15 June 2013

क्या हर भारतीय को सैन्य शिक्षा अनिवार्य किया जाए ?

1962 में हुए भारत चीन युध्द के बाद सैनिक शिक्षा को देश के हर नागरिक को अनिवार्य की मांग उठी थी। मगर आज तक देश में इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मगर अब ये आज के दौर में और भी महत्वपूर्ण हो गयी है। एैसे में जरुरत है की आज एक सार्थक कदम के साथ इस सैन्य शिक्षा की अनिवार्यता को समझा जाय और इसे अमल में लाने के प्रयास किया जाए। इससे सेना पर निर्भरता भी कम होगी और हर आदमी कम से कम ऐसी घटनाओं से अपनी रक्षा करने  में आत्मनिर्भर बन सकेगा। जिस प्रकार से आज विश्व के लगभग 21 से जयादा देश में सैन्य देश अनिवार्य है उसको लेकर अब देश के अंदर भी ये मांग एक बार फिर से तेज हो गई है कि भारत में भी सैन्य शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।

देश के  हर नागरिक को मिलिट्री ट्रेनिग अनिवार्य रूप से दी जाय। चाहे भले ही सबको हथियार और गोले बारूद इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग न जी जाय मगर कम से कम बेसिक चीजें अवश्य  जुडी हो जैसे युद्ध, हवाई हमलों, आतंकवादी हमलों, प्राकृतिक आपदाओं आदि में एक नागरिक को किस प्रकार सक्रिय होना  चाहिए और उसकी क्या भूमिका हो सकती है ? सैनिक शिक्षा सिर्फ सीमा पर  लड़ रहे जवानो से ही संबंधित नहीं है, आज कई बार तो हालत देश के अंदर ही युद्ध जैसे भीषण हो जाते है। देश में 26/11 जैसे मुंबई में हुए आतंकवादी हमला इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

सेना का जितना ही आक्रामक पहलू महत्वपूर्ण होता है उतना ही महत्वपर्ण अपना तथा  अपने नागरिकों का बचाव भी होता है। ऐसे आतंकवादी  हमलों  के दौरान एक नागरिक का क्या कर्तव्य हो सकता है, मसलन वह कैसे अपने हो छिपा कर बचा सकता और फिर दूसरे फँसे लोंगों को कैसे बचाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त आतंकवादियों से मोर्चा सम्हाले अपने जवानों की किस तरह से मदद की जा सकती है, यह सैनिक शिक्षा के माध्यम से हर नागरिक को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। साथ ही सैनिक शिक्षा गुंडों, चेन स्निचरो और बदमाशों से निपटने में आम नागरिक के लिये लाभप्रद साबित हो सकती है।

लड़ाई सीमा पर  जवान लड़ता है मगर उसकी यह लड़ाई बहुत हद तक उसके बैक अप, सप्लाई लाइन और पीछे से मिल रहे सहयोग पर निर्भर करती है, ऐसे में आम जनता की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। रसद, गोला बारूद और  अन्य चीजों की सप्लाई में नागरिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। सेना अकेले ही यह सब त्वरित गति से नहीं कर पाती ऐसे में अगर एक प्रशिक्षित जनता का पूरा सहयोग  मिले तो जयादा बेहतर हो सकता है। आज हमारे देश में व्यवसायिक शिक्षा, सेक्स शिक्षा, शारीरिक और योग शिक्षा आदि पर तो बहस होती है मगर सैनिक शिक्षा पर न के बराबर बहस हुई है।

आरएसएस, के सर संघसंचालक मोहन भागवत ने देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर बढ़ते खतरे के मद्देनजर पहले ही ये मांग कर चुके है की देश में सैन्य शिक्षा अनिवार्य किया की जाए। युद्ध के समय सिर्फ जवान ही नहीं मरता है वरन दुश्मन के हमलों में आम नागरिक भी मारे जाते है। हर नागरिक को यह पाता होना चाहिए की दुश्मन के जमीनी, हवाई, नुक्लियर बायोलोजिकल व केमिकल जैसे हमलों मे किस तरह से सरवाईव  करना है। हवाई हमलों के दौरान बलैक आउट और  गड्ढों व बंकरों  में छिपना तथा  रासायनिक और जैविक हमलों के असर से  किस तरह से कम प्रभावित हुए बचा जा सकता है, यह हर नागरिक के लिये जानना महत्वपूर्ण होना चाहिए।

वह देश जहाँ सैन्य सेवा अनिवार्य है

इजराइल- 18 साल या 12 वीं ग्रेड के बाद सभी पुरुषों तथा महिलाओं के लिए अनिवार्य।
पुरुषों के लिए तीन,
जबकि महिलाओं के लिए दो साल की सेवा अनिवार्य है।

मैक्सिको- 18 साल की आयु के सभी पुरुषों को एक साल की मिलिटरी सेवा का पंजीकरण अनिवार्य।

रूस- 18-27 साल के पुरुषों के लिए 12 महीने की सेवा

टर्की- 20-41 साल के सभी पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य, उच्च शिक्षा के छात्रों को कोर्स पूरा करने की छूट

जर्मनी- पुरुषों को नौ माह तक, महिलाओं को ऐच्छिक

आस्ट्रिया- 18-35 साल के लोगों के लिए 6 महीने की अनिवार्य सैन्य सेवा

बेलारूस- 18-27 साल के लोगों के लिए अनिवार्य, उच्च शिक्षा के लिए 12 महीने, जबकि सामान्य शिक्षित के लिए 18 महीने की सेवा

ब्राजील- 18 साल से ऊपर के सभी पुरुषों को 12 महीने की सेवा

चिली- 18-45 साल के पुरुषों की 12 महीने की सेना तथा 24 महीने की नौसेना तथा वायुसेना में सेवा

चीन- अनिवार्य सैन्य सेवा

डेनमार्क- अनिवार्य सैन्य सेवा

मिस्र- 18-30 साल के युवाओं के लिए अनिवार्य, छात्रों को पढाई तक छूट

फिनलैंड- 6 महीने की अनिवार्य सेवा

यूनान- पुरुषों के लिए एक साल की अनिवार्य सेवा

ईरान- 21 महीने की अनिवार्य सेवा

दक्षिण कोरिया- 24-27 महीने की अनिवार्य सेवा

नॉर्वे- 18 .5 से 44 साल के पुरुषों के लिए 19 महीने की अनिवार्य सैन्य सेवा

पौलैंड- पुरुषों के लिए 9 महीने की अनिवार्य सेवा

सिंगापुर- 18 -21 साल के पुरुषों के लिए 24 महीने की अनिवार्य सेवा

स्वीडन- सन् 1902 से सैन्य सेवा अनिवार्य

स्विट्जरलैंड- पुरुषों के लिए अनिवार्य, महिलाओं के लिए ऐच्छिक

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