संसद में अडानी और संभल
हिंसा को लेकर गतिरोध चल ही रहा था कि अब सत्ता पक्ष ने जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर
कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर हंगामे के कारण 10 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों
में कार्यवाही नहीं चल सकी। लोकसभा में मर्चेंट शिपिंग बिल पेश होने के बाद जोरदार
हंगामा हो गया। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष ने सदन नहीं चलने दिया। कांग्रेस संसद के नियम नहीं मानती। ये
सदन में झोला लेकर के आते हैं। संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है, इसके लिए इन्हें माफी मांगनी
चाहिए। ये सदन नहीं चलने देना चाहते। संसदीय कार्य मंत्री के बयान
पर हंगामा हो गया। हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही बुधवार, 11
दिसंबर
की सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गई। राज्यसभा में सोरोस मुद्दे
पर हंगामे के कारण दिनभर के लिए स्थगित हो गई है।
राज्यसभा
में नेता सदन जेपी नड्डा ने ओसीसीआरपी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह संस्था
दुनिया के देशों को अस्थिर करने में लगी रहती है। इस संस्था ने जो मुद्दे उठाए, लोकसभा में विपक्ष के नेता ने उसे यहां उठाकर यह साबित किया
है कि वे इसका टूल बन रहे हैं। फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स ऑफ एशिया पैसिफिक की
को-चेयरमैन इसी सदन की एक सदस्या हैं। कांग्रेस की नेता का इस संस्था से जुड़ा
होना जो जम्मू कश्मीर को अलग स्टेट के रूप में देखता है, उससे जुड़ा होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा
है। कांग्रेस और जॉर्ज सोरोस का क्या रिश्ता है? गांव-गरीब हमसे पूछ रहा है कि हम
देश की सुरक्षा के लिए खड़े हैं कि नहीं हैं? हम लोगों को विश्वास दिलाते हैं कि हम खड़े हैं।
राज्यसभा
में नेता सदन जेपी नड्डा के आरोप का कांग्रेस ने खंडन किया है। विपक्ष के डिप्टी
लीडर प्रमोद तिवारी ने कहा कि आपने जिस तरह से हंगामे के बीच नेता सदन को सुना, हमें भी अपनी बात रखने का पूरा मौका देंगे। नेता सदन ने
जो कुछ भी कहा है, वह
पूरी तरह से सतही, गलत
और आधारहीन है। मैं इसका खंडन करता हूं। प्रमोद तिवारी ने कहा कि इनके पास कोई
आधार नहीं है लेकिन मैं जो कह रहा हूं, उसका
आधार है। एक अदालत ने इसका संज्ञान लिया है और कोर्ट में मामला चल रहा है कि अडानी
ने इनके अधिकारियों को 23 हजार
करोड़ रुपये की रिश्वत खिलाई है। उस पर
चर्चा हो और इनको भी अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा।
संसद
के चालू शीतकालीन सत्र के 12वें
दिन भी दोनों सदनों में गतिरोध जारी रहा। हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही
स्थगित कर दी गई। दोनों सदन स्थगित होने के बाद विपक्षी सांसदों ने संसद भवन की
सीढ़ियों पर प्रदर्शन किया और सदन चलाओ के नारे लगाए।
सदन में जारी गतिरोध के बीच विपक्ष राज्यसभा के सभापति
जगदीप धनखड़ के खिलाफ हमलावर है। विपक्षी इंडिया ब्लॉक जगदीप धनखड़ को पद से हटाने
के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। विपक्षी गठबंधन ने 1 बजकर 37 मिनट पर राज्यसभा के सेक्रेटरी
जनरल को प्रस्ताव सौंपा। जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 60 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। विपक्षी पार्टियों ने संविधान के आर्टिकल 67-बी के तहत उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की
मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव लाया है। यह प्रस्ताव उपराष्ट्रपति को हटाने
की मांग को लेकर लाया गया है जो राज्यसभा के पदेन सभापति भी हैं। कांग्रेस की ओर
से जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक और
सागरिका घोष ने यह प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा है।
उपराष्ट्रपति पर विपक्ष का आरोप
विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया है कि उनको बोलने
नहीं दिया जाता
चेयरमैन पक्षपात कर रहे हैं, ट्रेजरी बेंच के सदस्यों को बोलने का मौका
दिया जाता है
जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे थे तो उनको बोलने से रोका गया
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च
सदन की कार्यवाही के संचालन का आरोप लगाया है
जयराम रमेश ने कहा है कि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा
कोई विकल्प नहीं था
संसदीय इतिहास में पहला मौका है जब किसी उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के
लिए विपक्षी दल राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं
V.O-उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास
प्रस्ताव को लेकर विपक्ष दो फाड़ में बंटा हुआ है। जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के
लिए राज्यसभा में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से बीजू जनता दल ने किनारा कर लिया है।
बीजेडी के राज्यसभा सांसद डॉक्टर सस्मित पात्रा ने कहा है कि यह प्रस्ताव इंडिया
ब्लॉक की ओर से लाया गया है। बीजेडी इंडिया ब्लॉक के साथ इस पर सहमत नहीं है।
डॉक्टर पात्रा ने ये भी कहा है कि यह ऐसा विषय है जिससे हमारा संबंध नहीं है।
क्या
है अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया ?
उपराष्ट्रपति
को पद से हटाने के लिए संविधान के आर्टिकल 67 बी
में प्रावधान है
कम
से कम 50 सदस्यों
के हस्ताक्षर से राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है
नियमों
के मुताबिक संबंधित प्रस्ताव 14 दिन
पहले राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा जाना चाहिए
राज्यसभा
में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से प्रस्ताव अगर पारित हो जाता है तो इसे लोकसभा को
भेजा जाता है
उपराष्ट्रपति
को पद से हटाने के लिए राज्यसभा से प्रस्ताव पारित होने के बाद इस पर लोकसभा की
सहमति भी जरूरी है
राज्यसभा में विपक्ष
के पास इसे पास कराने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है
विपक्ष के पास 250 में केवल 103 सीटें हैं, लिहाजा उनके लिए आवश्यक बहुमत हासिल कर पाना
मुश्किल है
फिलहाल संसद में
इस प्रस्ताव को सफलतापूर्वक पारित करना विपक्ष के लिए असंभव है
राज्यसभा
और लोकसभा में बीजेपी ने अमेरिकी उद्योगपति जॉर्ज सोरोस के मुद्दे को उठाया। भाजपा
सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पार्टी पर विदेशी ताकतों के साथ संबंध होने का
आरोप लगाया है। राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि देश की एकता को तोड़ने वाली
एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था जिसको फंडिंग करता है सोरोस,
उसका संबंध कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी के साथ है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज
सिंह ने जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर कांग्रेस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि वे लोग
जॉर्ज सोरोस पर स्पष्टीकरण क्यों नहीं दे रहे हैं। गिरिराज ने विपक्ष पर संसद नहीं
चलने देने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे सदन के बाहर अराजकता फैला रहे हैं।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि
अमेरिका के डीप स्टेट के साथ मिलकर गांधी परिवार भारत के खिलाफ साजिश रचने में
शामिल हैं। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का संबंध जॉर्ज सोरोस फाउनडेशन से है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को
अस्थिर करना चाहते हैं। वहीं विपक्ष सरकार को अडाणी और उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार को घेर
रहा है। अब देखना होगा कि आखिर संसद का ये गतिरोध कबतक खत्म होता है।
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