दुनिया सहित भारत में तेज़ी से ह्रदय
रोगियों की संख्या बढ़ रही है. भारत में हर साल लाखों लोग हृदय रोगों से ग्रस्त हो
रहे हैं. साथ ही, हार्ट अटैक के चलते मौतें भी लगातार
बढ़ रही हैं. इसमें युवाओं की तादाद भी कम नहीं है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान
संस्थान (एम्स) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में कार्डियो वेस्कुलर डिसीज
(सीवीडी) से मौतों की सालाना संख्या 47 लाख तक पहुंच गई है. यह आकड़ा 1990 से पहले करीब 22 लाख के आसपास थी.
बीते तीन दशक में कोरोनरी हृदय रोगों
की भारत में प्रसार दर काफी तेजी से बढ़ी है. ग्रामीण आबादी में 1.6% से 7.4% और
शहरी आबादी में 1% से बढ़कर 13.2% तक पहुंच गई है.
डॉक्टरों
के अनुसार हृदय रोग के कई कारण है, इनमे प्रमुख रूप से विकृत
जीवन शैली, व्यायाम की कमी, संतुलित खानपान का अभाव, जंक फूड
का सेवन, धू्म्रपान, तंबाकू
का सेवन, तनाव, मोटापा, शराब का सेवन, आनुवांशिकता, उच्च रक्तचाप, ज्यादा
व्यायाम व फूड सप्लीमेंट का सेवन, मांस
पेशियां बढ़ाने के लिए दवाओं का सेवन आदि हृदय रोग के मुख्य कारण हैं. साथ हीं
भारत में होने वाले प्राचीन और पारंपरिक खेलों से भी लोग तेज़ी से दूर हो रहे हैं.
जिसके कारण तेज़ी से शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ रही है. ऐसे भारतीय जीवन
शैली को एकबार फिर से अपनाना होगा.
विश्व में हृदय रोगी मरीजों में 15% महिलाएं हैं. आंकड़ों को देखें तो विश्व में 80% लोगों की मौत का कारण भी हार्ट अटैक ही माना गया है. एक सर्वे के अनुसार हर साल हार्ट की बीमारी में बरती जाने वाली लापरवाही के कारण विश्व में तकरीबन 2 करोड़ लोग की मौत हो जाती है. चिकित्सकों का मानना है कि दिल यानी शरीर का वो सबसे खूबसूरत हिस्सा जिसके बिना जीवन ही संभव नहीं है. तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या हिंदुस्तानियों का ह्रदय कमजोर हो गया है ? इसलिए आज हम पूछ रहे हैं कि शारीरिक हीं नहीं मानसिक दुर्बलता का क्या हो उपाय ?
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