09 June 2013

क्या हम हमाराणा प्रताप को भूल गए है ?

                      महाराणा प्रताप इस भारत भूमि के, मुक्ति मंत्र का गायक है।
                      महाराणा प्रताप आजादी का, अपराजित काल विधायक है।।


भारतभूमि सदैव से ही महापुरुषों और वीरों की भूमि रही है। यहां ताकत और साहस के परिचायक महाराणा प्रताप, झांसी की रानी, भगतसिंह जैसे लोगों ने भी जन्म लिया है। यह धरती हमेशा से ही अपने वीर सपूतों पर गर्व करती रही है। ऐसे ही एक वीर सपूत थे महाराणा प्रताप। महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास में वीरता और राष्ट्रीय स्वाभिमान के जीता जागता उदाहरण हैं। इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये हमेशा ही महाराणा प्रताप का नाम सबसे उपर रहा है। मगर आज हम ऐसे विरयोध्दा को भूलते जा रहे है। दिल्ली में सम्राट अकबर का राज्य था जो भारत के सभी राजा-महाराजाओं को अपने अधीन कर मुगल साम्राज्य का ध्वज फहराना चाहता था। मगर महाराणा प्रताप जैसे कर्मठ योध्दा की ललकार से अकबर के किला की दिवारें हील उठती थी।

 मेवाड़ की भूमि को मुगल आधिपत्य से बचाने हेतु महाराणा प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक मेवाड़ आजाद नहीं होगा, मैं महलों को छोड़ जंगलों में निवास करूंगा। किन्तु अकबर का अधिपत्य कभी स्वीकार नहीं करूंगा। अभूतपूर्व वीरता और मेवाड़ी साहस के चलते मुगल सेना के दांत महाराणा प्रताप ने खट्टे कर दिए और सैकड़ों अकबर के सैनिकों को मौत के घाट उतार दिए। बालक प्रताप जितने वीर थे उतने ही पितृ भक्त भी थे उनकी मां भी उस विर को हमेषा युध्द के लिए तैयार रखती थी।

इस देश में एक समय ऐसा भी आया जब भारतीय सत्ता दो भागो में बट गयी इस्लामिक सत्ता जो अकबर के हाथ में थी दूसरी हिन्दू सत्ता जो महाराणा प्रताप द्वारा नियंत्रित थी, मगर इसी वंश के पूवर्जो ने एक लाख की सेना संगठित कर ईरान से लेकर अफगानिस्तान तक जीत का भगवा झंडा फहराया जिसका केंद्र मेवाड़ था। इसी मेंवाड़ की धरती पर महाराणा प्रताप जैसे तेजस्वी राजपुरुष पैदा हुए जिन्होंने इस्लामिक सत्ता को हमेशा चुनौती ही नहीं दी, बल्कि मेवाड़ को भारतीय हिन्दू सत्ता का केंद्र बनाऐ रखा। सम्पूर्ण जीवन युद्ध करके और भयानक कठिनाइयों का सामना करके महाराणा प्रताप ने जिस तरह से अपना जीवन व्यतीत किया उसकी प्रशंसा इस संसार से कभी मिट न सकेगी। मगर आज हम अपने आदर्श पुरुषों को स्मरण तक नही कर पाते है। महाराणा प्रताप व छत्रपति शिवाजी जैसे वीरों के नाम हमारे सामने आते है। मगर हमे उन्हे याद करने के लिए समय नहीं है। तो एैसे में सवाल खड़ा होता है की क्या हम हमाराणा प्रताप को भूल गए है?


                             राणा प्रताप की कर्मशक्ति, गंगा का पावन नीर हुई।
                            राणा प्रताप की देशभक्ति, पत्थर की अमिट लकीर हुई।।

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