19 September 2012

क्या वाकई माँ के मायने बदल गयी है ?

कहते है कि ईष्वर हर जगह साकार नहीं हो सकता इसलिए उसने मां बनाई। विष्व में कई ऐसी महान षख्सियत पैदा हुई जिन्होंने समय समय पर अपनी प्रतिभा का लोहा पूरे विष्व में मनवाया कहीं न कही उनके कारनामों के पीछे और उन्हें इस लायक बनाने के पीछे उनकी मां का ही हाथ होता है भारतीय संस्कृति में हमेषा से ही मां का दर्जा सबसे उपर रख गया है यही एक बडा कारण है की वीरों को जन्म देने वाली भारतीय भूमि वीरों की भुमि कही जाती है। चाहे वो कोई वीरांगना ही क्यों न हो मां हमेषा से ही प्रेरणादायक और मार्गदर्षक रही है। रानी लक्ष्मी बाई ने तो अपने मातृत्व के लिए ब्रिटीष हुकुमत से लोहा लिया ये एक ऐसी भारतीय मां की कहानी है। जो हमेषा हमें और भारतीय नारीयों को गर्व का अहसास कराती रहेगी। लेकिन परिदृष्य बदला आज हम मदर्स डे मानाते है। मां को याद करने के लिए केवल एक दिन देते है।

मदर्स डे यानी आधुनिक मातृ दिवस,आधुनिक इसलिए क्योंकि पहले तो हर दिन मां के लिए ही होता था मां के प्रेम से भरा होता था। पर बदलते वक्त के साथ मातृत्व की परिभाशा भी बदल गई। ऐसा नहीं है की आज की मां अपने बच्चों को प्यार नहीं करती पर फिर भी आज वक्त के साथ मां बदल रही है पहले बच्चे मां के आंचल में पलते बढते थे पर आज की मां के पास इतना वक्त नहीं है, वो तो बच्चो के साथ क्वालिटी टाइम बिताती है। क्योकि हर दिन तो टाईम रहता नहीं। आज के इस भौतिकतावादी युग का असर मां के प्रेम पर भी हो गया तभी तो समय और प्रेम की कमी को पुरा करने के लिए मां बच्चो को उनकी पंसद की चीजें दिलवा कर खानापूर्ति कर लेती है। लेकीन ये भूल जाती है की मां के प्रेम का कोई मोल नहीं वो सिर्फ और सिर्फ मां ही दे सकती है कोई खिलौना या बेबी सिटर नहीं। आज बच्चा जब रोता है उसके आंसू पोछने के लिए मां वहां नहीं होती बल्कि आया होती है।

बढते आधुनिकरण में दुनिया विकास के चरम पर तो पंहुच रही है पर मानवता कहीं खो रही है और इस सो काल्ड मार्डनाजेष्न ने मां का भी आधुनीकरण कर दिया है तभी तो वो इतनी महत्वाकांक्षी हो गई है की मां के कतव्र्य भी उसे बोझ सरीखे लगते है तभी तो डबल मनी नो किड जैसे चलन का विकास आज के दौर में हो गया है जहां पति पत्नी को पैसे चाहिए पर बच्चे नहीं। आज भारत में परिवार छोटे होते जा रहे है बच्चे को दादा दादी मां बाप का प्यार नहीं मिलता बल्कि आया के भरोसे रहना पडता है। आज बच्चा पूछता है मां कहा है तुम्हारा आंचल जिसे पकड़ कर मैं चलना सिखता कहां है तुम्हारी गोद जिसमें मैं आराम से सोता मां कहा है तुम्हारी मीठी लोरी कहां है तुम्हारा प्यार,क्या मां वाकई तुम बदल गई है।

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