विस्फोटक स्थिति में जा पहुंची जनसंख्या पर हर हाल में काबू पाना है। बेलगाम जनसंख्या पर काबू पाने के लिए सबसे कारगर तरीका परिवार नियोजन अपनाना ही है। कितने बड़े आश्चर्य का विषय है कि सरकार परिवार नियोजन कार्यक्रमों एवं योजनाओं पर करोड़ों रूपये खर्च करके संचालन कर रही है। इसके बावजूद कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पा रहे हैं। 11 मई, 2000 को राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए समग्र मार्गदर्शन प्रदान करना था। इसके तहत कई तरह के बहुआयामी प्रयास भी किए गए।
योजना के व्यापक व बहुक्षेत्रीय समन्वय को सुनिश्चित करने तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की योजनाओं को लागू करने के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का मई, 2005 में पुर्नगठन किया गया। लेकिन विडंबनावश हर तरह के प्रयासों के बावजूद विकराल होती जनसंख्या पर तनिक भी अंकुश नहीं लग पा रहा है। भारत सरकार, नेताओं और नीति निर्माताओं को एक मजबूत जनसंख्या नीति बनाने के लिए पहल करनी चाहिए, जिससे देश की आर्थिक विकास दर का बढ़ती आबादी की मांग के साथ तालमेल बिठाया जा सके।
आबादी पर नियंत्रण पाने के लिए जो बड़े कदम उठाए जा चुके हैं उन्हें और जोर देकर लागू करने की जरुरत है। महिलाओं और बच्चियों के कल्याण और उनकी स्थिति को बेहतर करना, शिक्षा के प्रसार, गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन के तरीके, सेक्स शिक्षा, पुरुष नसबंदी को बढ़ावा और बच्चों के जन्म में अंतर, गरीबों में गर्भनिरोधकों और कंडोम का मुफ्त वितरण, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा, गरीबों के लिए ज्यादा स्वास्थ्य सेवा केंद्र आदि कुछ ऐसे कदम हैं जो आबादी को काबू करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
दुनिया में अलग अलग क्षेत्रों में भारत की ताकत को नहीं नकारा जा सकता। चाहे वो विज्ञान और तकनीक, मेडिसिन और स्वास्थ्य सेवा, व्यापार और उद्योग, सेना, संचार, मनोरंजन, साहित्य आदि कुछ भी हों। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा जन जागरुकता बढ़ाने और जनसंख्या नियंत्रण के कड़े मानदंड बनाने से देश की आबादी पर नियंत्रण पाया जा सकता है और इससे देश की आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।
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