13 November 2020

बढ़ती जनसंख्या से दिल्ली का इस्लामीकरण

1951, दिल्ली में मुस्लिमों की आबादी सिर्फ 6 प्रतिषत थी। दिल्ली में कोई भी क्षेत्र मुस्लिम बहुल नहीं था आजादी के वक्त। लेकिन दिल्ली का धीरे धीरे इस्लामीकरण षुरू हो गया। आज दिल्ली में मुस्लिम आबादी 16 प्रतिषत के करीब हो गई है। 16 प्रतिषत तो दिल्ली में लीगल मुस्लिम आबादी है। लेकिन दिल्ली में अवैध बांग्लादेषी और रोहिंग्याओं की संख्या अलग है। दिल्ली में 10 लाख से ज्यादा की संख्या तो 2011 में सामने आई

ऐसे में दिल्ली में 40 लाख से ज्यादा मुस्लिम आबादी हो गई है। दिल्ली के 11 जिलों में से 4 जिलों में मुस्लिम आबादी 30 प्रतिषत से ज्यादा हो गई है। सेंट्रल दिल्ली में सबसे ज्यादा करीब 37 प्रतिषत मुस्लिम आबादी हो गई है। वहीं षहादरा जिले में करीब 36 प्रतिषत तक मुस्लिम आबादी बढ गई है तो नाॅर्थ इस्ट दिल्ली में करीब 35 प्रतिषत मुस्लिम आबादी बढ गई है। दिल्ली के इन जिलों में 1951 में मुस्लिम आबादी 10 प्रतिषत से ज्यादा कहीं भी नहीं थी। वहीं दिल्ली की 10 विधानसभा ऐसी हो गई हैं जहां मुस्लिम आबादी 35 प्रतिषत से ज्यादा है। 

दिल्ली की 5 विधानसभाओं में मुस्लिम आबादी 40 प्रतिषत से ज्यादा हो गई है। दिल्ली में चांदनी चैक, बल्लीमारान, मटिया महल, ओखला और सीलमपुर में 40 प्रतिषत से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। वहीं दिल्ली की रिठाला, षहादरा, सीमापुरी, बदरपुर और मुस्तफाबाद 35 प्रतिषत से ज्यादा मुस्लिम आबादी है।

 दिल्ली की इन विधानसभाओं में नेता सिर्फ मुस्लिमों के घरों के आगे ही मत्था टेक रहे हैं। बाकी समुदायों की न तो कोई परेषानी सुनने वाला है और न ही उनको कोई महत्व दिया जा रहा है। इन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मुस्लिमों के गली गैंग बन गए हैं। गलियों में दूसरे समुदायों की बहन बेटियों को छेडा जाता है। 

जब दूसरे समुदाय के लोग मुस्लिम अपराधियों का विरोध करते हैं तो मुस्लिम अपराधी खुलेआम लोगों का गला काट देते हैं। क्योंकि इन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में कानून का कोई राज नहीं चलता। डरे सहमें दूसरे समुदाय के लोग मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं। मुस्लिम दूसरे समुदाय के लोगों को इस तरीके से परेषान करते हैं कि वो अपना घरबार छोडने को मजबूर हो जाएं।  

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