08 June 2013

आपसे सीखा है दर्द में भी मुस्कुराना- “फादर्स डे” स्पेसल !

मातृ देवो भवः पितृ देवो भवः ये वही वाक्य है जो माता पिता को देव यानी की भगवान होने का दर्जा प्रदान करता है। परंतु अब इन वाक्यों का अभिप्राय हमारे युवा पीढ़ी से कोसों दूर हो गई है। आज की युवा पीढ़ी अपने माता-पिता को पुरानी पीढ़ी कह कर नकारने लगी है। मगर किसी भी बच्चे के जीवन में उसके माता पिता का स्थान कोई नहीं ले सकता। आपके पहले दोस्त पहले अध्यापक और एकमात्र सच्चे संरक्षक सिर्फ और सिर्फ माता पिता ही होते हैं। क्योंकि वह ना सिर्फ आपसे प्यार करते हैं बल्कि एक वट वृक्ष की भांति आपको और आपके पूरे परिवार को अपनी छाया में रखकर संरक्षण भी प्रदान करते हैं। आप भले ही अनदेखा कर दें लेकिन सच यही है कि आज भी वह आपकी हर छोटी छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी बड़ी बड़ी जरूरतें दरकिनार कर देते हैं। मगर आज के हमारे युवा पीढ़ी जब खुद को अपने पैर पर खड़े हो जाते है तो उन्हें अपने आप से अलग कर देते है। फिर भी पिता के मन में अपने लाडले के लिए प्यार में कोई कमी नहीं आती है।

वैसे तो किसी भी संतान के लिए अपने पिता के अनमोल ऋण को चुका पाना संभव नहीं है, लेकिन अगर फिर भी आप उनके लिए कुछ करना चाहते हैं तो आपके जीवन में शामिल सबसे महत्वपूर्ण शख्स को समर्पित दिन फादर्स डे पर आपकी बारी है कि आप उनके प्यार दुलार और उनसे जुड़ी अपनी भावनाओं को उन तक पहुंचाएं, कुछ पल उनके साथ बिताए और उनके जरूरत और सपनों को पूरा करें। यही उनके लिए सच्ची सेवा होगी। आज जब हम उनके साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चलना चाहते, तब बचपन के उन पलों को हमें याद करना चाहिए जब हमें अपने हाथों का सहारा देकर चलना सिखाया।

आज की युवा पीढ़ी बाहरी दिखावटों, पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर अपने आदर्शों और संस्कारों को खोती चली जा रही है। जिससे समाज में पितृत्व धर्म आज संकट में पड़ गई है। आज बुजुर्ग माता पिता की जिंदगी घर के एक कोने में बेबस सी होकर रह गयी है। कुछ युवा आज एैसे भी है जो अपने माँ बाप को घर में रखना ही पसंद नहीं करते हैं। एैसे इन बेषाहारा मां बाप को बृद्ध आश्रम में जिंदगी के आखिरी पल काटने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। तो एैसे में सवाल खड़ा होता है की क्या आज की युवा पीढ़ी पितृत्व धर्म को भूल गई है।

                    पिता एक जीवन को जीवन का दान है, पिता दुनिया दिखाने का अहसान है,
              पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो, पिता का अपमान नहीं उन पर अभिमान करो।

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