मानसिक कारण
आत्म गौरव का अनुभव ना होना।
गर्व की अनुभूति का गर्व नहीं होना।
गौरव की रक्षा के लिए किसी भी सीमा तक लड़ने की मनोदशा नहीं
होना।
स्वयं का क्या होगा इस भय से लगातार उदासी से घिरे रहना।
हर वक्त अनजान सी बेचैनी महसूस करना।
किसी न किसी वजह से मूड खराब रहना।
जिंदगी से कोई उम्मीद न होना।
मन में अपराध बोध का होना।
हर वक्त जिंदगी को बोझ मानना।
मनपसंद काम न कर पाने की लाचारी।
पसंदीदा कार्यों में रुचि न रहना।
तड़के नींद खुल जाना।
बहुत ज्यादा नींद आना।
भूख कम लगने से लगातार वजन गिरना।
मन में सुसाइड के ख्याल आना।
खुदकुशी की कोशिश करना।
मानसिक परिणाम
आत्म गौरव भूल कर पराभूत मनोदशा में
पहुँचे हैं।
दिव्य लक्ष प्राप्ति के लिए परिश्रम
करने की क्षमता समाप्त हुई।
समाज व व्यक्ति भी पराक्रम की पराकाष्ठा
करने के लिए आगे नहीं आते।
साम्राज्य विस्तार की सोच भी नहीं रही,
इसलिए जो है वह भी बचा नहीं पा रहे हैं।
पराक्रम और परिश्रम तो दूर हम प्रेम
दया करुणा भी भूल गए।
व्यक्ति मनुष्य न रहकर मशीन बनता जा
रहा है।
आत्महत्या की संख्या बढ़ गई है।
सही-गलत का बोध का स्मरण नहीं रहा।
छोटी-छोटी बातों के लिए अपराध को अंजाम
दे रहे हैं।
मानसिक उपाय
मन में प्रेम और करुना का भाव रखा जाय।
अपनों से नजदीकियां बढ़ाई जाय।
सामाजिक सहयोग और समर्थन दें।
सनातन संस्कृति से जीवन शैली ठीक किया जाय।
योग-ध्यान अपनाएं।
पूजा-पाठ और मंत्रोच्चार से मन में शांति लाया
जाय।
तकनीक को जीवन में हावी न होने दिया जाय।
पराक्रम और परिश्रम में समय को लगाया
जाय।
लक्ष्य सिद्धि के लिए ध्यान एकाग्र
किया जाय।
मन में खुद के प्रति गौरवान्वित महसूस
करें।
No comments:
Post a Comment