हरियाणा के 5 बार के मुख्यमंत्री रहे ओपी चौटाला को
पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनकी पार्थिव शरीर को सिरसा के तेजा
खेड़ा गांव स्थित फार्म हाउस में बनाए समाधि स्थल पर मुखाग्नि के बाद पंचतत्व में
विलीन हो गए। चौटाला साहब की अंतिम विदाई में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर
और सीएम नायब सैनी शामिल हुए।
इससे
पहले दोपहर 2
बज तक उनकी
पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए इसी फार्म हाउस में रखा गया। जहां उनका शरीर
तिरंगे में लपेटा गया। उन्हें हरी पगड़ी और चश्मा पहनाया गया। अंतिम विदाई के मौके
पर राजनीतिक तौर पर अलग उनके दोनों बेटे अजय चौटाला व अभय चौटाला और ओपी चौटाला के
भाई रणजीत चौटाला भी एक साथ मौजूद रहे।
चौटाला
का शुक्रवार को दोपहर 12
बजे दिल का
दौरा पड़ने से गुरुग्राम में निधन हुआ था। वे 89 साल के थे। इसके बाद उनकी पार्थिव शरिर
शुक्रवार रात ही सिरसा स्थित तेजा खेड़ा फार्म हाउस में लाई गई। पिता के निधन पर उनके छोटे बेटे अभय चौटाला ने सोशल
मीडिया पर लिखा कि पिताजी का निधन सिर्फ हमारे परिवार की नहीं,
बल्कि हर उस व्यक्ति की व्यक्तिगत क्षति है, जिनके लिए
उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उनका संघर्ष,
उनके आदर्श और उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
ओपी चौटाला के निधन पर उनके दोस्त व पूर्व विधायक गणपत राय ने
शोक जताया। गणपत राय ने ओपी चौटाला के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि चौटाला
उनके दोस्त थे इसलिए वे उनको ओमी नाम से बुलाते थे। चौटाला के साथ पार्टी में रहकर
भी काम किया, उनका काम बोलता
था। सरल स्वभाव के चौटाला का हरियाणा के विकास में विशेष सहयोग रहा है।
ओमप्रकाश चौटाला हिंदी,
पंजाबी, संस्कृत और उर्दू के ज्ञाता थे। अपने
राजनीतिक सफर में सत्ता विरोध के चलते चौटाला कई बार जेल भी गए। आपातकाल के दौरान उन्होंने 19 महीने की जेल काटी थी। आज के
साइबर सिटी गुरुग्राम को विकसित करने और इसके विकास का अमलीजामा पहनाने में चौटाला
का सबसे बड़ा योगदान रहा है। हरियाणा में बड़े उद्योग भी चौटाला के मुख्यमंत्री
रहते ही लगे थे, जिनमें मारूति सुजुकी और होंडा जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर की
कंपनियों ने अपने उद्योग हरियाणा में लगाए थे। कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने ओपी चौटाला को श्रद्धांजली
देते हुए कहा कि चौटाला साहब एक अनुशासित सिपाही थे। आखिरी समय तक वे लोगों के बीच
ही रहना पसंद किया।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला
भले ही थोड़े-थोड़े समय के लिए पांच बार मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उन्होंने आठ साल तक विधानसभा में नेता
प्रतिपक्ष का दायित्व भी संभाला। चौटाला सिर्फ एक बार साल 2000 से 2005 तक पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री रहे हैं। इनेलो पार्टी का गठन करने
में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का अहम योगदान रहा।
कांग्रेस
सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अंतिम विदाई में शामिल होने के बाद कहा कि उनके
जाने से एक युग का अंत हो गया और हरियाणा ने एक बेटा खो दिया।
ओमप्रकाश चौटाला संगठन के व्यक्ति थे और जानते-समझते थे कि
संगठन में जो ताकत है, वह किसी में भी नहीं है। चौटाला की सरकार में
वित्त मंत्री रह चुके कांग्रेस नेता प्रो. संपत सिंह एक किस्से का जिक्र करते हुए
बताते हैं कि एक बार दिल्ली के हरियाणा भवन में देवीलाल काफी परेशान दिख रहे थे। देर रात तक उन्हें नींद नहीं
आ रही थी। वे दिल्ली की राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन उनकी चिंता ये थी कि
उनके बाद हरियाणा की कमान कौन संभालेगा। कहीं पार्टी और परिवार बिखर तो नहीं
जाएगा। इसी बीच उनका दरवाजा खटखटाया। देवीलाल बोले कि आओ संपत, नींद नहीं आ रही है। मैंने पूछा कि क्या हुआ
चौधरी साहब। देवीलाल ने जवाब दिया कि मैं दोराहे पर
खड़ा हूं। उप प्रधानमंत्री बनूं या मुख्यमंत्री बना रहूं? समझ नहीं आ रहा। संपत सिंह ने कहा, इसमें सोचने वाली क्या बात है। आपको
इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिल रही है, आप उप प्रधानमंत्री
बनिए। तब देवीलाल ने पूछा कि यहां किसे कमान दूं। संपत सिंह ने जवाब दिया कि
आप जो फैसला करेंगे, वह सब मानेंगे। तब देवीलाल ने कहा, ओम कैसा रहेगा? संपत सिंह बोले कि
ठीक रहेंगे जी। इसके बाद देवीलाल ने घंटी बजाई और पीए को बुलाकर कहा, वीपी सिंह से बात कराओ। तब रात के करीब 11 बज रहे थे। देवीलाल ने वीपी
सिंह से कहा, मैं भी आपके साथ डिप्टी प्राइम मिनिस्टर की शपथ लूंगा और फोन काट
दिया। अगले दिन दिल्ली में लोकदल के विधायकों की बैठक हुई। देवीलाल ने कहा कि ओम
प्रकाश मेरी जगह लेगा और हरियाणा का मुख्यमंत्री बनेगा। और फिर चौटाला साहब
हरियाणा के सीएम बन गए। ओम प्रकाश चौटाला से जुड़ी ऐसे अनेकों किस्से कहानियां हैं
जिसकी चर्चा हरियाणा की राजनीति में लोग अक्सर किया करते हैं।
एक बार चौटाला साहब के एक ख़ास कार्यकर्ता ने अपने लड़के को
विश्वविद्यालय में किसी पोस्ट के लिए सिफारिश करने के लिए कहा। तुरंत उन्होंने
वीसी को फोन लगाने के लिए बोला। उधर से वीसी साहब का जबाब आया कि साहब लगा तो दूं, नॉर्म्स पूरे नहीं हैं। चौटाला साहब बोले "जब तू
वीसी लाया मनै तो नोर्मस तो तेरे भी पूरे ना थे।" वे एक ऐसे नेता थे जिसने
शायद ही कभी ऐसा कहा हो, 'मेरे कहने का ये मतलब नहीं
था, मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर
पेश किया गया है।'
अधूरा रह गया ये राजनीतिक सपना
ओमप्रकाश चौटाला राष्ट्रीय
राजनीति में तीसरा मोर्चा बनाने चाहते थे
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री
प्रकाश सिंह बादल और जिगरी दोस्तों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जम्मू-कश्मीर के पूर्व
मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह
यादव के साथ चौटाला ने क्षेत्रीय दलों को एक मंच पर लाने के लिए लंबी मुहिम चलाई
मगर ओमप्रकाश चौटाला का भाजपा और कांग्रेस की टक्कर में तीसरे मोर्चा खड़ा
करने का सपना पूरा नहीं हो पाया
शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल जाने के बाद उन्होंने तीसरे मोर्चे की
जिम्मेदारी अपने छोटे बेटे और इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला को दी पर
डाली
इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला जो लगातार क्षेत्रीय दलों को एक
मंच पर लाने की कोशिश में जुटे रहे
इस दौरान
ओमप्रकाश चौटाला भी निरंतर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, सामाजिक न्याय के बड़े योद्धा शरद यादव और उत्तर
प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती संपर्क में रहे
पिछले लोकसभा और
विधानसभा चुनाव में इनेलो ने बसपा के साथ मिलकर लड़ा, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे मोर्चे की बात नहीं
बन पाई
चौटाला चाहते थे
कि तीसरे मोर्चे का नेतृत्व नीतीश कुमार करें, लेकिन वह पाला
बदल गए
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी
देवीलाल ने ‘लोकराज लोकलाज से चलता है’ का जो मंत्र दिया था, उसे ओपी चौटाला ने बखूबी
अपनाया। वह ओमप्रकाश चौटाला ही थे जिन्होंने मूल्य वर्धित कर (वैट) प्रणाली अपनाने
की दिलेरी दिखाई। अपने पिता की तरह चौटाला ने कई ऐसे लोगों को राजनीति में मुकाम
तक पहुंचाया, जिन्होंने कभी सपने में भी ऐसा नहीं सोचा था। ताऊ देवीलाल के
बड़े बेटे ने अपने नाम के आगे चौटाला जोड़कर अपने गांव को राष्ट्रीय स्तर पर
प्रसिद्धि दिलाई। चौधरी ओमप्रकाश परिवार के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने अपने नाम के साथ
गांव का नाम चौटाला जोड़ दिया। इसके बाद उनके छोटे भाई रणजीत सिंह से लेकर परिवार
के सभी लोगों ने अपने नाम के साथ चौटाला लगाना शुरू कर दिया। इससे चौटाला गांव को
राजनीतिक गलियारों में नई पहचान मिली।
मुख्यमंत्री के रूप में अपने पूरे कार्यकाल
में चौटाला का ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम इनेलो सरकार की एक बड़ी पहल थी।
मुख्यमंत्री ने हर गांव का दौरा किया, लोगों से उनकी जरूरतों के बारे में पूछा और उनकी मांगों पर अमल करते हुए मौके
पर ही फैसले लिए।
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