06 February 2025

अमेरिका से डिपोर्ट संसद में अवरोध ! अमेरिका से वापस भेजे गए भारतीय, डिपोर्ट हुए भारतीयों पर संसद में तकरार, मुसीबत में डाली जान, बिखर गए सपने…! राज्यसभा में विदेश मंत्री ने दिया जवाब, डिपोर्ट पर सड़क से संसद तक संग्राम

 

अमेरिका ने 5 फरवरी को सेना के विमान से 104 भारतीयों को वापस भेजा है। जिनमें से करीब 33 लोग हरियाणा के भी है। वहीं इनमें से सबसे ज्यादा 14 लोग केवल कुरुक्षेत्र जिले के बताए जा रहे हैं। इसके अलावा कैथल, पानीपत और फतेहाबाद समेत कई जिलों के युवा शामिल है। इनमें से कई ही कहानी हैरान करने वाली है। किसी ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़कर एक कैदी की तरह भारत भेजा जाएगा। इससे न सिर्फ इन लोगों के सपने चकनाचूर हुए है। बल्कि, इनके माता-पिता भी लाखों रुपयों के कर्ज में डूब गए हैं।

किस राज्य के कितने लोग हुए डिपोर्ट ?

गुजरात-33

हरियाणा-33

पंजाब-30

महाराष्ट्र- 3

उत्तर प्रदेश- 2

चंडीगढ़-

 

इसे लेकर आज संसद में विपक्ष का जोरदार हंगामा देखने को मिला। इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने अमेरिका से 104 भारतीय प्रवासियों के कथित अमानवीय निर्वासन के खिलाफ 06 फरवरी को संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। विपक्षी सांसदों ने विरोध के प्रतीक के तौर पर खुद को जंजीरों से बांध लिया था, राहुल, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव समेत कई दिग्गजों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। अमेरिका से कथित अवैध भारतीय प्रवासियों के निर्वासन पर बोलते हुए आप सांसद मालविंदर सिंह कांग ने कहा कि इस 'दुर्भाग्यपूर्ण' घटना ने देश की छवि को प्रभावित किया है। अमेरिका से कथित अवैध भारतीय प्रवासियों के निर्वासन पर बोलते हुए आप सांसद मालविंदर सिंह कांग ने कहा कि इस 'दुर्भाग्यपूर्ण' घटना ने देश की छवि को प्रभावित किया है।

 

विपक्ष के हंगामे के बाद अमेरिका से अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में जवाब दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि यदि कोई नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है तो उसे वापस बुलाना सभी देशों का दायित्व है। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार से संपर्क कर रहे हैं कि निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो। लोगों को हथकड़ी लगाए जाने के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि अवैध लोगों को हथकड़ी लगाना अमेरिका की पॉलिसी है। हम जानते हैं कि कल 104 लोग वापस आए। हमारे पास इन लोगो की सूचना थी, हम ही हैं जिन्होंने उन लोगों के राष्ट्रीयता की पुष्टि की। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यह कोई नया मामला है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जो पहले भी होता रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वापस लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ बैठें और पता लगाएं कि वे अमेरिका कैसे गए, एजेंट कौन था, और हम कैसे सावधानी बरतें ताकि यह फिर से न हो।

 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि जो लोग भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना दिखा रहे थे, वे अब चुप क्यों हैं? भारतीय नागरिकों को गुलामों की तरह हथकड़ी लगाकर और अमानवीय परिस्थितियों में भारत भेजा जा रहा है। विदेश मंत्रालय क्या कर रहा है? विपक्ष को संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करने दें।

 

अमेरिका से भारतीयों को वापस भेजने के मुद्दे पर प्रियंका गांधी ने कहा कि बहुत बात की गई थी कि मोदी जी और ट्रम्प जी बहुत अच्छे मित्र हैं, फिर मोदी जी ने ऐसा क्यों होने दिया? क्या इंसानों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है कि उनको हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाकर भेजा जाए? ये कोई तरीका है। प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए।

 

डिपोर्टेशन पर शशि थरूर का बयान

 

यह पहली बार नहीं है जब हमारे लोगों को डिपोर्ट किया गया है

अभी चर्चा इसलिए हुई क्योंकि ट्रम्प ने लोगों की अपेक्षा से थोड़ा जल्दी यह कर दिया है

पिछले साल ही, बिडेन प्रशासन के तहत, 1100 से ज्यादा भारतीयों को वापस भेजा गया था

अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में हैं, तो अमेरिका को आपको बाहर निकालने का अधिकार है

अगर भारतीय के रूप में आपकी पहचान की पुष्टि हो जाती है, तो भारत का दायित्व है कि वह आपको स्वीकार करे

यह पहली बार नहीं इसलिए, इसमें ज्यादा बहस नहीं होनी चाहिए

यह सुनना थोड़ा अटपटा है कि उन्हें जबरन सैन्य विमान में हथकड़ी लगा कर वापस लाया गया

इसकी कोई जरूरत नहीं थी, उन्हें कमर्शियल फ्लाइट पर बिठाकर ही वापस भेजना चाहिए था

 

लोकसभा में सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने भारतीयों के डिपोर्टेशन का मुद्दा उठाया। विपक्ष ने 'सरकार शर्म करो' के नारे लगाए। इस पर लोकसभा स्पीकर ने कहा, विपक्ष को समझाते हुए कहा कि आपकी चिंता के बारे में सरकार को मालूम है। ये विदेश नीति का मुद्दा है। वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का कहना है कि अमेरिका से निर्वासित और अमृतसर लाए गए भारतीयों के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार से मैं बहुत दुखी हूं। वे अपराधी नहीं हैं, उन्हें हथकड़ी लगाने, घंटों बेड़ियों में जकड़ने, हथकड़ी में बंधे हाथों से खाना खाने के लिए क्यों मजबूर किया गया। जाहिर है, वे अवैध रूप से घुस आए हैं। आप उन्हें वापस भेज रहे हैं, भारत सरकार उन्हें वापस ले रही है, लेकिन कम से कम उन्हें गरिमा और सम्मान के साथ वापस तो भेजें।

 

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ने केंन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि "यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब उन्हें डिपोर्ट किया जा रहा था, तो उन्हें अपराधियों की तरह हथकड़ी पहनाई गई थी। यह हमारे प्रधानमंत्री और अमेरिका के साथ हमारे विदेशी संबंधों की विफलता है कि उन्हें इस तरह से वापस भेजा गया। वे केवल बेहतर जीवन, बेहतर रोजगार के अवसर और बेहतर परिणाम के लिए अमेरिका गए थे। उनके साथ इस तरह का व्यवहार करना गलत था।

 

विपक्ष इस मुद्दे को सदन के अंदर और बाहर जोर-शोर से उठा रहा है। आप सांसद संजय सिंह ने अमेरिका से भारत वापस भेजे गए नागरिकों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत राज्यसभा में कार्य स्थगन नोटिस दिया है। अवैध रूप से अमेरिका में प्रवास करने वाले कुछ भारतीयों का कहना है कि उन्हें डंकी रूट के रास्ते से भेजा गया। एजेंट ने उमसे झूठ बोला।

 

क्या है डंकी रूट ?

 

डंकी रूट एक ऐसा रूट होता है जो कई देशों से होकर गुजरता है

इसे लोग विदेश जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं

पंजाब में डंकी का मतलब एक जगह से दूसरी जगह उछलकर या कूदकर पहुंच जाना होता है

भारत से विदेश पहुंचने के रूट को डंकी रूट कहा जाता है

इस रूट के जरिए लोग कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में दाखिल होते हैं

पहले इस रूट का इस्तेमाल खूंखार अपराधी देश छोड़कर भागने के लिए करते थे

विदेश जाने का सपना देखने वाले हजारों लोग इसके जरिए अपने पसंदीदा देश में दाखिल हो रहे हैं


कितना खतरनाक है डंकी रूट ?

 

डंकी रूट बिल्कुल भी सेफ नहीं होता है


इसमें हर कदम पर खतरे होते हैं और कई लोगों की मौत भी हो जाती है


ये रूट इसलिए होता है, क्योंकि इसमें कई देशों की सीमाओं को पार करना होता है


कई बार सीमा पर तैनात जवान अवैध तरीके से घुसपैठ करने वाले लोगों को गोली मार देते हैं


कुछ मामलों में लोग भीषण ठंड या फिर भूख से भी मर जाते हैं


डंकी रूट से लोगों को विदेश ले जाने का एक बड़ा रैकेट चल रहा है

 

कई ट्रैवल एजेंसियां और एजेंट्स इस काम में लगे हुए हैं

 

ट्रैवल एजेंट विदेश पहुंचाने के लिए लोगों से लाखों रुपये लेते हैं

 

कई लोगों ने तो डंकी रूट से अमेरिका पहुंचने के लिए एक करोड़ रुपये तक खर्च किए


एजेंट्स मैक्सिको या फिर कनाडा की सीमा से होते हुए लोगों को अमेरिका में दाखिल करवाते हैं

 

इससे पहले पाकिस्तान और बाकी देशों से होते हुए लोग अमेरिका के पास स्थित देशों तक पहुंचते हैं


पकड़े जाने के बाद उन्हें डिटेंशन कैंप में भेज दिया जाता है और फिर डिपोर्टेशन का प्रोसेस शुरू होता है

 

अमेरिका में ऐसे लोगों की संख्या 1 करोड़ 10 लाख से ज्यादा बताई जाती है

 

 

अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फोर्समेंट के अनुसार 19 हजार अवैध प्रवासी भारतीय डिपोर्ट होंगे। ट्रम्प ने ये कार्रवाई ऐसे समय की है, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को दो दिन की यात्रा पर अमेरिका जाने वाले हैं। 13 फरवरी को पीएम की ट्रम्प के साथ वार्ता प्रस्तावित है। ऐसे में अब देखना होगा कि पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के बाद ट्रंप के रूख में क्या परिवर्तन होता है।

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