकानंद ऐसे व्यक्ति थे जिन्होनें सदियों से गुलामी में जकड़े भारतवासियों को मुक्ति का रास्ता सुझाया और जन-जन के मन में भारतीय होने के गर्व का बोध कराया ऐसे महान स्वामी विवेकानंद जी को 151वीं जयंती पर कोटि- कोटि नमन।

स्वामी विवेकानंद जी बचपन से ही बड़े ही जिज्ञासु स्वभाव के व्यक्ति थे। परमात्मा को जानने की इच्छा उनमें प्रबल थी। पगड़ी, कोरो तथा गेरुए पोशाक में किसी भी संयासी को देख वो हमेशा बड़े होकर वैसा ही बनने की अकांक्षा व्यक्त करते थे। भारत भारतवर्ष में गुरु-शिष्य की प्राचीन परंपरा रही है। जितने भी महान लोग हुए हैं उनके पीछे कहीं न कहीं उनके गुरुजनों के स्नेह और आर्शीवाद का ही हाथ रहा है। ठीक इसी प्रकार कलकत्ता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर के संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस के के प्रेम व आशीर्वाद से ही स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति एवं हिन्दू धर्म का प्रचार करके संसार का आध्यात्मिक मार्ग दर्शन किया।

स्वामी विवेकानंद जी ऐसे व्यक्ति हुए जिन्होंने पैदल ही पूरे भारत में भ्रमण किया और समाज को अन्याय, शोषण और कुरितियों के खिलाफ उठ खड़े होने का साहस प्रदान किया। पाश्चात्य संस्कृति की ओर खींची चली जा रहीं युवा पीढ़ी को उन्होंने रोकने का प्रयास किया और उनके मन में स्वदेश प्रेम एवं हिन्दूत्व-जीवन दर्शन के प्रति विश्वास पैदा किया।

स्वामी विवेकानंद का मानना था कि अध्यात्म-ज्ञान और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जायेगा। उन्होंने अपने इस विश्वास को पूरा करने के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। अमेरिका में भी उन्होंने इसके कई शाखाएं स्थापित की। स्वामी विवेकानंद के विचारों ने तब न केवल भारतीयों को बल्कि अमेरिकन विद्वानों को भी बहुत प्रभावित किया था और यही कारण था कि अनेक अमेरिकन विद्वानों ने भी उनकी शिष्यता ग्रहण की थी।

आज हमने स्वामी विवेकानंद के माध्यम से जाना कि गुरु का क्या महत्व है, गुरु भक्ति क्या होती है? मानव कल्याण और देश के लिए अपना समस्त जीवन नौछावर कर देना। ऐसे महान व्यक्ति स्वामी विवेकानंद को हमारा सत् सत् नमन है।

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