हम आपको बता रहे हैं उस सरकार की हकीकत। जिसने देष में गरीबी की परिभाशा दी है। जिसके मंत्री हमेषा आम आदमी की बात करने का दिखावा करते है। सभी मंत्रालयों को खर्च कटौती के फरमान का दिखावा होता है। लेकिन गरीबों को उनकी औकात बताने वाली सरकार, गरीबों के पैसे से ऐष करती है। जी हां ऐसी ही हकीकत सामने आयी है सरकार की हाईप्रोफाइल पार्टी की। यूपीए2 की तीसरी साल ग्रह पर प्रधानमंत्री आवास पर भोज दिया गया। उसमें सरकार के सभी मंत्री, सांसद, विधायक और समर्थक दलों के सभी षुभचिंतक षामिल हुए। जिसमें मेहमानों की संख्या 375 रही। पूरी पार्टी में सिर्फ भोज पर 2895503 रू खर्च हुए। ये बात हम नही कह रहे हैं, खुद पीएमओ ने ही ऐसी जानकरी दी है। दरअसल एक आरटीआई रिपोर्ट में ये बात सामने आयी है। हरियाणा के आरटीआई कार्यकर्ता रमेष वर्मा को ये जानकारी दी गई है। ये वही पीएमओ आफिस है जिसने 28 रू. रोज खर्च करने वालों को गरीब मानने से इंकार कर दिया था। मोंटेक सिंह आहलुवालिया षहरो में 32रू और गांवों में 28 रू. खर्च करने वालों को गरीब नही मानते। लेकिन उसी पीएमओं के फिजूल खर्चे आपके सामने हैं। सरकार कहती है गरीब एक दिन में 16 रू खाने पर खर्च कर सकता है। अगर इससे ज्यादा कोई खर्च करता है तो उसे गरीब नही माना जायेगा। उसे कोई भी सरकारी लाभ नही दिया जायेगा। अब ऐसे में आप, ये तो खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे कोई परिवार 16 रू. में खाना खा पायेगा। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं। ये सरकार गरीबों का मजाक उड़ा रही है। खुद हजारों की थाली खाती है और गरीबों को गरीब ही मानने से इंकार करती है। ऐसी सरकार से आम आदमी क्या उम्मीद लगा सकता है। क्या ऐसी सरकार के नेतृत्व में देष तरक्की कर सकता है। क्या ऐसी सरकार देष से वाकई गरीबी खत्म कर सकती है। जी नही। आज आम में आदमी हर ओर गुस्सा है। जैसे जैसे सरकार के कारनामें खुलकर बाहर आ रहे है। वैसे वैसे लोगों का गुस्सा अपने चर्म पर पहुंच रहा है। लोग कह रहे है आम आदमी की बात करने वाली सरकार के नेतृत्व में आम आदमी और गरीब हो गया है। हर और लूट मची है। लेकिन सरकार आम आदमी को नसीहत दे रही है। प्रधानमंत्री कहते हैं पैसे पेड़ से नही झड़ते। पैसे के लिए प्राकृतिक सांसाधनों को बेचना पड़ता है। लेकिन आज लोगों को पैसे की हकीकत पता चल गई। जिन संसाधनों पर आम आदमी का हक है वो भ्रश्ट मंत्रियो की जेब में जा रहे हैं। सरकारी पार्टियों पर उड़ाये जा रहे हैं। देष के गरीबों को एक वक्त की रोटी नसीब नही होती। मगर सरकारी पार्टियों में एक थाली की किमत इतनी होती है, जिससे आम आदमी महिनों अपना पेट भर सकता है। जी हां यही है हकीकत आज हमारी सरकार की। ऐसे ही उड़ाया जा रहा है आम आदमी का पैसा। यूं ही भूंखा मरने को मजबूर हो रहा है देष का आम आदमी।
सरकार की थाली
नान वेज झींगा कसूंदी गोष्त बुर्रा कबाब फिष मालाबारी चिकन चेट्टिनाड।
वेजिटेरियन बधारी बैंगन दम आलू कष्मीरी बींस गाजर मटर केवटी दाल तेह बिरयानी बेबी नान मटर परांठा मिस्सी रोटी लच्छा परांठा ताजा हरा सलाद, मूंग दाल स्प्राउट।
चाट काउंटर गोलगप्पा आलू की टिक्की दही पापड़ी की चाट पाव भाजी धनिया आलू चाट टमाटर सलाद फ्रूट चाट बींस और मसरूम सलाद दही भल्ला सादा दही आचार पापड़ और चटनी।
खाने से पहले वाटर मेलन जूस कोकोनट वाटर आम पना जलजीरा फ्रूट पंच रोस्टेड बादाम,काजू।
कुल मुल्य- 7721
गरीब की थाली
अनाज दाल दुध खाद तेल अंडा मछली मीट सब्जियां ताजे फल ड्राईफ्रूट चीनी नमक एंव मसाले।
कुल मुल्य- 16 रूपये
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