कुछ जंबाजो के दिल में देष बसता है ना कि केवल सेना ऐसी ही कुछ कहानी कष्मीर सिंह की है। जब ये देष भक्त हमसे अपना दर्द सुनाया तो हम ठान लिए की इसे न्याय दिलाना चाहिए। और एक पत्रकार होने के नाते हमने इसे उन लोगो तक पहुंचाया जहा से इस जवान को न्याय मिल सके। नाम कष्मीर सिंह जिला हमीरपुर हिमाचल प्रदेष जिसने सेना को चुना ताकि वो देष की रक्षा कर सके उसने आप काम बखूबी निभाया भी पर कुछ लोगों को उसके काम करने का तरीका पसंद नही आया। और ये उनके लिए नासूर बन गये। उनका मकसत ही सेना को धोखा देना है। वाक्या है 2005 का जब वायु सेना केंद्र पर कष्मीर सिंह की पोस्टींग थी। तब सेना में हो रहें भ्रश्टाचार कों इनहोनें उजागर किया। सेना के राषन और गैस की भी कालाबाजारी भी चरम सीमा पर है। सेना कें अधिकारी गैस और को कौडी़ कें दामों पर कालाबाजा़रियो को बेच देते है और उसके बदले लकडि़ पर खना बनाने का काम किया जाता है। जिन सेंना कें जवानो को देष की सुरक्षा में तैनात होना चाहिए उन जवानों से हरे पेंड कटावाये जाते जो कि पुरीतरह से गैरकानूनी है। जिनका सबूत है ये तस्वीरे जो सारा वाक्या बयां कर रही है। जब भ्रश्टाचार के खि़लाफ कष्मीर सिंह ने आवाज़ उठाया, तो जिसकी सजा़ उनको पांच बार जे़ल जाकर चुकाना पडा़। और उनको नौकरी से भी से बर्खास्त कर दिया गया। इस दौरान कष्मीर सिंह को मानसीक और षारीरीक तौर पर बहुत प्रताडि़त किया गया। इतना ही नही सेना के अधिकारीयों ने कष्मीर सिंह कें खि़लाफ फ़र्जी थ्प्त् दर्ज किया और देष दो्रही बताया। इसके बावजूद सेना का ये जाबांज सिपाही कष्मीर सिंह ने हार नही मानी और अपनी आवाज़ बुलंद रखी और उच्च न्यायलय तक गया पर किसी नें भी उसकी फ़रियाद नही सुनी। अततः कष्मीर सिंह की पत्नी ने प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटाया जहां से उनको अगर कुछ मिला तो केवल अष्वासन की जांच की जायेगी मामला रक्षा मंत्रालय गया पर वहां भी कुछ नही हुआ । आखिरकार उन नापाक अधिकारियो को इस जाबांज सिपाही कें सामने झुकना ही पडां पर इस बार फिर उनके इरादे नेक नही थे । कष्मीर सिंह की जज्बे की बोली लगी ताकि उसके इमान को खरीदा जा सकें। बोली की कीमत थी चार लाख रूपए लेकिन भी कष्मीर सिह का इमान नही डगमगाया और वह जवान अभी भी अपने इमानदारी पर कयम है। क्योकी उनके दिल में देष बसता है।
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