हमारे देश की जनसंख्या गत 2001-2011 के दशक में 17.6 प्रतिशत की दर से 18.1 करोड़ बढकर 1 अरब 22 करोड़ हो गई है। जनगणना-2011 के
अनुसार देश में 62 करोड 37 लाख 24 हजार 248 पुरूष और 58
करोड़ 64 लाख 69 हजार 174 महिलाएं हैं। जनसंख्या के मामले में हमारा देश विश्व में चीन के बाद
दूसरे स्थान पर आता है। एक अनुमान के मुताबिक सन् 2022 तक जनसंख्या के मामले में विश्व में भारत का प्रथम स्थान हो जाएगा।
भारत में विश्व की कुल जनसंख्या का 17.23 प्रतिशत निवास करती है, जबकि देश का क्षेत्रफल विश्व के कुल
क्षेत्र का मात्र 2.45 प्रतिशत ही है। एक नजरिए से विश्व का
हर छठा व्यक्ति भारतीय है। कितने बड़े आश्चर्य का विषय है कि हमारे देश की जनसंख्या
प्रतिवर्ष आस्टे्रलिया की जनसंख्या के बराबर बढ़ जाती है और विश्व के प्रत्येक 6 व्यक्तियों में से एक भारतीय शामिल हो
जाता है।
वहीं 2017 में भारत की जनसंख्या 1
अरब 36 करोड हो गई है। जिनमें पुरूष 70 करोड तो महिलाएं 65 करोड हो गई हैं। 1951 में भारत की जनसंख्या 36 करोड थी। 1951 के बाद लगातार बढती जनसंख्या देश के
लिए खतरा पैदा करने लगी है। आज भारत ही नहीं दुनियां जनसंख्या विस्फोट के खतरे में
है। दुनिया में एक मिनट में 240
बच्चे पैदा हो रहे हैं।
वहीं इनमें से हर रोज 7 हजार बच्चे मृत पैदा होते हैं क्योंकि
हम उन्हें दुनियां में लाने के लिए सही संसाधन नहीं लगा रहे हैं। जबकि हर रोज
दुनियां में 3.50 लाख बच्चे पैदा होते हैं। 1000 ई. में दुनिया की आबादी 40 करोड थी जो 2050 तक 12 अरब हो जाएगी। वहीं भारत की आबादी 2020 में 1 अरब 50 करोड हो जाएगी। जबकि 2030
में 1 अरब 75 करोड के साथ भारत दुनियां का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश हो जाएगा।
जबकि 2050 में 2 अरब जनसंख्या भारत में आवास और खाने के लिए लडेगी।
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