महाकुंभ में आज बसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित
तीसरे अमृत स्नान में नागा साधु आकर्षण का रहे। उनके विशिष्ट स्वरूप और अनुष्ठानों
की वजह से भारी संख्या में श्रद्धालु उन्हें देखने पहुंचे। अमृत स्नान के लिए
अधिकांश अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं के अनुशासन की हर कोई तारीफ
करता नजर आया। उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो
कभी भाले और तलवारें लहराते हुए महाकुंभ में नागा साधु नजर आए। वसंत पंचमी के मौके पर महाकुंभ में हो रहे अमृत स्नान
पर सीएम योगी अलर्ट मुद्रा में रहे। वह लगातार अधिकारियों को इससे संबंधित निर्देश
देते रहे।
वॉर रूम में
मुख्यमंत्री की सक्रिय निगरानी
मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ प्रातः साढ़े तीन बजे से अपने सरकारी आवास स्थित वॉर रूम में बैठक
की
डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह और मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों
के साथ लगातार अपडेट प्राप्त करते रहे
मुख्यमंत्री
ने इस महत्वपूर्ण आयोजन की सुरक्षा और व्यवस्था के संदर्भ में पूरी स्थिति का
जायजा लिया
प्रशासनिक
अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि स्नान के दौरान किसी भी प्रकार की कोई भी
असुविधा न हो
योगी
आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे स्नान स्थल पर पूरी तरह सुरक्षा
व्यवस्था सुनिश्चित करें
आस्था
के इस महान पर्व पर प्रशासन की तत्परता को बढ़ाने का भी आह्वान किया
मुख्यमंत्री
ने विशेष रूप से सुरक्षा व्यवस्था और यातायात प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया
बसंत
पंचमी पर हजारों श्रद्धालुओं को बिना किसी समस्या के संगम में स्नान का लाभ मिला
श्रद्धालुओं
के साथ साधु-संत, महामंडलेश्वर
और देश-विदेश से आए भक्त संगम में पवित्र डुबकी लगाते नजर आए। इसके साथ ही सुरक्षा
के बेहद कड़े इंतजाम किए गए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अमृत
स्नान के लिए अद्भुत और दिव्य महाकुम्भ की सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई।
यातायात पूरी तरह सुचारु रहा और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना
नहीं करना पड़ा। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि हर कोई
खुशी मना रहा है और वह देख सकते हैं कि सनातन धर्म फल-फूल रहा है। आज का दिन बहुत
महत्वपूर्ण है। आज बसंत पंचमी है और होली भी करीब है। हर कोई खुशियां मना रहा है।
मैं सनातन धर्म को फलते-फूलते देख सकता हूँ"
महाकुंभ के दौरान
साधु-संतों, भक्तों, कल्पवासियों और
तीर्थयात्रियों के भक्ति में डूबने से प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी
के पवित्र संगम पर आस्था का अद्वितीय सैलाब देखने को मिला। विदेशी श्रद्धालु ने भी
त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगाए और इस अनुभव से अभिभूत होकर हर हर महादेव नारे
भी लगाए। पवित्र डुबकी लगाने के बाद स्लोवेनिया के श्रद्धालु ने कहा कि "यह बहुत खास है क्योंकि
आज मेरा जन्मदिन है। मैंने पवित्र डुबकी लगाकर अपना जन्म दिन मनाया। यह अद्भुत है।
मैं भारत,
मां गंगा, यमुना, सरस्वती और यहां के लोगों को धन्यवाद देता हूं।"
वसंत पंचमी
पर अमृत स्नान के दौरान महाकुम्भ का डिजिटल स्वरूप भी आकर्षण का केंद्र रहा। जहां
हर व्यक्ति इस दिव्य अनुभूति को अपने कैमरे में सुरक्षित करने के लिए उत्साहित नजर
आया। संगम तट पर फूल-मालाओं से लदे संतों पर उत्साहित श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा
कर उनका स्वागत किया। जिससे पूरे महाकुम्भ का माहौल और भव्य बन गया।
वसंत
पंचमी के अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु
घोड़ों पर सवार थे तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे
हुए थे। जटाओं में फूल, फूलों
की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुम्भ की पवित्रता को और भी
बढ़ा दिया। स्व-अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था, लेकिन वो अपने अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों
का पालन करते हुए आगे बढ़े। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी
खास बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुम्भ
केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि
प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव है। वहीं विदेशी भक्त 'हनुमान
चालीसा' गाते नजर
आए।
पुरुष नागा साधुओं के
साथ ही महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। पुरुष नागाओं
की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क
सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारण करती हैं उसमें भी ये बिना सिलाया
वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें भी परिवार से अलग होना पड़ता है। खुद के साथ परिवार
के लोगों का पिंड दान करना होता है तब जाकर महिला नागा संन्यासी बन पाती हैं। जब
एक बार महिला नागा संन्यासी बन जाती हैं तो उनका लक्ष्य धर्म की रक्षा, सनातन की रक्षा करना
होता है। इस महाकुम्भ में हर कोई इनके बारे में जानने को उत्सुक नजर आया।
निरंजनी
अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज
ने वसंत पंचमी और तीसरे अमृत स्नान कहा कि आज वसंत पंचमी का पवित्र त्योहार मनाया
जा रहा है। सभी सनातनी आज देवी सरस्वती की पूजा करेंगे। कोई सरकार इस परंपरा को
तभी समझ सकती है जब सरकार में कोई हो जो 'धर्म' को समझता हो इसे योगी जी से अच्छा कोई नहीं समझ सकता।
नागा साधुओं ने अपने
व्यवहार और प्रदर्शन से यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मनुष्य के आत्मिक
और प्राकृतिक मिलन का उत्सव है। उनकी हर गतिविधि में महाकुम्भ की पवित्रता और
उल्लास का अद्वितीय अनुभव झलक रहा था। महाकुम्भ 2025 का यह आयोजन नागा
साधुओं की विशिष्ट गतिविधियों और उनकी परंपराओं के कारण लंबे समय तक याद रखा
जाएगा।
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