जकात पूरे देश के सरकारी तंत्रों पर कब्जे का प्लान बना रहा है. जकात का मकसद सिर्फ सिविल सेवा परीक्षा तक ही सिमित नहीं है. जकात फाउंडेशन की वेबसाइट से प्राप्त “21वी शताब्दी कश्मीरी पुनर्जागरण” नाम से मिले कागजातों में चौकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. इस कागज़ातों में बताया गया है कि कैसे शताब्दियों से भौगोलिक सीमाएं बदलती आई है. साथ ही भारत पर होने वाले पहले इस्लामिक हमले को प्रमुखता से दर्शाते हुए इस्लामिक हमले के बड़े चित्र को उकेरा गया है। जकात का ऐसा मानता है कि इंसान के किसी बड़े मकसद को भूगोल की सीमाओं में बांधा नहीं जा सकता.
नवजागरण में खिलाफत की तस्वीर के साथ
देश के वर्तमान सीमाओं को भूलने की बात बेहद ही खतरनाक है. क्योंकि यही आवाजें
कश्मीर में भारत के विरुद्ध लड़ने वाले अलगाववादी संगठनों की है. इन्हीं में से एक
लेख “इस्लामिक
विश्वविद्यालय विज्ञान व तकनीक” के नाम से लिखा गया गया है. जिसमे कहा गया कि तुम डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड एकाउंटेंट, अध्यापक और कंप्यूटर एक्सपर्ट बन सकते
हो, मगर
इन सब के ऊपर एक सिविल सर्विस का अधिकारी बैठा है. जब हमारे लड़के और लड़कियां
शिक्षा और कानून मंत्रालय में बैठे होंगे तभी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और
जामिया मिलिया इस्लामिया का अल्पसंख्यक दर्जा कोई नहीं छीन सकेगा.
जब हमारे लड़के-लड़कियां जिला अधिकारी होंगे तब अन्याय नहीं हो सकेगा. जब हमारे लड़के-लड़कियां पुलिस अधिकारी होंगे तब कोई भी मासूम को गिरफ्तार नहीं कर सकेगा. जकात सभी जगह अपने धर्म और समुदाय के लोगों बैठना चाहता है. इसके साथ-साथ जकात देश के बड़े सरकारी ऑफिस को कब्जा करने की योजना बना रहा है. जकात चाहता है कि सरकारी आदेश उसके लड़के-लड़कियों के हाथों से पास किया जाय. जकात के इस साजिश भरी सोच से स्पष्ट हो जाता है कि जकात अब पूरे देश की सरकारी तंत्रों पर
कब्जे का प्लान बना रहा है. ऐसे में अगर जकात को नहीं रोका गया तो ये राष्ट्र और समाज के लिए बेहद खतरनाक साबित होगा. जकात का मंसूबा वर्तमान सरकारी तंत्र को दीमक की तरह चाट कर उसका खात्मा करने के साथ-साथ उसकी जगह अपना तंत्र स्थापित करना है.
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