जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय JNU के लेफ्ट यूनियन द्वारा बाबरी मस्जिद
पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘राम
के नाम’ की परिसर में स्क्रीनिंग की घोषणा पर
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आपत्ति जताते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी है तो वहीँ दूसरी
ओर JNU के लेफ्ट गैंग छात्र यूनियन इस फ़िल्म को दिखाने के लिए अड़े हुए हैं. विश्वविद्यालय
प्रशासन ने कार्यक्रम रद्द करने की सलाह देते हुए कहा है कि परिसर में इस तरह की
अनधिकृत गतिविधि सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है. मगर
वामपंथी गैग विश्वविद्यालय प्रशासन की बातों को दरकिनार कर माहौल को बिगाड़ने पर
तुला हुआ है.
जेएनयू प्रशासन ने कहा कि छात्र संघ
कार्यक्रम रद्द करें या अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें.
दरअसल, वामपंथी छात्रों ने इस कार्यक्रम के
विज्ञापन वाले पैम्फलेट शनिवार की सुबह वितरित किया था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने
कहा कि इस आयोजन के लिए जरूरी पूर्व अनुमति नहीं ली गई है. बता दें कि इस फिल्म
में बाबरी मस्जिद के विध्वंस और विध्वंस के बाद मारे जा रहे अल्पसंख्यकों के
प्रोपेगेंडा को दिखाया गया है.
जेएनयू के रजिस्ट्रार द्वारा जारी पत्र स्पस्ट किया गया है कि इस तरह की अनधिकृत गतिविधि विश्वविद्यालय परिसर के सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है. ऐसे में किसी भी प्रकार के प्रस्तावित कार्यक्रम को तुरंत रद्द करें. ऐसा न करने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है. छात्रों को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वे इस पर्चे से प्रभावित न हों, जो कि अनधिकृत और अनुचित है.
फिल्मकार आनंद पटवर्धन का 1992 का यह वृत्तचित्र अयोध्या में राम
मंदिर बनाने के अभियान से संबंधित है. जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) अध्यक्ष आइशी
घोष ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उन्होंने यूनियन हॉल में ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग निर्धारित की है. जेएनयूएसयू किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा. यह कार्यक्रम होगा और
हम जेएनयू छात्र समुदाय से इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए रात नौ बजे बड़ी
संख्या में एकत्र होने का अनुरोध करते हैं.
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