09 November 2013

सरकार किसी को डराती है तो किसी को बचाती है !

सीबीआई को लेकर जिस फैसले पर सरकार का हाथ पैर फुला हुआ वो दरअसल पूरा फैसला है क्या आईये हम आपकों विस्तार से बताते हैं। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में सीबीआई को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस इंदिरा शाह की बेंच ने इस फैसले में कहा कि सीबीआई पुलिस फोर्स नहीं है, इसलिए वह न तो अपराधों की जांच कर सकती है और न ही चार्जशीट दायर कर सकती है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सीबीआई को गैरकानूनी ठहरा दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उस प्रस्ताव को भी रद्द कर दिया, जिसके तहत सीबीआई का गठन किया गया था। हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी की सभी कार्रवाइयों को भी असंवैधानिक करार दिया है।

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई का गठन निश्चित जरूरत को पूरा करने के लिए कुछ समय के लिए ही किया गया था और गृह मंत्रालय का वह प्रस्ताव न तो केंद्रीय कैबिनेट का फैसला था और न ही उसके साथ राष्ट्रपति की स्वीकृति का कोई कार्यकारी आदेश है। कोर्ट का कहना है कि अपराध की जांच करने वाली ऐसी एजेंसी, जिसके पास पुलिस बल की शक्तियां हों, उसकी स्थापना केवल एक कार्यकारी निर्देश के जरिये नहीं की जा सकती।

कार्ट ने अपने फैसले में विस्तार से कहा है कि मामला दर्ज करने, आरोपियों को गिरफ्तार करने, तलाशी लेने जैसी सीबीआई की कार्रवाई संविधान की धारा-21 का उल्लंघन है। यही कारण है कि कोर्ट ने 1 अप्रैल, 1963 के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके तहत सीबीआई की स्थापना की गई थी। सीबीआई, दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट एक्ट यानी डीएसपीई का अंग नहीं है। डीएसपीई कानून 1946 के तहत गठित एक पुलिस बल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में इस प्रस्ताव को सिर्फ विभागीय निर्देश ही माना जा सकता है और उसे कानून के रूप में नहीं बदला जा सकता है।

असम में बीएसएनएल के कमर्चारी नवेंद्र कुमार के खिलाफ 2001 में सीबीआई ने आपराधिक षडयंत्र रचने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था, जिसके बाद नवेंद्र ने संविधान के तहत सीबीआई के गठन को चुनौती देते हुए अपने खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज करने की मांग की। हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

मगर नवेंद्र ने इसके बाद हाईकोर्ट की डबल जज बेंच में याचिका दायर की, जिसके बाद जस्टिस इकबाल अहमद तथा जस्टिस इंदिरा शाह ने यह फैसला सुनाते हुए सीबीआई के गठन को असंवैधानिक करार दिया। हाईकोर्ट ने नवेंद्र के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर की गई चार्जशीट तथा मामले की सुनवाई को खारिज कर दिया।

अदालत ने आगे कहा, मामला दर्ज करने, किसी व्यक्ति को अपराधी के रूप में गिरफ्तार करने, जांच करने, जब्ती करने, आरोपी पर मुकदमा चलाने जैसी सीबीआई की गतिविधियां संविधान के अनुच्छेद-21 को आघात पहुंचाती हैं और इसलिए उसे असंवैधानिक मानकर रद्द किया जाता है।

मगर अब सरकार ने सीबीआई को असंवैधानिक करार दिए जाने के गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल जी वाहनवती ने अर्जी दी थी।

सरकार चाहती थी कि गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे मिल जाए। क्योकि यदि ऐसा नहीं होता तो कई अहम मामलों की सीबीआई जांच खटाई में पड़ जाने की आशंका थी। साथ ही सरकार के सबसे उपयोगी तोता पिजरे से आजाद हो जाता जिसके सहारे सरकार किसी को डराती है तो किसी को बचाती है।

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