07 September 2012

क्या जुआ, सट्टा, लौट्री को मान्यता देना सही है ?

आज हम आपके सामने लाये हैं एक ऐसा मुददा, जो आज भी हमारे समाज के लिए अभिशाप बना हुआ है और सदियों पहले भी अभिशाप था। आज भी ये घरों को उजाड़ रहा है और इंसानों की जिंदगी को लील रहा है, तो वहीं इतिहास में भी ये सर्वनाष का कारण बना है। जी हां आज हम बात कर रहे हैं, जुआ, सटटा, लाट्री, जो आज माडर्न तरीके से लेकर पुराने तरीकों से खेले जा रहे हैं। इतिहास गवाह है, कौरवों पांडवों के पाषें महाभारत जैसे बड़े युद्ध की वजह बने। आज भी रायल जगह जैसे बड़े होटल्स से लेकर फार्म हाउस तक, जुआ, सटटों और लाट्री की एषगाह बने हुए हैं। यहीं नही आम आदमी भी इसके मोहपास में फंसकर, अपना घर परिवार बर्बाद कर रहा हैं। आम आदमी की गाढ़ी कमाई, लालच देकर जुआ सटटों के बहाने छीनी जा रही है। करोड़पति बनने का लालच लोगों को खोखला कर रहा है। ऐसे में लोग अपना घर बार बेचकर लाट्री जुए में फंस गये हैं। जैसे पांडवों ने द्रोपदी को दाव पर लगाया था वैसे ही उदाहरण आज भी देखने को मिल जाते हैं। लोग जुआ, लाट्री के लालच में फंसकर अपनों को और खुद को भी भूल रहे हैं। आज लाट्री और जुआ के मारे हजारों लाखों परिवार मिल जायेंगे देष में, जिन्हाने अपना सब कुछ जुआ के लालच में गंवा दिया। आज वो दर-बदर की ठोकरें खा रहे हैं। इनमें बहुत से ऐसे भी मिल जायेगे आपको, जो बहुत बड़े करोडपति और अरबपति रहे हों। राजमहलों और राजघरानों में रहने वाले जुआ की लत में फंसकर भीख मागने को मजबूर हो गये। आज जुआ और लाट्री को लूटेरों ने आम आदमी को लूटने का जरिया बना लिया है। षराबखानों के साथ जुआ को परोसना सरकार की नाक के नीचे खुलेआम चल रहा है। यहां ये लूटेरे बड़े ही षातिराना अंदाज में लोगों की जेब को खाली कर रहे हैं। आज युवा भी आसानी से इन लोगों के बहकावे में आ रहे हैं। युवा आधुनिकता के बहाने खूब इन अययासखानों के षिकार हो रहे हैं। मगर सरकार है कि हाथ पर हाथ रखे बैठी है। अब सरकार बैठे भी क्यों नही, ऐसा माना जाता है कि ये जुआघर सरकारी लोगों की आमदनी का एक जरिया हैं। इसी वजह से न तो सरकार इन जुआघरों और लाट्री पर प्रतिबंध लगाती और ना ही कोई नियम कानून लाती। अगर किसी मुख्यमंत्री ने इसे बैन करने की कोषिष भी कि तो उसे जुआखोरों के सामने झूकना पड़ा। जिसकी वजह हुई कि आज तक जुआ और लाट्री का धंधा धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। आपको पता होगा आइपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट में कितने अरबों खराबों का सटटा लगता है। कितने ही आज ऐसे खिलाड़ी है, जो सटटेबाजी में देष की इज्जत को दाव पर लगाये बैठे हैं। लेकिन अब समय आ गया है के ऐसे लूटेरों और इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए, हमें जागना होगा। सब कुछ सरकारों पर ही नही छोड़ना होगा। हमें और आपको आगे आना होगा, समाज को जगाने के लिए। इसके लिए सरकार पर भी दबाव बनाना होगा। क्योंकि जुआ सटटा इतिहास के पन्नों में भी बैन था तो अब भी होना चाहिए। क्योंकि इसने हमारे कई घरों को बर्बाद कर दिया। आज युवा जुआ के लिए जेब काटने से लेकर हत्याएं तक करने पर उतारू हैं। आपने खुद महसूस किया होगा, कि आपके बराबर वाले पार्क में युवा कैसे जुआ और षराब की लत में डूबे हुए है। ये युवा कैसे चमकते भारत की तस्वीर बनेंगे, आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं। तो आइए हमारे साथ। खड़े होईए समाज और सरकार को जगाने के लिए। और रखिए अपने विचार समाज के इस राक्षस को खत्म करने के लिए।

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