दिल्ली में शीला दीक्षित को हराकर सरकार बनाने
के बाद आप नेता अरविंद केजरीवाल और उनके समर्थकों के हौसले सातवें आसमान
पर हैं। ऐसे में अब केजरीवाल ने अगले लोकसभा चुनाव के दौरान तीन सौ सीटों
पर उतरने का ऐलान कर साफ कर दिया है कि उनकी कोशिश सिर्फ दिल्ली या किसी एक
राज्य तक सिमटने वाली नहीं है। आप का दावा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के
नतीजे आने के बाद 72 घंटों में करीब एक लाख लोग उसके सदस्य बने हैं। यह
तादाद जमे जमाए नेताओं को परेशान करने के लिए काफी है। हालांकि अभी अरविन्द
केजरीवाल को पीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया जा रहा है लेकिन उनकी जैसी
छवि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद निर्मित हुई है उसके बाद अगर देश उनके
अंदर भविष्य का पीएम भी देखने लगे तो कोई आश्चर्य नहीं।
आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया है कि अब वह अगले दस पंद्रह दिनों
में अपने लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर देगी। जाहिर है, इस सूची
में कुछ बड़े नाम ही होंगे जिसके लिए पार्टी को ज्यादा माथापच्ची करने की
जरूरत नहीं होगी। अटकलें लगाई जा रही हैं कि नरेन्द्र मोदी गुजरात में किसी
सीट से चुनाव लड़ने की बजाय उत्तर प्रदेश की लखनऊ या वाराणसी सीट से आम
चुनाव लड़ सकते हैं। केजरीवाल ऐसी चुनौती देकर अपने समर्थकों और संभावित
वोटरों को यह संदेश दे सकते हैं कि वे राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति में बड़े
से बड़े नेता को टक्कर देना चाहते हैं और एक विकल्प खड़ा करना चाहते हैं। अगर
केजरीवाल मोदी को चुनौती देते हैं, तो वे मोदी बनाम राहुल की चर्चा से
पूरे विमर्श को मोदी बनाम केजरीवाल में तब्दील कर सकते हैं। जानकारों का
मानना है कि अगर ऐसा होता है, तो यह आप के लिए संजीवनी साबित हो सकता है।
क्योंकि इससे केजरीवाल एक झटके में न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर के नेता हो
जाएंगे, बल्कि कुछ लोगों की नजर में मोदी के विकल्प भी। इसलिए केजरीवाल देश
के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक माने जा रहे नरेंद्र मोदी को लोकसभा
चुनाव में चुनौती दे सकते हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में पटपड़गंज से विधायक चुने गए मनीष
सिसोदिया को आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के बाद दूसरे नंबर का नेता
माना जाता है। अगर मनीष को आप ने मुलायम सिंह के विरोध में खड़ा कर दिया,
तो क्या होगा? मुलायम इटावा या संभल से चुनाव लड़ सकते हैं। मनीष भी पश्चिमी
उत्तर प्रदेश के हापुड़ के रहने वाले हैं। ऐसे में दोनों का मुकाबला 2014
के लोकसभा चुनाव के सबसे अहम चुनावों में से एक हो सकता है। आम आदमी पार्टी
की राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य और केजरीवाल के सहयोगी गोपाल राय
मूल रूप से उत्तर प्रदेश से आते हैं। यह बात और है कि गोपाल राय दिल्ली से
चुनाव हार गए हैं, लेकिन आप में उनकी राजनीति अपनी तरह की चल रही है। वे
लंबे समय तक लखनऊ यूनिवर्सिटी की छात्र संघ राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं।
गोपाल राय को आप भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के खिलाफ पूर्वी
दिल्ली से सटी उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद सीट से मैदान में उतार सकती है।
राजनाथ सिंह इसी सीट से मौजूदा सांसद हैं। दोनों नेता मूल रूप से उत्तर
प्रदेश से आते हैं और भोजपुरी भाषी हैं। गाजियाबाद में भोजपुरी भाषी और
पूर्वांचल के मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है। दोनों ही हिंदी पट्टी की
राजनीति के दांव-पेंच से वाकिफ हैं। ऐसे में यह मुकाबला दिलचस्प हो सकता
है।
आप नेता कुमार विश्वास मूल रूप से पिलखुवा के रहने वाले हैं। हिंदी के
प्रोफेसर के तौर पर लंबे समय तक नौकरी करने वाले विश्वास अब नौकरी नहीं
करते। विश्वास ने अपने राजनीतिक मंसूबे जाहिर कर दिए हैं। कुमार अपनी
वाकपटुता, कविताओं, शेर-ओ-शायरी के लिए मशहूर हैं। और युवाओं के आइकॉन भी।
वे घोषणा कर चुके हैं कि अगर उन्हें अमेठी से लोकसभा चुनाव का टिकट मिला,
तो वे राहुल गांधी को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। विश्वास खुद पर
विश्वास जताते हुए कहते हैं कि जब भी राजा और फकीर की लड़ाई होती है, तो जीत
हमेशा फकीर की होती है। इस इलाके से महिलाओं की लड़ाई लड़ रही नागिन और
कोबरा गैंग ने भी कुमार को हर स्तर पर मदद करने का ऐलान किया है। नागिन
गैंग ने कुमार विश्वास के चुनाव प्रचार के लिए बुंदेलखंड से 50-50
युवक-युवतियां भेजने का निर्णय लिया है।
महिला जन संगठन नागिन और कोबरा
गैंग की केंद्रीय समन्वयक नेहा कैथल ने बताया, ‘दोनों जन संगठन आम आदमी
पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल द्वारा छेड़े गए ‘ईमानदार राजनीति की
शुरुआत’ और ‘राजनीतिक भ्रष्टाचार व वंशवाद विरोधी अभियान’ में खुलकर साथ
देना चाहते हैं।’ इसलिए केंद्रीय कोर कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि
यदि आगामी लोकसभा चुनाव में आप ने अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ कुमार
विश्वास को चुनाव लड़ाया, तो उनके चुनाव प्रचार के लिए महिला जन संगठन
बुंदेलखंड से 50-50 युवक-युवतियों को खुद के संसाधन से अमेठी भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि नागिन गैंग की वाइस चीफ कमांडर मनोज सिंह द्वारा रखे
राजनीतिक प्रस्ताव पर चर्चा के बाद दिग्गजों के खिलाफ लड़ने वाले आम आदमी
पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार करने पर सहमति बनी है। उन्होंने बताया कि टीम फरवरी के अंत में अमेठी में डेरा जमाएगी और चुनाव
प्रचार में युवतियों का नेतृत्व मनोज सिंह करेंगी।
दूसरी तरफ, नेहरू-गांधी
परिवार के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी, सुल्तानपुर और रायबरेली में कांग्रेस की
जमीन खिसकी है। कम से कम उत्तर प्रदेश में 2012 में हुए विधानसभा चुनाव ने
तो यही साबित किया था। उस चुनाव में कांग्रेस को अमेठी, सुल्तानपुर और
रायबरेली लोकसभा सीटों की सभी विधानसभा सीटों में एक को छोड़कर बाकी सभी पर
हार का मुंह देखना पड़ा था। ऐसे में यह चुनावी मुकाबला रोचक हो सकता है।
आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य शाजिया इल्मी पूर्व टीवी पत्रकार
हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में वे आरके पुरम सीट से महज 326 वोटों से
चुनाव हार गईं। अल्पसंख्यक समाज से आने वाली शाजिया तेज तर्रार वक्ता भी
हैं। वे महिला होने के नाते महिलाओं, युवा होने के नाते युवाओं और
अल्पसंख्यक समाज के वोटरों को आकर्षित कर सकती हैं। इन्हीं खूबियों को
देखते हुए आप उन्हें रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के
खिलाफ उतार सकती है। सोनिया गांधी की लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा
सीटों पर कांग्रेस का 2012 में बुरा हाल हो गया था। ऐसे में यह टक्कर रोचक
हो सकती है।
मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली भाजपा की नेता और लोकसभा में नेता,
विपक्ष सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश की विदिशा से लोकसभा सांसद हैं। उनके एक
बार फिर इसी सीट से चुनाव लड़ने की अटकल है। दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी
मशहूर चुनाव विश्लेषक से नेता बने योगेंद्र यादव को उनके खिलाफ उतार सकती
है। योगेंद्र भी हरियाणा के रहने वाले हैं। हालांकि, उन्हें चुनाव लड़ने का
कोई तजुर्बा नहीं है, लेकिन लंबे समय से वैकल्पिक राजनीति को लेकर वे जोर
आजमाइश करते रहे हैं। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने पूछे जाने पर कहा कि
अगर उनकी पार्टी उन्हें चुनाव लड़ने को कहेगी, तो वे गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र
से चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि उनका गांव इसी सीट के तहत आता है।
विदेश मंत्री और यूपीए सरकार के कद्दावर नेताओं में से एक सलमान खुर्शीद
फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से सांसद हैं। वे आप के नेता अरविंद केजरीवाल को
फर्रुखाबाद आने और जिंदा लौट जाने की चुनौती दे चुके हैं। हालांकि, वे तब
केजरीवाल को रोकने में नाकाम रहे थे, लेकिन इस बार केजरीवाल के बनाए समीकरण
में खुर्शीद उलझ सकते हैं। कांग्रेस जिन सीटों को तुलनात्मक रूप से
सुरक्षित समझती है, उनमें फर्रुखाबाद एक है। लेकिन केजरीवाल अपनी राजनीतिक
मामलों की समिति के सदस्य और दो बार लोकसभा सांसद रहे इलियास आजमी को उनके
खिलाफ उतार कर भौंचक्का कर सकती है। फर्रुखाबाद में अल्पसंख्यकों की
अच्छी-खासी तादाद और खुर्शीद पर लगे भ्रष्टाचार के मामले को ध्यान में रखा
जाए, तो यह कहना मुश्किल नहीं होगा कि आजमी उन्हें टक्कर दे सकते हैं। ऐसा
नहीं है कि सलमान के दुर्ग को यहां तोड़ा नहीं जा सकता है। 2012 के विधानसभा
चुनाव में तमाम कोशिशों के बावजूद खुर्शीद अपनी पत्नी लुइस खुर्शीद को
यहां से जिता नहीं सके थे। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर और आप की राष्ट्रीय
कार्यकारिणी के सदस्य पंकज गुप्ता ने नौकरी छोड़कर बच्चों की भलाई के लिए
समाजसेवा शुरू की थी।
इस दौरान वे अरविंद केजरीवाल के संपर्क में आए। पंकज
को आप भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में
उतार सकती है। इस बार आडवाणी के गांधीनगर या भोपाल की किसी सीट से लोकसभा
चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। ये दोनों सीटें शहरी सीटें हैं,
जहां आप को आसानी से समर्थन मिल सकता है और पंकज आडवाणी जैसे नेता को टक्कर
दे सकते हैं।
दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद कपिल सिब्बल अपने कई बयानों
से विवाद में रहे हैं। वे मशहूर वकील भी हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी उनके
जवाब में अपनी ही पार्टी के सदस्य और मशहूर वकील प्रशांत भूषण को उतार सकती
है। प्रशांत कानूनी दांव-पेंच में माहिर हैं। वे पूर्व कानून मंत्री
शांतिभूषण के बेटे हैं और लोकपाल आंदोलन की बड़ी आवाज रहे हैं। यूपीए सरकार
की गिरती साख के बीच दोनों कानूनी जानकारों के बीच बढ़िया मुकाबला हो सकता
है। भाजपा नेता वरुण गांधी यूं तो पीलीभीत से लोकसभा सांसद हैं, लेकिन इस
बार अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे सुल्तानपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ सकते
हैं। आम आदमी पार्टी वरुण के खिलाफ सुल्तानपुर में संजय सिंह को उतार कर
चुनौती दे सकती है। संजय सिंह सुल्तानपुर के ही रहने वाले हैं। उनके पास
उत्तर प्रदेश में पार्टी की जड़ें मजबूत करने का जिम्मा है। वे आजाद समाज
सेवा समिति नाम का संगठन भी चलाते हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के
प्रोफेसर आनंद कुमार आप के थिंकटैंक माने जाते हैं। अध्यापन के साथ-साथ
प्रोफेसर आनंद लोकपाल आंदोलन के अलावा कई अन्य राजनीतिक-सामाजिक आंदोलनों
में सक्रिय रहे हैं। आम आदमी पार्टी उन्हें लोकसभा चुनावों में बसपा
सुप्रीमो मायावती के खिलाफ चुनाव में उतार सकती है। नई राजनीति की सोच को
लेकर आगे बढ़ने का दावा करने वाली आप के एजेंडे को तय करने वालों में से एक
प्रोफेसर आनंद कुमार राजनीति में ईमानदारी और त्याग के हिमायती रहे हैं।
ऐसे में दोनों के बीच रोचक संघर्ष हो सकता है।
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