20 June 2013

क्या एनडीए के बिखरने का सबसे ज्यादा फायदा यूपीए को होगा ?

जदयू और भाजपा का 17 साल पुराना रिश्ता आखिरकार टूट ही गया। इसकी जानकारी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल डीवाई पाटिल से मुलाकात कर दी। नीतीश कुमार ने राज्यपाल से कहा कि भाजपा के साथ उनकी सरकार का गठबंधन समाप्त हो गया है। जानकारी के अनुसार नीतीश विधानसभा में 19 जून को अपना बहुमत साबित करने के लिये राज्यपाल से विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। इससे पहले नीतीश ने आज सुबह अपने मुख्यमंत्री आवास पर बिहार कैबिनेट की बैठक बुलायी थी, जिसमें भाजपा के मंत्रियों ने आने से इनकार कर दिया था। भाजपा और जदयू दोनों ने ही गठबंधन टूटने के लिए एक दूसरे को जिम्‍मेदार ठहराया। बिहार के सीएम नीतीश कुमार और जदयू अध्‍यक्ष शरद यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर गठबंधन टूटने का औपचारिक ऐलान किया। नीतीश ने कहा है कि वह 19 जून को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बहुमत साबित करना चाहते हैं।

गुजरात व बिहार के मुख्यमंत्रियों में यूं तो बिहार विधानसभा चुनाव के पहले से ही दूरियां बढ़ गई थीं जब नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं को भोज का न्यौता देकर उसे रद्द कर दिया था। उसके बाद कोसी बाढ़ पीड़ितों के लिए गुजरात से भेजे गए पांच करोड़ का चेक लौटाकर तथा मोदी को बिहार में प्रचार करने आने से रोककर नीतीश ने राजग में अपनी मनमाने इरादे जाहिर कर दिए थे। मोदी को भाजपा की प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब भाजपा व जनता दल यूनाइटेड का 17 साल पुराना गठबंधन टूट गया जिस पर गुजरात भाजपा का कहना है कि यह काफी पहले टूट जाना चाहिए था जब नीतीश ने भाजपा पर अपनी शर्ते लादना शुरू की थी। तब से ही मोदी खेमे ने जदयू के साथ दो-दो हाथ करने की तैयारी शुरू कर दी थी इसके लिए बिहार भाजपा के नेताओं से संपर्क साधकर बाकायदा राजनीतिक हालात की लगातार समीक्षा भी की गई।

एनडीए से जदयू के अलग होने पर पहली प्रतिक्रिया भाजपा प्रवक्‍ता मुख्‍तार अब्‍बास नकवी की तरफ से आई। उन्‍होंने कहा, ‘भाजपा मोदी को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी, चाहे गठबंधन एक बार टूटे या दस बार। हम चाहते थे कि गठबंधन अटूट रहे। हमारी पार्टी अपने हित से जुड़े फैसले करने के लिए आजाद है और इस पर किसी को सवाल उठाने का हक नहीं है। एक बार जब फैसला लिया जा चुका है तो हम इससे पीछे नहीं हटने वाले हैं।’ बिहार में एनडीए गठबंधन टूटने का दर्द नकवी के चेहरे पर साफ दिखाई दिया जब उन्‍होंने कहा, ‘दुश्‍मन न करे, दोस्‍त ने वो काम किया है। दोस्‍त ने दुश्‍मनों जैसा काम किया है।’ भाजपा नेता सुषमा स्‍वराज ने ट्वीट किया, ‘एनडीए का टूटना दुखद और दुर्भाग्‍यपूर्ण है।’ भाजपा अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि भाजपा और जदयू ने कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए हाथ मिलाया था और जब ऐसा करने का वक्‍त आया तो जदयू ने हमसे नाता तोड़ लिया। मोदी को भाजपा चुनाव अभियान समिति का अध्‍यक्ष बनाना कोई अपराध है क्‍या? यह बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण है। उन्‍होंने यह भी कहा कि जदयू भाजपा के बिना ज्‍यादा दिनों तक सियासत में नहीं टिक सकती।

भाजपा और जदयू के बीच 17 सालों से जारी गठबंधन के टूटने से राजग संकट में आ गया है। गठबंधन टूटने से 2014 में भाजपा की सरकार बनने की उम्मीद कर रहे लोगों की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है। शरद यादव ने कहा, ‘एनडीए गठबंधन पिछले 17 सालों था। अटल-आडवाणी-जॉर्ज के साथ बैठकर इसका एजेंडा बनाया गया था। इस दौर में कई उतार चढ़ाव आए। लेकिन अब एनडीए नेशनल एजेंडे से भटक गया है। हमारी लगातार कोशिश रही है कि जो एनडीए है, उसके राष्ट्रीय मुद्दे के दायरे में हम सभी चले। हमने साफ कर दिया था कि राष्ट्रीय मुद्दे के दायरे में हम 17 साल तक चलते रहे। पिछले 7-8 साल में दोनों दलों में बिहार में भी अच्छा समन्वय रहा है। पिछले दिनें गोवा में हुई भाजपा की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी के पहले भी हमने साफ कहा कि हम प्रदेश की जनता के साथ बंधे हैं, इससे कोई छलकेगा तो हम साथ नहीं चलेंगे। मोदी को पार्टी का चुनाव प्रमुख बनाया जाना हमारे लिएकोई मुद्दा नहीं था, लेकिन उसके बाद जो भाषण हुए वो सही नहीं था। भाजपा राम मंदिर के मसले को ला रही है। दोनों पार्टियों के बीच मतभेद को देखते हुए हमने निर्णय लिया कि हमारा रास्ता अलग होगा। मैं एनडीए संयोजक की जिम्मेदारी को भी त्यागता हूं।

शायद राजनीति इसी का नाम है। दोस्त और दुश्मन कब बदल जायें कोई ठिकाना नहीं। लेकिन राज्य में 17 साल पुराना गठबंधन टूटने की पटकथा को शायद भाजपा नेतृत्व नहीं समझ पाया। समझ पाता तो उसके मंत्रियों को इस कदर नीतीश के कूचे से बाहर नहीं जाना पड़ता।भाजपा व जनता दल यू के रिश्तों में लंबे समय से खटास थी, दोनों को अलग भी होना था और लंबे समय से दोनों इसका सही वक्त ढूंढ रहे थे। हालांकि गुजरात में भाजपा व जदयू का गठबंधन पहले भी नहीं था, लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर रिश्ता टूटने के बाद जदयू गुजरात में पूरी धमक के साथ मैदान में उतरना चाहता है।

भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद जदयू की नई राह क्या होगी इसे लेकर पार्टी में मंथन जारी है।नीतीश कुमार और उनके भरोसेमंद नेता लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ तालमेल के हक में हैं, बशर्ते कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र की यूपीए सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग मंजूर कर ले। वहीं, जदयू के कुछ नेता ममता बनर्जी और नवीन पटनायक के साथ मिलकर फेडरल फ्रंट बनाकर लोकसभा चुनावों के बाद अपने राजनीतिक विकल्प खुले रखने की वकालत कर रहे हैं।जदयू के महासचिव केसी त्यागी कहते हैं कि अभी हम कांग्रेस-भाजपा से समान दूरी बनाकर चलेंगे। लेकिन धर्मनिरपेक्ष राजनीति के सभी विकल्प खुले रहेंगे।

भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के 17 पुराना गठबंधन टूटने से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी नाराज हो गए हैं। आडवाणी ने जदयू से रिश्ता टूटने के लिए सीधे-सीधे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है।लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि गोवा में मोदी पर फैसला जल्दबाजी में लिया गया। इसी कारण जदयू से गठबंधन टूटा है।गौरतलब है कि गोवा में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी को प्रचार अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया था। यह फैसला आडवाणी की गैर मौजूदगी में लिया गया था। इससे नाराज होकर आडवाणी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी,प्रचार समिति और संसदीय बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था।हालांकि उन्होंने एनडीए के चेयरमैन पद, लोकसभा की सदस्यता और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था। दो दिन बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत के हस्तक्षेप के बाद आडवाणी ने इस्तीफा वापस ले लिया था।

फिलहाल जदयू के गठबंधन से अलग होने के बाद अब एनडीए की ताकत कम तो हुई है और वहीँ संप्रग को इससे से बहुत बड़ी राहत मिली है ।नरेन्द्र मोदी के नाम पर बिदकी जदयू ने हालाँकि एनडीए से अलग होने का जो फैसला लिया है ,उसे उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है।मगर अब इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि नरेन्द्र मोदी कि राह अब और भी कठिन होनेवाली है ।नरेन्द्र मोदी केवल प्रधानमंत्री पद के सशक्त दावेदार हो सकते हैं जबकि भाजपा अपने बूते पर लोकसभा की 200 से अधिक जीत पायेगी ।क्योंकि अब एनडीए के नाम पर सिर्फ अकाली दल ही भाजपा के साथ है क्योंकि बीजू जनता दल और जयललिता भी कब एनडीए से मुंह फेर लें कुछ कहा नहीं जा सकता है।एनडीए के बिखरने का सबसे ज्यादा फायदा यूपीए को ही होगा ।

No comments:

Post a Comment