हिंदू
धर्म में कुंभ मेले को बहुत ही खास माना जाता है। कुंभ की भव्यता और मान्यता का
अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि
कुंभ में स्नान करने के लिए लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ देशभर से जुटती
है। इसका आयोजन सिर्फ प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही होता है। जिसके पीछे पौराणिक मान्यता
जुड़ी हुई है। चलिए जानते हैं इस बारे में।
महाकुंभ से जुड़ी पौराणिक
मान्यताएं
महाकुंभ की पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है
कथा के अनुसार,
एक बार राक्षसों और देवताओं के बीच
समुद्र मंथन हुआ
इस दौरान मंथन से निकले सभी रत्नों को आपस में बांटने का फैसला
हुआ
सभी रत्न को राक्षसों और देवताओं ने आपसी सहमति से बांट लिए
इस दौरान निकले अमृत के लिए दोनों पक्षों के बीच युद्ध छिड़ गया
असुरों से अमृत
को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने उसे अपने वाहन गरुड़ को दे दिया
असुरों ने जब
देखा कि अमृत गरुड़ से पास है,
तो इसे छीनने का प्रयास करने लगे
इस छीना-झपटी
में अमृत की कुछ बूंदें धरती की चार स्थानों पर गिरी
ये स्थान है, प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक
जहां-जहां यह
बूंदे गिरी थी वहीं पर 12 वर्षों के
अंतराल में कुंभ होता है
देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत पाने को लेकर 12 वर्षों तक लड़ाई चली थी
महाकुंभ
की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है, जोकि
13 जनवरी
2025 को
है। वहीं महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी
2025 को अंतिम स्नान के साथ कुंभ पर्व का समापन होगा। इस
दौरान शाही स्नान की तिथियां कुछ इस प्रकार रहने वाली हैं।
महाकुंभ पर्व 2025 शाही स्नान तिथियां
14
जनवरी 2025
- मकर संक्रांति
29
जनवरी 2025
- मौनी अमावस्या
3
फरवरी 2025
- बसंत पंचमी
12
फरवरी 2025
- माघी पूर्णिमा
26 फरवरी
2025 – महाशिवरात्रि
हिंदुओं के लिए कुंभ का विशेष महत्व
है। हर कुंभ के अवसर पर लाखों श्रद्धालु इस भव्य उत्सव में शामिल होने के लिए आते
हैं। वर्ष 2003
में हरिद्वार
में लगे कुंभ मेले में 10
मिलियन से
अधिक लोग शामिल हुए थे। कुंभ की सबसे बड़ी खासियत मेले में शामिल होने वाले
चमत्कारों से भरे साधु-संत जिनके दर्शन विरले ही होते हैं। महाकुंभ का सबसे बड़ा
महत्व ये है कि इसमें शामिल होने वाले लोगों को अलग ही तरह का एहसास होता है। माना
जाता है कि कुंभ के दौरान स्नान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है, जो
व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाती है।
राशियों के अनुसार कुंभ का आयोजन
जब
बृहस्पति ग्रह, वृषभ
राशि में हों और इस दौरान सूर्य देव मकर राशि में आते हैं, तो कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है
जब
बृहस्पति, कुंभ
राशि में हों और इस दौरान सूर्य देव मेष राशि में आते हैं, तो कुंभ का आयोजन हरिद्वार में होता है
सूर्य
और बृहस्पति जब सिंह राशि में हों तब महाकुंभ मेला नासिक में लगता है
जब
देवगुरु बृहस्पति सिंह राशि में हों और सूर्य मेष राशि में हों, तो कुंभ का मेला उज्जैन में लगता है
2025 के महाकुंभ में पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन होगा, जो विशेष रूप से शुभ समय में सम्पन्न होगा। यह
दिन श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय और फलदायी अवसर होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 को सुबह 5
बजकर 03 मिनट से शुरू होकर 14 जनवरी को रात 3 बजकर 56 मिनट तक रहेगी।
शाही स्नान के शुभ मुहुर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 6
बजकर 21 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 15 मिनट से 2
बजकर 57 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 5 बजकर 42 मिनट से 6
बजकर 09 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात 12 बजकर 03 मिनट से 12
बजकर 57 मिनट तक
प्रयागराज
में लगने वाले महाकुंभ मेले में स्नान का महत्व और बढ़
जाता है। यहां पवित्र
माने जाने वाली तीन नदियों गंगा, यमुना
और सरस्वती का संगम है। यही
कारण है कि प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ संगम में डुबकी लगाना और
जयादा विषेश महत्व रखता है। प्रयागराज महाकुंभ
में कल्पवास करने वाले भक्त हर दिन तीन बार स्नान करते हैं। इसके अलावा शाही स्नान आयोजित किया जाता है जिसमें में बड़ी संख्या के साधु संत स्नान
के लिए पहुंचते हैं। साधु संतों के साथ-साथ देश-विदेश से पहुंचेने वाले लाखों श्रद्धालु व पर्यटक संगम स्नान करके अपने पापों का नाश
करते हैं।
महाकुंभ मेला क्षेत्र में संगम नोज पर श्रद्धालुओं को शाम
के समय आकाश में यह अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। इसके अलावा, पर्यटन
विभाग मेला क्षेत्र में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, जल क्रीड़ा, हॉट एअर बैलून, लेजर लाइट शो जैसी गतिविधियां भी करवा रहा है। महाकुंभ की
शुरुआत और समापन के समय संगम नोज पर ड्रोन शो का आयोजन किया जाएगा। यह महाकुंभ के
यात्रियों व प्रयागराज वासियों के लिए एक नया और अनोखा अनुभव होगा। लगभग 2 हजार
ड्रोन प्रयाग महात्म्य और महाकुंभ की पौराणिक कथाओं का प्रदर्शन करेंगे। जिसमें
समुद्र मंथन और अमृत कलश निकलने के दृश्य का प्रदर्शन होगा। जबकि प्रयाग के
धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व को भी दर्शाया जाएगा। इस बार
राज्य सरकार की ओर से डिजिटल कुंभ के आयोजन की तैयारी की जा रही है। तमाम सुविधाओं
और सेवाओं को डिजिटल टेक्नोलॉजी से जोड़कर कुंभ मेले में आने वाले लोगों की यात्रा
को आसान बनाने की तैयारी की गई है।
डिजिटल महाकुंभ 2025
महाकुंभ मेला ऐप, एआई चैटबॉट, क्यूआर कोड से जानकारी मिलेगी
डिजिटल लॉस्ट एंड फाउंड सिस्टम कुंभ की तैयारियों में
शामिल किया गया हैं
पूरे मेला क्षेत्र की मैपिंग के लिए गूगल और प्रशासन के
बीच समझौता हुआ है
गूगल मैप के जरिए मंदिर, संगम तट और अन्य स्थानों को सुगम
बनाया गया है
इस बार का महाकुंभ कई मायनों में है
खास
इस
बार प्रयागराज में महाकुंभ का क्षेत्र 4,000 हेक्टेयर में बनाया गया है
साल
2019 में
हुए महाकुंभ के मुकाबले इसका क्षेत्रफल काफी बड़ा है
इस
बार तीन दिनों के लिए प्रयागराज की आबादी दुनिया के 41 देशों से ज़्यादा होगी
इन
तीन दिनों में करीब साढ़े छह करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने की उम्मीद है
इस
बार दुनिया के आठ छोटे देशों की कुल आबादी से ज़्यादा फ़ोर्स तैनात की जाएगी
इस
बार करीब 12 लाख
कल्पवासी प्रयागराज में जप-तप करेंगे
कुंभ
की तैयारियों पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि रेलवे इस आयोजन पर 5000
करोड़ रुपए ख़र्च कर रहा है और तीन हज़ार स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी। इस दौरान कुल 13,000 ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। साथ
ही यूपी रोडवेज़ भी लगभग 7000
बसों की सुविधा उपलब्ध कराने जा रहा है। महाकुंभ
के लिए एयर इंडिया ने प्रयागराज से दिल्ली और कोलकाता के लिए फ्लाइट्स की अनुमति
मांगी है। इससे महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को सहूलियत मिलेगी। अकासा और
एलाइंस जैसी विमानन कंपनियां पहले से ही प्रयागराज से उड़ान सेवा प्रदान कर रही
हैं। फिलहाल दिल्ली और मुंबई समेत आठ शहरों के लिए प्रयागराज से सीधी उड़ान है।
महाकुंभ के लिए पवन हंस कंपनी हेलिकॉप्टर सेवा भी शुरू करने जा रही है।
कुंभ
मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य
सेवाएं
श्रद्धालुओं
और साधु-संतों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पूरे मेला क्षेत्र में कई अस्पताल
तैयार किए गए हैं
अस्पतालों
में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है
सेंट्रल
हॉस्पिटल और मेदांता हॉस्पिटल के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं का खाका तैयार किया गया
है
सेंट्रल
हॉस्पिटल में आपात स्थितियों के लिए हर तरह की आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध
कराई जाएंगी
कुंभ
मेला क्षेत्र में सभी जरूरी मशीनें स्थापित की जा चुकी हैं
प्रत्येक
बारहवें वर्ष त्रिवेणी संगम पर आयोजित होने वाले पूर्ण कुंभ के बारे में पद्म
पुराण में माना गया है कि इस दौरान जो त्रिवेणी संगम पर स्नान करता है उसे मोक्ष
प्राप्त होता है। तीर्थों में संगम को सभी तीर्थों का अधिपति माना गया है। इस संगम
स्थल पर ही अमृत की बूंदें गिरी थी इसीलिए यहां स्नान का महत्व है। यहां स्नान
करने से शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती है। यहां पर लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान भी
करते हैं।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने 'मन की
बात' के 117वें
एपिसोड में महाकुंभ 2025 की
तैयारियों पर कहा कि, यह आयोजन केवल अपनी विशालता के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। लाखों संत, हजारों परंपराएं, और
सैकड़ों संप्रदाय इस आयोजन में भाग लेते हैं। यहां हर कोई समान है, न कोई बड़ा है, न कोई
छोटा। यह आयोजन भारतीय संस्कृति की 'अनेकता
में एकता' की भावना का सबसे बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसे दुनिया में और कहीं नहीं देखा जा सकता।
प्रयाग महाकुंभ मेला बहुत खास है। दूर-दूर से
पर्यटक और श्रद्धालु आकर, यहां की पवित्रता से मगन हो जाते हैं। कुम्भ मेले में
न केवल यहां के लोक कलाकार बल्कि अलग-अलग शहरों से भी लोग आकर अपनी कलाएं दिखाते
हैं। हिन्दू धर्म से जुड़े भारत का सबसे बड़ा
कुंभ मेला, हर 12 साल में चार बार आयोजित किया जाता है। इस मेले की मान्यता न
केवल भारत के हिन्दुओं में है बल्कि देश-विदेश के सैलानी भी इसकी भव्यता देखने आते
हैं।
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