ईसाई धर्मांतरण के षड्यंत्र का पर्दाफाश पार्ट- 2 में, आज हम आपको कुछ ऐसे षड्यंत्र, पाखंड
और भ्रमजाल को दिखायेंगे जिससे गुप्त इसाईयत का चोला पहले पादरियों का नकाब उतर
जाएगा. हिंदू भेष में यीशु की मूर्तियां और पादरियों का भ्रमजाल आज हिन्दू समाज को
धर्मांतरण करने का कार्य कर रहा है. क्रिसमस स्पेशल हमारा ये महासीरीज हर रोज़ एक
नए षड्यंत्र का खुलासा करेगा.
क्रिप्टो क्रिस्चियन या गुप्त इसाईयत का मूल उदेश्य
भारत तथा इसकी हिन्दू संस्कृति को धीरे-धीरे नष्ट कर ईसाई
धर्म को आगे बढ़ाना है. इस फोटो को ध्यान से देखिये कैसे हमारे देवी देवताओं को
यीशु के साथ शामिल कर भोले भाले हिन्दुओं को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं.
कैसे भगवा भेष में ये पादरी लोगों को भ्रमित कर धर्मांतरण करने की साजिश रच रहे
हैं.
क्रिप्टो-क्रिस्चियानिटी ईसाई धर्म की एक मूल प्रैक्टिस
है बन चुकी है. दरअसल ये दिखावे के तौर पर हिन्दू भगवान की पूजा करते है और फिर बाद में हिन्दू धर्म में घुसपैठ कर धर्मांतरण की साजिश रचते हैं. इनका
ये छद्म भेष अंदर से ईसाई का होता है. क्रिप्टो-क्रिस्चियन का सबसे पहला उदाहरण
रोमन सामाज्य में मिलता है जब ईसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे.
तब तत्कालीन महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा बताया
था.
सम्राट ट्रॉजन ने गुप्त इसाईयत को समझा और
जितने रोमन ईसाई बने थे उनके सामने प्रस्ताव रखा.. कि या तो वे ईसाईयत छोड़ें या
मृत्यु-दंड भुगतें. रोमन ईसाईयों ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोड़ने का
नाटक किया और उसके बाद ऊपर से वे रोमन देवी-देवताओं की पूजा करने लगे. मगर अंदर से
ईसाईयत को बरकरार रखा. जिस तरह मुसलमान जब 5-10 प्रतिशत होते हैं तो उस देश के
कानून को मनातें है पर जब ये 20-30 प्रतिशत होतें हैं तब शरीअत की मांग शुरू कर
देते हैं, और जब इन्हें सत्ता और अधिकार मिलता है तो देश को इस्लामिक राष्ट्र और
हिन्दुओं का धर्मांतरण कर देते हैं. ठीक उसी प्रकार गुप्त इसाईयत भी कार्य करता
है. आज देश में क्रिप्टो-क्रिस्चियन भी यही कार्य कर रहे हैं.. जिसे आज हम सब को
जानने और समझने की जरुरत है. जो साजिश यूरोप में 2000 साल पहले हुआ, अब वही साजिश भारत
में आज ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन कर रहे हैं.
क्रिप्टो-क्रिस्चियन के बहुत से उदाहरण हैं पर
सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण जापान का है जहाँ पर मिशनिरियों का तथाकथित-संत ज़ेवियर जो
भारत आया था.. वह 1550 में धर्मान्तरण के लिए जापान गया और उसने कई बौद्धों को
ईसाई बनाया. 1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन ने ईसाई धर्म का प्रचार
जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा बताया. शोगुन ने बल का प्रयोग किया और कई चर्चो
को तोड़ा. जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ी गईं. बाईबल
समेत ईसाई धर्म की कई किताबें को प्रतिबंधित किया गया. जितने जापानियों ने ईसाई
धर्म अपना था उनको वापस मूल धर्म में वापसी कराया गया.
मगर फिर भी कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म मे घर
वापसी का नाटक किया और क्रिप्टो-क्रिस्चियन बने रहे. जापान में इन
क्रिप्टो-क्रिस्चियन को “काकूरे-क्रिस्चियन” भी कहा जाता है. आज यही क्रिप्टो-क्रिस्चियन पूरी दुनिया भर में अपना
भ्रम जाल फैला कर धर्मांतरण करने का कार्य कर रहे हैं. भारत मे ऐसे बहुत से काकूरे-क्रिस्चियन
हैं, जो सेक्युलरवाद, वामपंथ और बौद्ध धर्म का मुखौटा पहन कर
हमारे बीच में घूम रहे हैं.
पंजाब के कई ईसाई, सिख धर्म के छद्म रुपी क्रिप्टो हैं जो पगड़ी पहनतें है, दाड़ी रखते है, कृपाण-कड़ा भी पहनतें हैं पर ये सभी गुप्त-ईसाई हैं. बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियन आरक्षण और सरकारी लाभ लेने के लिए, हिन्दू नाम रखे हैं. देश मे ऐसे बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं जो हिन्दू नाम से हिन्दू-धर्म पर हमला करके सिर्फ वेटिकन का एजेंडा बढ़ा रहें हैं. यही कारण है कि आज सुदर्शन न्यूज़ ऐसे हिंदू भेष में यीशु की मूर्तियां और पादरियों का भ्रमजाल फ़ैलाने वाले क्रिप्टो-क्रिस्चियन का पर्दाफाश कर रहा है.
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