जैसे-जैसे
जकात को लेकर खुलासे हो रहा है, वैसे-वैसे
उसके कारनामे का कच्चा चिट्ठा खुल कर सामने आरहा है. अब जकात का दायरा सिर्फ
कोचिंग सेंटर तक हीं सिमित नहीं है. जकात की नजर अब देश की सत्ता और अनुसूचित जाती
और जनजातियों के हक को हड़पने की दिशा में बढ़ चला है. जकात देश की सभी सरकारी
तंत्रों से लेकर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी के द्वारा दिए गये अनुसूचित जाती और
जनजातियों के चुनावी सीटों पर भी कब्ज़ा करना चाहता है. जकात फाउंडेशन ऑफ़ इण्डिया
लगातार बाबा साहब जी पर हमला कर रहा है.
मगर जय भीम और जय मीम के नारा देने वाले अब भी मुगालते में हैं की उनका ये
बेमेल गठजोड़ उनका साथ देगा. जिस जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया को आपत्ति है कि मुस्लिम बहुल लोकसभा
सीट अनुसूचित जाती और जनजातियों SC के लिए रिजर्व्ड क्यों है? SC
विरोधी जकात जय भीम करने वालों को कितनी बड़ी साजिस के तहत
उन्हें मिटाने में लगा है शायद उनको इस बात का अभी तक अंदाज़ा नहीं है.
जकात ये खुद दावा करता है कि महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को उसने नोटिस भेजा था. जकात के नोटिस के बाद 30 वार्डों का परिसीमन बदला गया, या फिर उस वार्ड की SC रिजर्व्ड सीट को हटाया दिया गया. जकात ये भी दावा करता है कि उसने पनवेल और नांदेड क्षेत्रों में शिकायत दर्ज कराई थी. अप्रैल 2017 में दिल्ली चुनाव से ठीक पहले जकात फाउंडेशन ने दिल्ली चुनाव आयोग को नोटिस दिया था, जिससे कि परिसीमन को बदला जा सके.
उत्तर
प्रदेश के 554 शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में पिछले तीन महीनों में जकात फाउंडेशन की ओर से हस्तछेप किया गया
है. देश के विभिन्न मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में SC प्रत्याशियों
के विरुद्ध चुनावी प्रक्रिया में हस्तछेप की बात जकात फाउंडेशन ने स्वीकारी है. इनका एक हीं सपना है की बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर
जी के संविधान का गला घोंट कर दलित शोषित वर्ग को कुचला जाय.
No comments:
Post a Comment