02 December 2024

EVM पर सवाल सियासी तकरार! खड़गे पर संबित पात्रा का तीखा पलटवार- EVM को नहीं, राहुल गांधी को बदलें! मल्लिकार्जुन खड़गे बोले- हमें ईवीएम नहीं बैलेट पेपर चाहिए

 

देशभर में ईवीएम पर सवाल और सियासी तकरार लगातार जारी है। चुनाव आयोग की तरफ से बार-बार सफाई देने के बाद भी EVM पर सवालों का सिलसिला जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जगह चुनावों में बैलेट पेपर के इस्तेमाल की मांग वाली याचिका को एकबार फिर से खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता केए पॉल ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए मतपत्रों को फिर से लागू करना जरूरी है और ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने दावा किया है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है। एलन मस्क के दावे का भी हवाला दिया कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है।

 

EVM पर SC का याचिकाकर्ता से सवाल

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती है’?

जब आप चुनाव हार जाते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ हो जाती है?

जब चंद्रबाबू नायडू या रेड्डी हारते हैं, तो वे कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ हुई।

जब वे जीतते हैं, तो वे कुछ नहीं क्यों नहीं कहते ?

हम इसे कैसे देख सकते हैं?

हम इस याचिका को खारिज कर रहे हैं


वैलेट पेपर से मतदान के अलावा, याचिका में कई दिशा-निर्देशों की मांग की गई थी। जिसमें चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की भी मांग की गई कि यदि कोई उम्मीदवार चुनाव के दौरान मतदाताओं को धन, शराब या अन्य भौतिक प्रलोभन वितरित करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाए। याचिकाकर्ता केए पॉल का कहना था कि 150 से अधिक देशों की वो यात्रा कर चुके हैं विदेशों ने मतपत्र से मतदान को अपना लिया है और भारत को भी इसका अनुसरण करना चाहिए। इसपर पीठ ने कहा कि 'आप बाकी दुनिया से अलग क्यों नहीं होना चाहते?'

 

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की दलील

 

पॉल ने दावा किया कि टेस्ला के सीईओ और सह-संस्थापक एलन मस्क ने कहा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है।

सभी जानते हैं कि चुनावों में धन वितरित किया जाता है, तो पीठ ने टिप्पणी की, 'हमें कभी भी किसी चुनाव के लिए कोई धन नहीं मिला

चुनाव प्रचार के दौरान धन और शराब के उपयोग को विनियमित करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार होना चाहिए।

ऐसी प्रथाएं कानून के तहत प्रतिबंधित और दंडनीय हों।

याचिका में जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक मतदाता शिक्षा अभियान चलाने का निर्देश देने की मांग की गई।

याचिकाकर्ता ने कहा, आज 32 प्रतिशत शिक्षित लोग वोट नहीं डाल रहे हैं

अगर लोकतंत्र इसी तरह खत्म होता रहेगा और हम कुछ नहीं कर पाएंगे तो आने वाले वर्षों में क्या होगा।

150 से अधिक देशों की वो यात्रा कर चुके हैं।

विदेशों ने मतपत्र से मतदान को अपना लिया है और भारत को भी इसका अनुसरण करना चाहिए।

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों में से एक राज्य कांग्रेस के लिए जीत की खुशी लेकर आया तो दूसरे में पार्टी का सूपड़ा ही साफ हो गया लेकिन अब हार जीत के इस खेल से इतर कांग्रेस ने चुनावी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने EVM हटाकर बैलेट पेपर की वापसी की मांग फिर से दोहराई है। संविधान दिवस पर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा है कि हमें ईवीएम नहीं चाहिए। हमें बैलेट पेपर चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाते हुए बैलेट पेपर की पैरोकारी को लेकर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने कटाक्ष किया कि खराबी ईवीएम में नहीं, राहुल गांधी में है। कांग्रेस ईवीएम नहीं, अपने नेता बदले। चुनाव में राहुल का बेकार मैनेजमेंट हरा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ईवीएम को साइड में रखने की बात कह रहे हैं, जबकि जनता ने कांग्रेस को ही साइड में रख दिया है। झारखंड में वह भाजपा से पीछे है और महाराष्ट्र में तो नेस्तनाबूद हो गई। ऐसे में कांग्रेस नेताओं के चेहरे पर हताशा और झल्लाहट आना स्वाभाविक है। संबित पात्रा ने राजीव गांधी के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि बाप बोले बैलेट पेपर ख़राब, बेटा बोले ईवीएम खराब।

हरियाणा चुनाव में भी कांग्रेस ने EVM पर सवाल उठाया था। कांग्रेस की ओर से दायर याचिका में आरोप लागाया गया था कि, कुछ EVM 99 प्रतिशत बैटरी क्षमता पर काम कर रही थीं, जबकि कुछ 60-70 और 80 प्रतिशत से कम बैटरी क्षमता पर काम कर रही थीं। कुछ EVM में काउंटिंग वाले दिन भी 99 प्रतिशत बैटरी थीं। 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसी याचिका दायर करने पर आप पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। आप कागजात सौंपिए, हम देखेंगे। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने दावा किया है कि आठ अक्टूबर को चुनाव नतीजों से पहले ही प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को मोबाइल पर संदेश मिला था कि 14 सीटें कांग्रेस निश्चित रूप से हार रही है। उनके दावे को खारिज करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने कहा कि प्रभारी अगर बीमार थे तो वह अपने किसी परिजन के माध्यम से यह मैसेज भेज सकते थे। पूरी कांग्रेस झूठ पर टिकी हुई है।

 

परिवहन मंत्री अनिल विज ने कहा कि यह कांग्रेस की झूठ बोलने की यूनिवर्सिटी में चैप्टर है कि जब हार जाओ तो ईवीएम को लेकर रोना है। यह तो अपने सिलेबस के मुताबिक चल रहे हैं। ईवीएम कांग्रेस के जीने का सहारा है। जब भी कांग्रेस हारती है तो ईवीएम को लेकर रोती है। यदि हरियाणा में ईवीएम खराब हुई तो इनके भी तो प्रत्याशी जीते हैं।

 

उद्धव गुट की सांसद और प्रवक्ता प्रियंका चतुवेर्दी ने भी ईवीएम के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा है। प्रियंका ने कहा कि हरियाणा हो या महाराष्ट्र होमहाराष्ट्र में तो बकायदा अखबार बता रहे हैं कि 288 में से 95 विधानसभा सीटों जो वोट पोल हुए हैं और जो वोट काउंट हुए हैं, उसमें अंतर है। करीब ऐसे 76 सीट हैं, जो बता रहे हैं कि जो वोट पोल हुए उससे कम गिनती की गई है और 19 ऐसे हैं, जो वोट किए गए हैं, उससे ज्यादा गिनती की गई है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या ईवीएम को एक मीडियम बनाया जा रहा है और ये सवाल हर तरफ से उठ रहे हैं।

महाराष्ट्र चुनाव में मिली करारी हार के बाद महा विकास अघाड़ी के नेता लगातार ईवीएम पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ताजा बयान उद्धव गुट के सांसद संजय राउत का है। राउत ने EVM को फ्रॉड बताया है। उन्होंने कहा कि, हम पिछले 10 साल से इस पर सवाल उठा रहे हैं। जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब बीजेपी ने ईवीएम पर सवाल उठाए थे। उद्धव गुट के इस नेता ने कहा कि इस देश में ईवीएम एक धोखा है और अगर ईवीएम नहीं होगी तो बीजेपी को पूरे देश में 25 सीटें भी नहीं मिलेंगी।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 18वीं लोकसभा की पहली बैठक के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में कहा था कि जब हमारी सरकार बनेगी तो हम ईवीएम को हटा देंगे। 80 में से 80 सीटें जीत जाएंगे, तब भी EVM पर भरोसा नहीं करेंगे।

हालांकि जब-जब ईवीएम पर सवाल उठते हैं, तब-तब चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम में गड़बड़ी की संभावनाओं को जनता के सामने लाने का मौका भी देता है लेकिन आज तक कोई भी राजनीतिक दल इस दौरान चुनाव आयोग के पास नहीं गया। नेता चुनाव में हार की वजह से EVM की विश्वसनीयता पर संदेह जताते हैं। जबकी जीतने के बाद तो राजनीतिक दल जश्न में खो जाते हैं।  

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