हिन्दुस्तान में बांग्लादेशी घुसपैठ आज एक ऐसे नासूर बन गया है जिसका इलाज न तो सरकार के पास है और ना हीं प्रसाशन के पास। ऐसे में आज ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज हम सब के लिए एक चुनौती है। हिन्दुस्तान- बाग्लादेश की 4096 की.मी. लम्बी साझी सीमा है। जहा से आए दिन हजारों की संख्या में ये बांग्लादेशी घुसपैठिए देश की राजधानी दिल्ली सहीत विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती दे रहे है। भारत सरकार के बोर्डर मैनेजमेण्ट टास्क फोर्स सन् 2000 की रिपोर्ट के अनुसार 2.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं।
इस घुसपैठ में देश के अंदर मौजूद असमाजीक तत्वों का पूरा सहयोग मिल रहा है। पाकिस्तान जैसे देश में घुसपैठ की सजा 2 से 10 साल है, मगर हमारे यहा इन्हें पकड़ कर बोर्डर पे छोड़ दिया जाता है, जहा से ये वापस फिर से लौट आते है। क्या ये देश की सुरक्षा के साथ मजाक नहीं है। डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने हाल में कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठ देश के लिए गंभीर संकट बन गया है। इस पर जल्द विजय प्राप्त नहीं किया गया तो देश टुकड़ो में बंट जायेगा।
जुलाई 2012 में असम के कोकराझार, चिरांग व धुबड़ी जिलों तथा पश्चिम बंगाल में में हुए हालिया घटनाए इस बात की ओर इशारा करते है की ये वाकई देश की एकता और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूण समस्या है। आज हर तरह से ये घुसपैठिए घातक सिध्द हो रहे हैं। आज बात चाहे सामाजिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक ,आर्थिक, धार्मिक एवं राजनीतिक हो इनका प्रभाव देश के सुरक्षा की आड़े आ रहे हैं। आज ये घुसपैठिए अवैध गतिविधियों में लिप्त होकर देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर संकट बन गये हैं। नकली भारतीय मुद्रा का प्रसार, अवैध शस्त्रों का व्यापार, ड्रग्स तथा तस्करी और आपराधिक कारणों से देश आज सुरक्षा संकट से घिरा हुआ है।
आज देश में जौजूद बारह लाख से अधिक ऐसे बांग्लादेशी हैं, जिन्होंने वैध दस्तावेजों के आधार पर भारत में प्रवेश किया लेकिन बाद में वे लापता हो गए और उनकी वापसी का कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सवाल इस बात को लेकर खड़ा होता है कि क्या ये किसी गुप्त एजेंडा के तहद देश में किसी गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे है? आज असम और पश्चिम बंगाल से सटे मिमावर्ती क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा लगातार जनसंख्या को बढ़ाया जा रहा है। इन क्षेत्रों में इस्लामी संस्था और मस्जिद का निमार्ण कार्य युध्द स्तर पर किया जा रहा है। जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संकट खड़ा हो गया है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या बांग्लादेशी घुसपैठ एक राष्ट्रीय समस्या बन गया है?
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