विश्व हिंदू परिषद ने भोले-भाले हिन्दुओं के हक़ को लेकर एक
बड़ा मुद्दा उठाया है. VHP के अनुसार धर्मांतरण कर चुके एससी-एसटी समाज को आरक्षण
के लाभ की मांग न केवल संविधान बल्कि राष्ट्र विरोधी है. साथ हीं अनुसूचित जनजाति समाज के
अधिकारों पर खुला डाका है. यही कारण है कि विश्व हिंदू परिषद इसे लेकर विरोध जता
रही है. धर्मांतरण माफिया कैसे अनुसूचित जनजाति समाज के लिए खतरा बनते जा रहे हैं,
इसे लेकर VHP देशभर में जनजागरण अभियान चलाएगी. केंद्र सरकार से भी क्रिप्टो
क्रिश्चियन और इस्लामिक धर्मांतरण के मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की मांग की है.
धर्मांतरित अनुसूचित समाज अनुसूचित
जाति के आरक्षण का लाभ ले रहा है, जबकि ये संविधान के खिलाफ भी है. वर्ष 1932 में पूना पैक्ट करते समय बाबा साहब डॉ.
भीमराव अम्बेडकर ने स्पस्ट किया था कि अनुसूचित जाति के लिए मिलने वाला आरक्षण
धर्मांतरण करने वालों को नहीं मिलना चाहिए. पूना पैक्ट में प्रावधान किया गया था
कि धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों को दो- दो आरक्षण नहीं मिलेंगे.
वर्ष 1936 में मिशनरी और मौलवियों ने दलित समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर
आंदोलन किया था, उस वक्त तब महात्मा गांधी, पंडित
नेहरू और बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने इस आंदोलन को अनुचित ठहराया था. इसके बाद अम्बेडकर ने
इसे देश विरोधी तक करार दिया था.
दरअसल ईसाई मिशनरीज छद्म धर्मांतरण के जरिए एससी-एसटी समुदाय का धर्मांतरण करा लेती हैं, कानूनी अधिकारों से सम्बंधित दस्तावेजों में जाति वही रहती है, जिससे उन्हें लाभ मिलता रहता है. वहीं जो व्यक्ति धर्मांतरित हो जाता है, उसकी पूजा पद्धति रीति- रिवाज आदि सब बदल जाते हैं. यही कारण है कि धर्मांतरण करने वालों को एससी-एसटी आरक्षण का लाभ न मिले इसे लेकर अब जागरूकता अभियान चलाने और कानूनी लड़ाई लड़ने की योजना बन रही है. पिछले कुछ वर्षों में ईसाई धर्मांतरण की तादाद बढ़ी है, दस साल पहले छह करोड़ ईसाई आबादी थी, जो अब लगभग देश में ऐसे लोगों की संख्या दस करोड़ के करीब हैं. इतनी बड़ी संख्या में बदलाव धर्मांतरण के जरिये हीं संभव है.
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