कौटिल्य ने बहुत पहले लिखा था कि सत्ता में वो शक्ति है जो इस दुनिया से लेकर दूसरी दुनिया तक दोनों को नियंत्रित करती है। उपनिषद् में भी कहा गया है कि सत्ता शक्ति ज्ञान से श्रेष्ठ है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने पांडवों की विजय के लिए अतिआवश्यक हुआ, अनुचित उपायों का सहारा भी लिया। कृष्ण का तर्क था कि यदि शत्रु बलवान हो तो छल न्यायोचित है।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने दो हजार साल पहले लिखी गई तिक्कुरल में लिखी कुछ पंक्तियाँ बताई थीं जिसमे कहा था कि किसी देश की सत्ता सद्भावनापूर्ण जीवन तभी दे सकती है जब उस राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था नागरिकों के प्रति ताकतवर और मजबूत हो। रामायण में भी लिखा है कि पुरूसार्थ से अर्जित की गई सत्ता राष्ट्र को शक्तिशाली बना सकती है।
ये बातें आपको बताना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि हमारे देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव और वर्तमान विधानसभा चुनावों में आतंकवादी संगठन बाधा उत्पन्न करने के प्रयास कर सकते हैं। सुरक्षा बलों को सतर्क और इस तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। प्रधानमंत्री की इस बयान से सवाल खड़ा होता है कि आदीकाल से लेकर वर्तमान तक जिस विश्व सक्ति राष्ट्र की हम बात करते हैं क्या ये हमारे लिए शर्मनाक नहीं है ?
प्रधानमंत्री ये भी कहते नहीं चुक रहे है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर लगातार युद्ध विराम का उल्लंघन होरहा है। ऐसे में सवाल यहा भी खड़ा होता है, तो फिर मनमोहन सिंह नवाज सरीफ से अमेरिका में किसलिए हाथ मिलाने गये थे। अमेरिका के पैसे से पलने वाला पाकिस्तान अगर हमें आंखें दिखा रहा है तो सवाल उठना लाजमी है की क्या सत्ता पुरुषार्थ खो दिया है?
जिस देश कि शक्ति से चाईना और अमेरिका जैसे प्रमाणु सत्ता संपन्न देश सहमे हुए है उस के प्रधानमंत्री आतंकी हमला होने की रोना रो रहे है। चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के रणनीतिक एवं संघर्ष प्रबंधन केंद्र के निदेशक सु हाओ ने हाल ही कहा था कि अग्नि-5 का परीक्षण यह दर्शाता है कि भारत विश्व शक्ति बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है।
अमेरिका में एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री ब्लेक ने कहा, है कि भारत के पास विश्व शक्ति बनने के लिए पर्याप्त संस्थागत क्षमता है। आज एक ओर हमारा देश इसरो के अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत उपग्रहयान मंगल ग्रह पर भेज रहा है और हमारे नागरिक गौरवावित होकर अपना सिना चैड़ा कर के पूरी दुनिया में डंका पीट रहे है तो वहीं दुसरी ओर हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह रहे है कि अगले साल लोकसभा चुनाव में आतंकी हमला हो सकता है हमें सर्तक रहने कि जरूरत है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या सत्ता ने पुरुषार्थ खो दिया है ?
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