09 September 2012

क्या गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना चाहिए ?

भारतीय हिंन्दू समाज में गाय को मां कहा गया हैं। जिस गाय को हम देवी मानकर पूजा करते है, जिसके पुजा-पाठ करने से हमारा जिवन धन्य हो जाता है। इसके पुजा एवं सेवा करने मात्र सें मोक्ष की प्राप्ती हो जाती है। गाय में 33 करोड़ देवी देवता का वास होता है। मगर भारत जहाँ 80 करोड़ से ज्यादा हिन्दू रहतें है। वहा गौ हत्या लगातार जारी है। कहा जाता है कि गौमाता समस्त तीर्थो के समान होती है गाय, गोपाल, गीता और गंगा धर्मप्राण भारत के प्राण है। भारत को पूरी दुनिया में उसके धर्म और संस्कार के लिए जाना जाता है, लेकिन केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार हर कोई गाय को लेकर सिर्फ राजनीति करता है। समाज कें कुछ वर्गो ने गौ हत्या को अपना व्यापार बना लिया है। आलम ये है कि आज भारत विष्व का सबसे बड़ा मांस निर्यातक बन बैठा है, और सरकार चुपचाप हाथ पर हाथ धरें बैठी है। आखिर कौन है इसका जिम्मेंवार और क्यों है सरकार चुप। क्यो नही गाय को राष्ट्रीय पशु घोशित किया जा रहा है।

जहा पशुपक्षी भारत देश की अर्थव्यवस्था की रीड़ हैं मगर इसे लेकर हर कोई उदासिन है। खाद्यान्न उत्पादन आज भी गो वंश पर आधारित है। आजादी तक देश में गो वंश की 80 नस्ल थी, जो घटकर आज महज 32 रह गई है। गाय से ग्राम और ग्राम से ही भारत है। 1947 में एक हजार भारतीयों पर 430 गोवंश उपलब्ध थे। 2001 में यह आँकड़ा घटकर 110 हो गयी और 2011 में यह आँकड़ा घटकर लगभग 20 गोवंश प्रति एक हजार व्यक्ति हो गया। देष में बाघ को बचाने के लिए करोड़ो रूपए खर्च किए जा रहे है मगर गाय को लेकर हर कोई उदासिन है। यहा तक की पषुओं की हत्या करने के लिए बहुत से कत्लखाने देष मे गैर कानुनी तरीके से संविधान का उलंद्यन करके चलाऐ जा रहे है। मगर अब तक सरकार की ओर से कोइ ठोस कदम नही उठाए जा सका है। सरकार को इस बात से कोइ अफसोस नही है की कृशि योग पशुओं की खुलेआम हत्या की जा रही हैं।

तो ऐसे में विक्लप सिर्फ गाय को राष्ट्रीय पशु घोसित करना ही बचता है। आपको बता दे कि गौ हत्या से बड़े पैमाने पर गौ तस्करों के साथ-साथ सरकार को भी फायदा होता है। गुजरात, मध्यप्रदेष, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यो में भी गौ हत्या पर 10 साल के सजा का प्रवधान है। गुजरात में गौ हत्या की सजा 6 महीने से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है साथ ही जुर्माने के तौर पर 1000 के बजाय 50,000रू देने होंगे। तो ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि केन्द्र सरकार गौहत्या पर चुप क्यों है। तो आईए और गाय को राष्ट्रीय पशु घोशित करने के लिए कदम आगे बढ़ाए।

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