18 October 2022

कानिफनाथ मंदिर पर हरा रंग पोता संत की कुटिया को भी जलाया, महाराष्ट्र के कन्नड़ में लैंड जिहाद का नंगा नाच।

देश में लैंड जिहाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन कोई न कोई लैंड जिहाद की ख़बर सामने आ जाती है. संभाजीनगर जिले के कन्नड़ तालुके में स्थित करंजखेड़ गांव में एक बड़ा लैंड जिहाद हुआ है. जिहादियों ने हिंदुओं की प्राचीन ओम टेकरी पर संत कानिफनाथ महाराज की मंदिर समाधि पर मजार का निर्माण कर दिया है. साथ हीं मंदिर को भी हरे रंग से रंग कर, भगवा झंडे को उतारकर फ़ेंक दिया है. 

जिहादियों ने अपनी सारी हदें पर करते हुए मंदिर के सामने बनी संत की कुटिया को भी आग लगा कर जला दिया है. इस गांव में मुस्लिम आबादी काफी संख्या में रहती है. सिर्फ कुछ ही घर हिंदुओं के हैं जो आज डरे सहमे हुए हैं. इसी करंजखेड़ं गांव के पास एक बहुत बड़ा पर्वत है जिसका आकार ओम के जैसा है जिसके चलते इस पर्वत को ओम टेकरी के नाम से जाना जाता है.

इसी ओम टेकरी पर हिंदुओं के आराध्य कानिफनाथ महाराज जी का वर्षों पुराना ऐतिहासिक समाधि मंदिर है. हर गुरुवार को यहां पर हिंदुओं द्वारा भंडारा और महाप्रसाद का आयोजन किया जाता था, जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू भक्त यहां पहुंचते थे और प्रसाद ग्रहण करते थे. लेकिन पिछले 2 वर्षों से कोरोना के चलते हिंदू भक्त ओम टेकरी पर नहीं पहुंच पा रहे थे, इसी का फायदा उठाकर जिहादियों ने इस मंदिर के महंत को डरा धमका कर मंदिर की दीवारों पर हरा रंग पोत दिया. मंदिर पर लगे भगवा झंडे को हटाकर हरे रंग का झंडा लगा दिया.

इतना हीं नहीं संत कानिफनाथ महाराज जी की समाधि मंदिर में मजार जैसा आकार बनाकर हरी चादर भी चढ़ा दी और समाधि मंदिर के सामने बनी मंदिर के सेवा करने वाले महाराज जी की कुटिया में, मांस मटन के टुकड़े फेंकना भी शुरू कर दिए.

लॉकडाउन के दरमियान जब यह पूरा मामला सुदर्शन न्यूज़ के संज्ञान में आया तो सुदर्शन न्यूज़ ने इस खबर को ग्राउंड जीरो से प्रमुखता से दिखाया था जिसके बाद ओम टेकरी पर पुलिस बल तैनात किया गया था. लेकिन जून महीने में ओम टेकरी के महंत भंडारी महाराज जी चार धाम की यात्रा पर गए थे, इसी दौरान जिहादियों ने आधी रात में कानिफनाथ महाराज जी के मंदिर के सामने बनी महंत भंडारी महाराज जी की कुटिया को आग लगा कर पूरी कुटिया को जला दिया. महंत जी के पास कानिफनाथ महाराज समाधि मंदिर के कुछ मुख्य दस्तावेज थे जिसे महंत जी ने कुटिया में रखा था कुटिया में आग लगने से दस्तावेज भी जल गए.

सिंदूर लगे हुए भगवान की मूर्ति आग लगाने के बाद जब नहीं जल पाई तो वहां  पर जिहादियों ने चूना लगाकर हरे रंग के कपड़ों से ढक दिया. जब महंत जी ने  स्थानीय पुलिस से कार्रवाई की मांग की तो पुलिस ने उल्टा उनको हीं नोटिस थमा दिया. स्थानीय पुलिस ने जिहादियों के दबाव में मंदिर के महंत को ओम टेकरी पर जाने से इसलिए रोक दिया कि आपके जाने से वहां दो समुदायों में तनाव पैदा हो जाएगा. ऐसे में जिहादियों को पुलिस प्रशासन से सह मिलने के बाद पूरा का पूरा मंदिर और कुटिया लैंड जिहाद का शिकार हो गया.

अंत में मंदिर के महंत भंडारी जी महाराज ने जब सुदर्शन न्यूज़ से मदद मांगी तो हमारे संवाददाता बाबूलाल राठौर ने जिहादी आतंक के अड्डे से मंदिर और कुटिया को मुक्त कराने के लिए ग्राउंड जीरों पर पहुंचे और पूरी घटनाक्रम को विस्तार से कवरेज किया जिसे हम आपको आगे इस कार्यक्रम में दिखाएंगे. ब्यूरो रिपोर्ट सुदर्शन न्यूज़.


कौन हैं कानिफनाथ नाथ जी ?


कानिफनाथ जी नाथ सम्प्रदाय के एक योगी थे।

उनके द्वारा प्रवर्तित योग मत साधना शुरू किया गया।

यह नाथ पन्थ में वामार्ग के रूप में जाना जाता है।

कानिफनाथ जी को कानिपा, कानपा, कान्हपा, कान्हपाद, करनिपा, कानेरी पाद आदि अनेक उपनामों से जाना जाता है।

इनका जन्म कर्णाट देशीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

इनके शरीर का वर्ण काला था इसलिए इनको कृष्णपाद नाम से भी जाना जाता है।

कानिफनाथ जी जालन्धर नाथ जी के प्रधान शिष्य थे।

कृष्ण पाद की प्रेरणा नाथ योग के सिद्धांतों से पोषिता थी।

कृष्ण पाद कपालिक की अपेक्षा शैव योगी थे।

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