03 January 2025

महाकुंभ 2025 में 900 नए टावर, चलेंगी इलेक्ट्रिक बसें, महाकुंभ का शाही स्नान अब अमृत स्नान, सीएम योगी ने प्रयागराज में की घोषणा

 

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ की तैयारियां जोरो पर है। अभी से ही हजारों की संख्या में श्रध्दालु पहुंच रहे हैं। महाकुंभ 2025 दुनियाभर के लाखों श्रद्धालुओं को प्रयागराज की ओर आकर्षित कर रहा है ारो तरफ रंग रोगन का कार्य चल रहा है। दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने भी व्यापक तैयारियां की हैं। लाखों श्रद्धालुओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, दूरसंचार सेवाओं के विस्तार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

 

कुंभ क्षेत्र में दूरसंचार सेवाओं का विस्तार

 

दूरसंचार सेवाओं को मजबूत करने के लिए 900 से अधिक नए बेस ट्रांसीवर स्टेशन लगाए गए हैं

1,550 से अधिक मौजूदा बीटीएस अपग्रेड किए गए हैं

हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए 300 किमी से अधिक ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है

मेला क्षेत्र में भीड़भाड़ को ध्यान में रखते हुए 78 ट्रांसपोर्टेबल टावर लगाए गए हैं

150 छोटे सेल समाधान तैनात किए गए हैं

इससे लाखों श्रद्धालुओं को मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की कोई समस्या नहीं होगी

 

आपदा प्रबंधन के लिए मेला क्षेत्र में तीन विशेष केंद्र स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र नवीनतम तकनीक से सुसज्जित हैं और किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा, एक सेल ब्रॉडकास्ट अलर्ट सुविधा भी स्थापित की गई है, जो आपदा चेतावनी और जागरूकता संदेश प्रसारित करेगी। श्रद्धालुओं की सहायता के लिए मेला क्षेत्र में 53 हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। ये हेल्प डेस्क संदिग्ध संचार की रिपोर्टिंग और खोए हुए मोबाइल को ब्लॉक करने जैसी सेवाएं प्रदान करेंगे। नेटवर्क सेवाओं को और सुरक्षित बनाने के लिए विकिरण परीक्षण भी किया गया है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, हवाई अड्डा और प्रमुख राजमार्गों पर भी दूरसंचार सेवाओं का विस्तार किया गया है। हाई-ट्रैफिक क्षेत्रों में नेटवर्क सेवा सुनिश्चित करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर विकसित किए गए हैं।

 

दूरसंचार सेवाओं के साथ-साथ डिजिटल तकनीक को भी बढ़ावा दिया गया है। श्रद्धालु अब अपने मोबाइल से डिजिटल भुगतान कर सकते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों की लाइव स्ट्रीमिंग का आनंद ले सकते हैं। महाकुंभ मेला 2025 के दौरान यह पहल न केवल बेहतर संचार सेवाएं प्रदान करेगी, बल्कि डिजिटल युग के साथ कदमताल मिलाकर भारत की तकनीकी क्षमता को भी प्रदर्शित करेगी। दूरसंचारविभाग और सेवा प्रदाताओं की यह कोशिश महाकुंभ मेले को आध्यात्मिकता के साथ-साथ डिजिटल आधुनिकता का अनुभव कराएगी। साथ ही पहली बार इलेक्ट्रिक बसें परिवहन निगम के बेड़े में शामिल होने जा रही हैं। पांच जनवरी से महाकुंभ प्रयागराज में इलेक्ट्रिक बसें पहुंचनी शुरू हो जाएंगी।

 

महाकुंभ में इलेक्ट्रिक बसें

 

महाकुंभ में बस यात्रियों को बड़ा उपहार मिलने जा रहा है

 

पहली बार इलेक्ट्रिक बसें परिवहन निगम के बेड़े में शामिल होने जा रही हैं

 

पांच जनवरी से महाकुंभ प्रयागराज में इलेक्ट्रिक बसें पहुंचनी शुरू हो जाएंगी

 

महाकुंभ क्षेत्र में ही 40 बसें भ्रमण करेंगी

 

मेले के बाद बसों का संचालन प्रयागराज से लखनऊ के बीच होगा

 

मेला क्षेत्र में बसों की चार्जिंग सहित अन्य प्रबंध पूरे किए जा चुके हैं

 

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 44 सीट वाली इलेक्ट्रिक बसें एक बार चार्ज होने पर 280 किलोमीटर तक चल सकेंगी

 

एक अत्याधुनिक बस की कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपये है

 

लखनऊ को 24 और गाजियाबाद व आगरा को 38-38 बसें आवंटित की गई हैं

 

महाकुंभ के बाद इन बसों का संचालन लखनऊ से प्रयागराज के बीच होगा

 

अन्य क्षेत्रों को आवंटित बसें संबंधित स्वीकृत मार्गों पर चलेंगी

 

 

महाकुंभ मेले को धर्म, आध्यात्म और संस्कति का भी महाकुंभ माना जाता है और दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचते हैं। प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ मेला पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर लगता है इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ में स्नान करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

 

महाकुंभ में पहले स्नान का मौका किसे मिलता है?

 

महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु और प्रमुख संत स्नान करते हैं

 

इस परंपरा को 'प्रथम स्नान अधिकार' कहा जाता है

 

नागा साधुओं को महायोद्धा साधुभी कहा जाता है

 

प्राचीन काल में वे धर्म और समाज की रक्षा के लिए सेना के रूप में कार्य करते थे

 

नागा साधु के स्नान करने के बाद वहां आए पर्यटक त्रिवेणी में स्नान करते हैं

 

पूरे जीवन काल में हर मनुष्य को एक बार कुंभ स्नान जरूर करना चाहिए

 

अखाड़ों का नागा साधु कुंभ मेले के शाही स्नान में विशेष भूमिका निभाते हैं

 

ये साधु नग्न रहते हैं और शरीर पर भस्म लगाते हैं

 

नागा साधु अपनी कठिन तपस्या और संयम के लिए जाने जाते हैं

 

उनकी मौजूदगी अमृत स्नान को और भी प्रभावशाली बना देती है

 

 

महाकुंभ-2025 को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। अव्यवस्था का आरोप लगाते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा जमीन पर कोई कार्य नहीं करती है। काम के बजाय सिर्फ उसका प्रचार करती है। महाकुंभ एक पवित्र आयोजन है। यहां देश दुनिया के करोड़ों लोग बिना निमंत्रण और आमंत्रण के आते है, संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। महाकुंभ में आने वाला हर श्रद्धालु बराबर होता है। भाजपा इसमें भी खास और आम बनाकर भेदभाव कर सामाजिक दूरी करने से बाज नहीं आ रही है। अखिलेश यादव के इस आरोप का जवाब दिया है हनुमानगढ़ी अयोध्या  के महंत राजू दास ने-

 

 

सीएम योगी आदित्यनाथ प्रयागराज पहुंच कर नैनी स्थित बायो सीएनजी प्लांट का अनावरण किया एवं फाफामऊ स्थित स्टील ब्रिज का शुभारंभ किया। इसके बाद महाकुंभ कार्यों का निरीक्षण किया। घाटों की स्थिति देखी और गंगाजल का आचमन भी किया। बड़े हनुमान मंदिर में मत्था टेकने के बाद मेला प्राधिकरण के सभागार में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने संतों द्वारा शाही स्नान के नए नामकरण की मांग का स्मरण कराया। साथ ही घोषणा कि महाकुंभ में शाही स्नान अब अमृत स्नान के नाम से जाने जाएंगे।

 

 

महाकुंभ क्षेत्र में सनातन धर्म के ध्वज वाहक अखाड़ों के प्रवेश का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में घोड़े, ऊंट पर नागा साधुओं की सवारी के साथ श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने राजसी वैभव के साथ छावनी क्षेत्र में प्रवेश किया। शहर में जगह-जगह पुष्प वर्षा कर संतों का भव्य स्वागत किया गया। कुम्भ मेला प्रशासन की तरफ से भी अखाड़े के महात्माओं का स्वागत किया गया। सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में सबसे धनवान कहे जाने वाले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी का भव्य जुलूस, अलोपी बाग के निकट स्थित महानिर्वाणी अखाड़े की स्थानीय छावनी से निकला। सबसे पहले महामंडलेश्वर पद का सृजन करने वाले इस अखाड़े में इस समय 67 महामंडलेश्वर हैं। अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में भी इसकी झलक देखने को मिली। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद जी की अगुवाई में यह छावनी प्रवेश यात्रा शुरू हुई जिसमें आगे-आगे अखाड़े के इष्ट भगवान कपिल जी का रथ चल रहा था, जिसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर का भव्य रथ श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहा था।

 

महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान शुभ मुहूर्त

 

 

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक

 

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 22 मिनट से 03 बजकर 05 मिनट तक

 

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 55 मिनट से 06 बजकर 22 मिनट तक

 

सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 11 मिनट पर

 

सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 58 मिनट पर

 

चंद्रोदय - कोई नहीं

 

चन्द्रास्त - शाम 05 बजकर 58 मिनट पर

 

 

महाकुंभ में अमृत स्नान में स्नान करने का अधिक महत्व है। अमृत स्नान में सबसे पहले साधु संत स्नान करते हैं, जिसके बाद श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही दुख और दर्द दूर होते हैं। यदि आप भी महाकुंभ में अमृत स्नान करने की सोच रहे हैं, आपको स्नान नियम के बारे में भी जारकारी होनी चाहिए। 

 

 

अमृत के स्नान नियम

 

महाकुंभ में स्नान के दौरान नियम का पालन न करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है

ऐसे में स्नान करने से पहले ही इसके नियम के बारे में जरूर जान लें

अमृत स्नान के दौरान साबुन और शैंपू का प्रयोग नहीं करना चाहिए

स्नान के बाद श्रद्धा अनुसार अन्न, धन और वस्त्र समेत आदि चीजों का दान करें

दीपदान करना भी इंसान के जीवन के लिए अधिक फलदायी माना गया है

 

महाकुंभ-2025 में संगम किनारे बना दक्षिण भारतीय शैली का श्री आदि शंकर विमान मंडपम् मंदिर श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्व मंदिर में विग्रहों के दर्शनों के लिए आ चुके हैं। महाकुंभ के लिए योगी सरकार मंदिर के आसपास विकास कार्य करा रही है। मंदिर की आभा ऐसी है कि वो श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लेती है। कांचिकामकोटि के 69वें पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने अपने गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की इच्छापूर्ति के लिए श्री आदि शंकर विमान मंडपम् का निर्माण कराया। गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने वर्ष 1934 में प्रयाग में चातुर्मास किया था। उन दिनों वो दारागंज के आश्रम में रुके थे और प्रतिदिन पैदल संगम स्नान को आते थे।

 

 

कभी संकरी और खस्ताहाल सड़कों के लिए पहचाने जाने वाले प्रयागराज का आज कायाकल्प हो चुका है। पहले कुम्भ 2019 और अब महाकुम्भ 2025 को देखते हुए योगी सरकार ने यहां की सूरत ही बदल दी है। 2019 कुम्भ के दृष्टिगत जो विकास कार्य हुए, उसे 2025 महाकुम्भ में और विस्तार देते हुए स्थाई कार्यों पर जोर दिया गया है। सनातन आस्था के सबसे बड़े समागम महाकुम्भ के लिए बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया गया है। आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को आवागमन में किसी तरह की परेशानी ना हो, इसको देखते हुए इस बार 200 सड़कों का निर्माण और विकास किया गया है। इन सड़कों को 3 लाख पौधों और एक लाख हॉर्टीकल्चर सैंपलिंग से सजाया गया है। कुल मिलाकर महाकुम्भ के दौरान जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आएंगे तो यहां की सड़कों और उनके सौंदर्यीकरण की मनमोहक छवि के साथ यादगार अनुभव लेकर वापस जाएंगे।

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