23 September 2012

क्या गणेश उत्सव के मायने बदल गए है ?

गणेषो उत्सव का त्यौहार पूरे देष में हर्शो उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। लेकिन कहीं ना कहीं ऐसा लग रहा है कि राश्ट्रीय एकता का प्रतीक गणेषो उत्सव सिर्फ एक त्यौहार बनकर रह गया है। जी हां गणेसोउत्सव पूरे देष में धूमधाम से तो मनाया जा रहा है लेकिन देषभक्ति की भावना कहीं दिखाई नही दे रही है। लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के वो बोल सब भूल गये हैं जिन्होने अंग्रेजों की नींव हिला दी थी। जी हां 1893 में बालगंगाधर तिलक ने देषवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने का बीड़ा उठाया था। तब गंगाधर तिलक ने देषवासियों से अंगेजों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका था। तिलक साहब ने गणेसोउत्सव को पूजा और धार्मिक कर्मकांड तक ही सीमित नही रखा, उन्होने गणेसोउत्सव के सहारे देषवासियों में आजादी की लड़ाई, छूआछत करने और समाज को संगठित करने का काम किया था। गणेसोत्सव को अंग्रेजों के खिलाफ एक आंदोलन का रूप दिया। तब गणेसोउत्सव से जन-जन में देषभक्ति की भावना जागृत को चुकी थी। इस आंदोलन ने ब्रिटिस साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी थी। गणेसोउत्सव के महत्व आजादी की लड़ाई की बात सारे महाराश्ट्र में आग की तरह फैल गई थी। अंग्रेज भी इससे घबराने लगे। रोलेट समिति की रिर्पोट में भी चिंता जताई गई। रिर्पोट में कहा गया कि गणेसोउत्सव के मौके पर युवकों की टोलियां सड़कों पर ब्रिटिस हुकुमत के खिलाफ आग उगलतीं हैं। स्कूली बच्चे आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ पर्चे बांटते हैं। मराठों से अंग्रेजों के खिलाफ षिवाजी की तरह विद्रोह करने का आवहाना होता है। गणेसोत्सव के मौके पर वीर सावरकार, लोकमान्य तिलक और सुभाशचंद्र जैसे नेता अपने ओजस्वा भाशणों से लोगों में देषभक्ति की भावना जगाते हैं। लेकिन आज कहीं भी ऐसा दिखाई नही दे रहा है। आज गणेसोत्सव पूजा और धार्मिक उल्लास भर रह गया है। अब मानों वो अपनी उपयोगिता से भटक गया है। उसके मायने बदल गये हैं। अब केवल गणेसोत्सव एक त्यौहार तक सीमित होकर रह गया है। आखिर ऐसा क्यों हुआ। समाज को एकजुट करने और संगठित करने का वो उददेष्य आखिर कहां खो गया। क्यों पीछे छूट गया। क्या आधुनिक जीवन षैली के गुलाम भागते दौड़ते लोगों को इसका उददेष्य और महत्व नहीं पता या फिर उनके पास समय ही नही है। या फिर वो भूल गये हैं कि गणेसोत्सव केवल पूजा और धर्म का ही नही बल्कि देषभक्ति और एकता का प्रयाय भी है। अब हमें ही इसका उददेष्य जानकर आगे आना होगा और इसके मूल उददेष्य जनजागृति का बीड़ा उठाना होगा। और अपनी आने वाली पीढि़ को इसका महत्व बताना होगा।

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