हरियाणा
के फरीदाबाद में 38वां इंटरनेशनल सूरजकुंड हस्तशिल्प
मेले का भव्य आगाज हो चुका है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत और CM नायब सैनी ने आज इसका उद्घाटन किया।
इस मेले में 42
देशों के 648 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। जिसमें
मिस्र,
इथियोपिया, सीरिया, अफगानिस्तान, बेलारूस, म्यांमार समेत अन्य देशों के कलाकार
शामिल हैं। इस बार मेले में ओडिशा और मध्यप्रदेश की स्टेट थीम रखी गई है। मेले में
3 विशेष पवेलियन बनाए गए हैं, जिनमें गोवा और ओडिशा के पवेलियन
मुख्य आकर्षण का केन्द्र हैं। मेला 23 फरवरी तक चलेगा। मेले में आने वाले लोगों के
लिए हस्तशिल्प,
लोक कलाएं, विभिन्न व्यंजन और सांस्कृतिक
कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इसके अलावा देश भर से शिल्पकार, कलाकार, मूर्तिकार और हथकरघा बुनकरों ने
अपनी स्टॉल भी लगाईं हैं। भारत के अलावा नेपाल-भूटान जैसे देशों के उत्पाद भी आप
इस मेले में देख सकते हैं।
सूरजकुंड
मेले का इतिहास
सूरजकुंड मेले का
इतिहास 10वीं शताब्दी से जुड़ा
है
‘सूरजकुंड’ का निर्माण तोमर वंश
के राजा सूरज पाल ने करवाया था
सूरजकुंड का अर्थ है 'सूरज का तालाब'
यह मेला हरियाणा के फरीदाबाद
में प्रत्येक वर्ष लगता है
मेले का आयोजन सूर्य देवता
के सम्मान में किया जाता है
मेला भारत की समृद्ध
सांस्कृतिक विरासत को दिखाता है
सूरजकुंड मेले का आयोजन
सूरजकुंड गांव में किया जाता है
सूरजकुंड मेले को आधिकारिक
रूप से 1987 में आयोजित किया
वर्ष
2013
में इस मेले को
अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिला था
मेले में हस्तशिल्प, हथकरघा, लोक कला, लोक व्यंजन का प्रदर्शन होता है
मेले में हर साल किसी
एक राज्य को थीम बनाया जाता है
इस मेले में देश-विदेश
से पर्यटक आते हैं
इस साल सूरजकुंड
मेले में एंट्री टिकट की कीमत 120 रूपये और वीकेंड
पर 180 रूपये रखी गई है। मेले की टिकट एंट्री गेट पर
आसानी से मिल जाएगी, अगर आप चाहें तो ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं। सूरजकुंड
मेले में आने के बाद आपको भारत की सांस्कृतिक विरासत को नजदीक से देखने का मौका
मिलेगा। यहां पर हस्तशिल्प के होम डेकेरेटिव आइटम और विभिन्न राज्यों के फेमस फूड
का स्वाद चखने का भी अवसर मिलेगा।
सूरजकुंड मेले
का एंट्री टाइम और टिकट रेट
मेले में सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक एंट्री हो
सकेगी
आम दिनों में 120 रुपए की टिकट मिलेगी
वीकेंड पर 180 रुपए की टिकट मिलेगी
स्टूडेंट्स और वरिष्ठ नागरिकों को वीकेंड पर 50% तक की छूट है
DMRC की सारथी ऐप से भी टिकट खरीद सकते हैं
मेले के एंट्री गेट पर स्थित काउंटर से टिकट ले
सकते हैं
सूरजकुंड मेला भारत के सबसे बड़े हस्तशिल्प मेलों में से एक है, इसका प्राचीन इतिहास हजारों वर्ष से ज्यादा पुराना है। 10वीं शताब्दी में ‘सूरजकुंड’ का निर्माण तोमर वंश के राजा सूरज पाल ने करवाया था। बाद में बर्ष 1987 में हरियाणा पर्यटन विभाग ने भारतीय हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इसकी आधिकारिक शुरुआत की। इस मेले का मुख्य उद्देश्य देशभर के शिल्पकारों, कलाकारों और हथकरघा बुनकरों को एक मंच देना था, जहां वे अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें और अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुंचा सकें। मेले में चप्पे चप्पे पर 600 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। दुकानों की संख्या 1100 से बढ़ाकर 1300 कर दी गई है। पिछले साल मेले में 13 लाख से अधिक टूरिस्ट पहुंचे थे। इस बार ज्यादा टूरिस्टों के पहुंचने की उम्मीद है।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि सूरजकुंड
मेला शिल्पकारों और कलाकारों का संगम है। सूरजकुंड मेला लगन और ऊर्जा के साथ
आयोजित किया गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा
के पर्यटन मंत्री और सूरजकुंड मेला प्राधिकरण ने बेहतर आयोजन के लिए सर्वश्रेष्ठ
प्रयास किए हैं। मेला अनेकता में एकता का संदेश देता है। एक भारत के दर्शन मेले
में हो रहे हैं। मेला हमारे देश के हुनरमंद शिल्पकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का
अवसर प्रदान करता है।
मेले के दौरान पर्यटकों को संगीत नृत्य का अनुपम संगम
देखने को मिलेगा, जिसमें
देश भर के सुप्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। सांस्कृतिक संध्या में पंजाबी
गायक सतेंद्र सरताज अपनी प्रस्तुति से रंग जमाएंगे। प्रतिदिन मेला परिसर में लोक
कलाकारों में शामिल बंचारी का नगाड़ा, बीन
सपेरा, नगाड़ा पार्टी, जादू
शो, बांस वाकर, बहुरूपिया, बायोस्कोप और कठपुतली शो मेले में पर्यटकों का ध्यान अपनी
ओर आकर्षित करेंगे।
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