2035 तक भारत में मुसलमानों की आबादी
बढ़ कर 92.5 करोड़ हो जाएगी और हिन्दू आबादी सिर्फ 90.2 करोड़ तक ही पहुंच पाएगी. 2040
आते-आते हिन्दू त्योहार मनाए जाने बंद हो जाएंगे, बड़े पैमाने पर धर्मांतरण और गैर मुस्लिमों का नरसंहार होगा और 2050
तक पहुंचते-पहुंचते मुसलमान 140 करोड़ से भी ज्यादा हो जाएंगे और भारत एक मुस्लिम
राष्ट्र हो जाएगा. वहीं चैंकाने वाला खुलासा, 2055
से 2060 के बीच हिंदुओं पर होगा मुस्लिमों का दबदबा बताता है। एक नए सर्वे में
हिंदुओं को लेकर चैकाने वाला खुलासा किया गया है।
प्यू रिसर्च सेंटर ने अपने एक सर्वे में दावा
किया है कि भारत में 2055-60 के दौरान हिंदुओं की जनसंख्या में
भारी गिरावट आएगी। इसकी वजह भारत में घटती प्रजनन दर है। एक नए शोध के अनुसार वर्ष
2050 तक भारत इंडोनेशिया को पीछे छोड़ पूरी
दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान आबादी वाला देश बन जाएगा. इतना ही नहीं शोध में
कहा गया है कि पूरी दुनिया में मुसलमानों और ईसाइयों की आबादी लगभग बराबर हो
जाएगी. वॉशिंगटन स्थित प्यू रिसर्च सेंटर का कहना है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी
आबादी हिंदू धर्म मानने वालों की होगी।
अगले चार दशकों में ईसाई धर्म सबसे बड़ा
धार्मिक समूह बना रहेगा लेकिन किसी भी धर्म के मुकाबले इस्लाम सबसे तेज रफ्तार से
आगे बढ़ेगा. गौरतलब है कि इस वक्त दुनिया में ईसाई धर्म सबसे बड़ा समूह है उसके बाद
मुसलमान आते हैं और तीसरी सबसे बड़ी आबादी ऐसे लोगों की है जो किसी धर्म को नहीं
मानते। अगर मौजूदा ट्रेंड बरकरार रहा तो वर्ष 2070 तक
इस्लाम दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह बन जाएगा. बढ़ती आबादी से अगले चार बरसों
में अंदाजा है कि दुनिया की आबादी 9.3
अरब तक पहुंच जाएगी और मुसलमानों की संख्या में 73 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, ईसाइयों
की संख्या 35 प्रतिशत बढ़ेगी और हिंदुओ की संख्या
में 34 प्रतिशत की वृद्धि होगी.
शोध में कहा गया है कि इस वक्त
मुसलमानों में बच्चे पैदा करने की दर सबसे ज्यादा है यानि औसतन हर महिला 4 से अधिक बच्चे पैदा कर रही है, ईसाइयों में हर महिला औसतन 3 से अधिक बच्चों को जन्म दे रही है.
हिंदुओं में बच्चे पैदा करने की औसत दर 2
है. वर्ष 2010 में पूरी दुनिया की 27 प्रतिशत आबादी 15 साल से कम उम्र की थी वहीं 34 प्रतिशत मुसलमान आबादी 15 साल से कम थी और हिंदुओं में ये
प्रतिशत 30 प्रतिशत था.
इसे एक बड़ी वजह है, कि मुसलमानों की संख्या दुनिया की
आबादी के मुकाबले ज्यादा तेज रफ्तार से बढ़ेगी. वहीं हिंदू और ईसाई उसी रफ्तार से
बढ़ेंगे जिस रफ्तार से दुनिया की आबादी बढ़ रही है. रिपोर्ट में बच्चे पैदा करने की
दर के अलावा धार्मिक आबादी में इस उलटफेर के पीछे धर्मांतरण को भी एक बड़ा कारण
बताया गया है।
आनेवाले दशकों में ईसाई धर्म को धर्मांतरण से सबसे ज्यादा नुकसान होने के आसार हैं और कहा गया है कि चार करोड़ लोग ईसाई धर्म अपना लेंगे. शोध में कहा गया है कि दस करोड़ साठ लाख लोग ईसाई धर्म को छोड़ देंगे. उसी तरह एक करोड़ 12 लाख लोग इस्लाम को अपनाएंगे जबकि लगभग 92 लाख लोग इस्लाम को छोड़ देंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये अनुमान मौजूदा डाटा के आधार पर लगाए गए हैं लेकिन सामाजिक आंदोलन, युद्ध और प्राकृतिक विपदाओं के कारण ये बदल भी सकते हैं.
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