07 January 2025

कुंभ की तैयारी...सियासत भारी! प्रयागराज में श्रद्धालुओं के लिए ऊंटों की सवारी, संगम घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

 

महाकुम्भ के शुभारंभ में भले ही कुछ दिन बाकी हों, लेकिन संगम समेत गंगा और यमुना के तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ अभी से ही उमड़ने लगी है। बड़ी तादाद में लोग अपने परिवार के साथ संगम स्नान के लिए हर रोज पहुंज रहे हैं। महाकुम्भ के चलते घाटों पर लगी सुविधाएं लोगों को खूब लुभा रही है। श्रद्धालु किला घाट से संगम नोज तक ऊंटों की सवारी का आनंद भी ले रहे हैं। राजस्थान के जैसलमेर से लाए गए ये ऊंट श्रद्धालुओं, खासकर बच्चों, के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इन ऊंटों को उनके मालिकों ने रामू, घनश्याम और राधेश्याम जैसे प्यारे नाम दिए हैं। सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम को 5:00 बजे तक फिलहाल ऊंट की सवारी कराई जा रही है।

 

ऊंट संचालक ने बताया कि ये ऊंट राजस्थान के जैसलमेर से लाए गए हैं और इन्हें विशेष रूप से प्रयागराज के महाकुम्भ के लिए लाया गया है। इन ऊंटों की कीमत 45 से 50 हजार रुपये के बीच है। ऊंट पर सवारी करने के लिए श्रद्धालुओं से 50 से 100 रुपये तक लिए जाते हैं। इन ऊंटों को आकर्षक तरीके से सजाया गया हैऊंटों की सवारी के लिए ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा भी उपलब्ध है। इन ऊंटों के गले और पीठ पर यूपीआई बारकोड का स्कैनर लगाया गया है, जिससे श्रद्धालु आसानी से भुगतान कर सकते हैं।

 

प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने में अब सिर्फ छह दिन बचे हैं। ऐसे में महाकुंभ को भव्य, दिव्य और स्वच्छ बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए संदेश को पूरा करने के लिए नगर निगम की तरफ से रथयात्रा निकालकर लोगों को स्वच्छता का संदेश देने की शुरुआत की गई। स्वच्छता का संदेश देने निकली रथयात्रा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। जहां कलाकारों द्वारा नुक्कड़ नाटक और स्वच्छता संगीत बैंड की प्रस्तुति की। सुलाकी चौराहे पर स्थानीय लोगों द्वारा स्वच्छता रथ का स्वागत किया गया। रामभवन चौराहे पर रथ यात्रा के समापन के साथ लोगों को स्वच्छता की शपथ दिलाई गई। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

 

महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन की तैयारियां बड़े पैमाने पर की जा रही हैं, जिसमें स्वास्थ्य विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने संभावित स्वास्थ्य चुनौतियों, विशेष रूप से एचएमपीवी वायरस से निपटने के लिए व्यापक व्यवस्था की है। अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्वास्थ्य प्रबंधन से संबंधित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। सभी डॉक्टरों और परामर्शदाताओं के बीच निरंतर संवाद और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे पूरी तरह सुसज्जित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से प्राप्त दिशानिर्देशों का उचित रूप से पालन किया जाएगा। यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य विभाग सतर्क है और किसी भी असुविधा से बचने के लिए तैयार है।

 

महाकुंभ मेले का सबसे बड़ा 'यज्ञ कुंड' तैयार किया जा रहा है, यहां 1100 पुजारी गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा दिलाने के लिए 'महायज्ञ' करेंगे। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिविर में आयोजित किए जा रहे इस मंडप में 324 'कुंड' और 9 'शिखर' हैं। यह यज्ञ एक महीने तक चलेगा। प्रतिदिन 9 घंटे तक यज्ञ में आहूति दी जाएगी।

प्रयागराज में कई लोग अलग-अलग तरीकों से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें ऋषि-मुनि अपने अनोखे रूप और उपाधियों से लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। वहीं एक महिला कलाकार ने अमृत कलश की पेंटिंग बनाई है, जो त्रिवेणी संगम महाकुंभ का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठानिक हिस्सा बना हुआ है। कलाकार प्रतिभा पांडे ने एक ऐसी तकनीक के माध्यम से कलश की पेंटिंग बनाई है, जिसमें केवल पाठ का उपयोग किया गया है। पांडे ने "राम" शब्द को बार-बार उकेर कर कलश बनाया है। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने इस तरह की कलाकृति बनाई है। पांडे ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी इसी तरह की पाठ्य कलाकृति प्रदर्शित की थी।

 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित करने की मांग की है। ममता ने कहा कि हमने गंगासागर के लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन केंद्र सरकार इसे राष्ट्रीय मेला बनाने की हमारी मांग पर ध्यान नहीं देती। कुंभ मेला के लिए केंद्र सरकार हजारों करोड़ रुपये देती है, जबकि गंगासागर मेले के लिए मदद नहीं मिल रही है।

 

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान से संत समाज काफी आक्रोश में है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि गंगा सरकार में साफ सफाई की व्यवस्था नहीं है, राज्य सरकार को स्वक्षता पर ध्यान देने की जरूरत है। तभी कोई साधु- संत वहां जाएगा।

प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ मेला दुनिया के सबसे प्रतीक्षित आध्यात्मिक आयोजनों में से एक है। इस मेले में दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह मेला दानवों पर देवताओं की जीत का प्रतीक है।  

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