कलतक देश दुनिया में तहलका मचाने वाला पत्रकार आज खुद ही अपनी काली करतूतों से सुर्खियों में है। देश की दशा और दुर्दशा पर बड़ी गहराई से विचार विमर्श करने के लिए जनपक्षधरता की पत्रकारिता का दावा करनेवाले तहलका आज अपने ही पक्ष को लेकर पस्चताप कर रहा है। थिंक इंडिया कार्यक्रम में गहन चिंतन मनन के बिच तहलका के संपादक ने जिस मनोदशा को दर्शाया उसने पूरा मीडिया जगत को शर्मशार कर दिया। चिंतन मनन करने के बाद थक चुके वक्ताओं और बुद्धिजीवियों के लिए समुंद्र के किनारे शराब का समंदर भी लहराया गया। आरिफ लोहार का जुगनी से लेकर रेमो फर्नांडीज का पंजाबी पॉप के बिच तरूण तेजपाल थिरकने से खुद को नहीं रोक सके।
इसी हिलने डुलने के क्रम में तेजपाल का मन भी अपने ही सकर्मी को देख कर हिल डठा। अपने यहां काम करनेवाली एक नौजवान पत्रकार पर तेजपाल हाथ फेर बैठे। वो भी एक नहीं, दो दिन। नौजवान महिला पत्रकार खुद उनके बेटी की दोस्त है। तेजपाल पर गोवा में बौद्धिंक चिंतन और कॉकटेल का नशा ऐसा मिश्रित हो गया कि न तो वे बेटी पहचान पाये और न ही दोस्त। और तो और वे यह भी भूल गये कि जिस लड़की के साथ वे जोर जबर्दस्ती कर रहे हैं वह शायद उन्हें पत्रकारिता का आदर्श मानकर ही तहलका में नौकरी करने आई थी।
थिक इंडिया कार्यक्रम में तो इसे छोटी मोटी बात बता कर मामला रफा दफा कर दी गई। मगर जब पीडि़ता खुद दुनिया के सामने अपनी आपबिती सुनाई तो तरूण तेजपाल के पैल तले जमीन खिसक गई। बात जब तहलका की प्रबंध संपादक सोमा चैधरी तक पहुंची तो तेजपाल ने विदेशी अंदाज में किये गये पाप का देशी अंदाज में प्रायश्चित करने का ऐलान कर दिया। ऐसे में इस पाप के प्रायश्चित पर सवाल खड़ा होता है कि क्या तरूण तेजपाल के लिए किसी महीला के प्रति ऐसे घिनौनी हरकतों के लिए माफी मात्र से ही गुनाह खत्म हो जाता है?
मगर अब तेजपाल के प्रायश्चितनुमा पत्र को आधार बनाकर गोवा पुलिस ने स्वयं ही शिकायत दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी है। इस पूरे मामले को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। तेजपाल ने बीजेपी के दामन पर जो दाग लगाया था, उसको धोने का इससे शानदार मौका और क्या हो सकता है? ऐसे में बीजेपी तरूण जेतपाल की गिरफ्तारी का मांग कर रही है। तो वहीं दुसरी ओर कांग्रेस बहुत सतर्क है। मनीष तिवारी कह रहे है कि इसे समझने के लिए बहुत समझदारी से कोई जांच आयोग बिठाना पड़ेगा।
बीजेपी और कांग्रेस की कहानी तो अलग है, लेकिन तरुण तेजपाल को आसानी से सेक्स चिंतन से मुक्ति मिलने की संभावना बहुत कम ही नजर आ रही है। दिल्ली की चलती हुई बस में शराब के शिकार कुछ नौजवानों ने एक युवती को अपना शिकार बनाया था, कुछ उसी अंदाज में तेजपाल ने भी सराब की नशें में धुत होकर बुत बन गये। काम तो उन्होंने भी वही किया जो दिल्ली की चलती हुई बस में दरिंदों ने किया था, बस फर्क सिर्फ इतना है कि तरुण तेजपाल के हाथों में लोहे की छड़ नहीं थी। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि तहलका के ऑपरेशन राक्षस को क्या हो सजा?
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