13 November 2020

रोशनी एक्ट भूमि घोटाला: जम्मू कश्मीर ब्यूरोक्रेसी का लैंड जिहाद

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने हमारे की दावे पर एक बार फिर से मोहर लगा दी है. जम्मू कश्मीर में अब तक का सबसे बड़ा रोशनी एक्ट भूमि घोटाला की जाँच अब सीबीआई करेगी. जम्मू कश्मीर की चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस राजेश बिंदल की अध्यक्षता में गठित डिवीजन बेंच ने इस मामले को सीबीआई के हवाले करने के निर्देश जारी कर दिए हैं. ऐसे में अब इस बड़े जमीन जिहाद के जद में बड़े-बड़े नौकरशाह फंसते हुए नजर आरहे हैं. ये घोटाला नौकारशाही जिहाद का एक बड़ा नमूना है. भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट ने जो जमीन जिहाद किया है वो अबतक तक का सबसे बड़ा षड़यंत्र है..इस षड़यंत्र से हिन्दू बाहुल्य जम्मू को मुस्लिम बाहुल्य बनाने का कुचक्र रचा गया है.



जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने इस पूरे भ्रष्टाचार को 'बेशर्म' और 'राष्ट्रहित को नुकसान पहुंचाने वाला' बताते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. इस जमीन जिहाद में सबसे बड़ी बात ये है की रोशनी एक्ट के तहत जमीन पाने वाले 96 प्रतिशत लाभार्थी मुस्लिम हैं. जम्मू कश्मीर में बीस लाख कनाल सरकारी भूमि पर नेताओं, पुलिस अधिकारियों, नौकरशाहों, राजस्व अधिकारियों के अवैध कब्जे को जायज बनाने के लिए रोशनी एक्ट बनाया गया. इसके बाद जो सरकारी जमीन बच गई उसे मुसलमानों में बंदरबांट कर दी गई.

नवंबर 2001 में विधानमंडल ने रोशनी एक्ट को अधिनियमित किया और मार्च 2002 में इसे लागू किया गया था. रोशनी एक्ट के आने के बाद करोड़ों रुपयों की जमीन कौड़ियों के भाव में अतिक्रमणकारियों को सौंप दी गई. रोशनी एक्ट बनाकर सभी अतिक्रमण को जायज कर दिया गया गया. एडवोकेट अंकुर शर्मा ने रोशनी एक्ट को समाप्त कर इस घोटाले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग कोर्ट से की थी जिसे कोर्ट ने मांगों पर गौर करते हुए जाँच के आदेश दे दिए. जांच आगे बढ़ने पर इसके दायरे में राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री भी आ सकते हैं. नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद पर अब जाँच की आंच आने वाली है. साथ ही बड़े नौकरशाहों में हडकंप मचा हुआ है. जम्मू-कश्मीर में 25,000 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन गैरकानूनी रूप से जो हड़पा गया है इससे राज्य सरकार को अरबों रूपये का आर्थिक हानि हुई है.

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने नौकरशाही के जरिये हुई घोटाले पर कठोर टिप्पड़ी की है. कोर्ट ने सतर्कता अधिकारियों को लूट की इस नीति के प्रति आंखें मूंदकर बैठे रहने पर इसे कोताही करार दिया. अदालत ने सरकारी जमीन पर गैर-कानूनी कब्जा करने वालों को लेकर कहा है कि इन लुटेरों की सत्ता में इतनी गहरी पैठ रही है कि यह अपने फायदे के लिए कानून भी बनवा सकते थे. अदालत ने यह भी आशंका जताई है कि जिस तरह से जमीन के ये लुटेरे प्रभावी रहे हैं, उससे लगता है कि उन्होंने नीति निर्धारण से लेकर उसके लागू करवाने तक में हर स्तर पर भूमिका निभाई है. कोर्ट की ये टिप्पड़ी नौकरशाहों के लिए एक बड़ी चेतावनी भी है और शर्मनाक भी. 


                      रौशनी एक्ट: ब्यूरोक्रेसी का लैंड जिहाद 


जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने सुदर्शन न्यूज़ के दावे पर एक बार फिर से मोहर लगा दी है.

जम्मु-कश्मीर उच्च न्यायालय ने रौशनी स्कीम को अवैध घोषित कर दिया है. 

जम्मू कश्मीर में अब तक का सबसे बड़ा भूमि घोटाले की जाँच अब सीबीआई करेगी.

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने इस गड़बड़ी को 'बेशर्म' और 'राष्ट्रहित को नुकसान पहुंचाने वाला' बताते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.

रौशनी स्कीम के तहत जमीन पाने वाले 96 प्रतिशत लाभार्थी मुस्लिम हैं.

जम्मू कश्मीर में बीस लाख कनाल सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ा.

जमीन पर नेताओं, पुलिस अधिकारियों, नौकरशाहोंक और राजस्व अधिकारियों के अवैध कब्जे को वैध बनाने के लिए रौशनी स्कीम बनाई गई.

इस स्कीम के तहत करोड़ों रुपयों की जमीन कौड़ियों के भाव अतिक्रमणकारियों को सौंप दी गई.

रौशनी स्कीम बनाकर सभी अतिक्रमण को जायज कर दिया गया.

जांच के दायरे में राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री भी आ सकते हैं. 

नवंबर 2001 में विधानमंडल ने रौशनी स्कीम को अधिनियमित किया था. 

मार्च 2002 में रौशनी स्कीम को कानूनी रूप से लागू किया गया था.

2018 में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रोशनी एक्ट को खत्म कर दिया था.


                        जम्मू का इस्लामीकरण प्लान 

जिला- जम्मू 

कुल लाभार्थी 18 

हिन्दू 3 मुस्लिम 15 


रामबाण क्षेत्र 

कुल लाभार्थी 11  

हिन्दू 1 मुस्लिम 10 


मैत्रा क्षेत्र

कुल लाभार्थी 17  

हिन्दू 1 मुस्लिम 16 


पूँछ क्षेत्र

कुल लाभार्थी 14   

हिन्दू 0  मुस्लिम 14 


कश्मीर के कुल 10 जिला 

क्षेत्रफल का कुल 7.5 % 


जम्मू के कुल 10 जिला  

क्षेत्रफल का कुल 36 % 


कश्मीर में अतिक्रमण 

4,44,293  कनाल  7.5 %


जम्मू में अतिक्रमण 

16,02,513 कनाल  36 %

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