संगम नगरी प्रयागराज में बुधवार की
सुबह एक साथ तीन अखाड़ों की छावनी प्रवेश यात्रा महाकुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश की।
सात सन्यासी अखाड़ों के बाद बुधवार को शहर के केपी कॉलेज मैदान से निर्वाणी अनी, निर्मोही अनी और दिगम्बर अनी अखाड़े
छावनी प्रवेश यात्रा राजसी अंदाज में महाकुंभ मेला क्षेत्र में पहुंची। अभी तक
सन्यासियों के सातों अखाड़ों ने अलग-अलग दिन छावनी प्रवेश यात्रा के जरिये मेला
क्षेत्र में बने शिविर में प्रवेश किया है।
शैव सन्यासी परंपरा के सात अखाड़ों के
पेशवाई छावनी प्रवेश यात्रा के बाद बुधवार को वैष्णव सम्प्रदाय के तीनों अनी
अखाड़ों की छावनी प्रवेश यात्रा पेशवाई एक साथ निकाली गई। महाकुंभ को लेकर सभी
अखाड़े छावनी प्रवेश कर रहे हैं। शैव परंपरा के सभी सात अखाड़ों का महाकुंभ छावनी
में प्रवेश हो चुका है। बुधवार को वैष्णव परंपरा के तीनों अनी अखाड़े हाथी घोड़े
ऊंट और बैंड बाजे की धुनों के बीच महाकुंभ में छावनी प्रवेश शोभा यात्रा बड़े ही
धूमधाम से निकाली गई।
निर्मोही अनी अखाड़े के राष्ट्रीय
अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने बताया कि तीनों अनी अखाड़ों की पेशवाई एक साथ निकाले
जाने की परंपरा है। बुधवार को दिन में 11 बजे के पी कॉलेज मैदान से तीनों अनी
अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा शुरू हुई। शहर के अलग-अलग इलाकों से होते हुए मेला
क्षेत्र के काली सड़क से त्रिवेणी रोड से होते हुए गंगा पर बने पीपा पुल को पारकर अखाड़े
मेला क्षेत्र में प्रवेश की। इस यात्रा में अनी अखाड़ों से जुड़े देश भर के संत महंत
छावनी प्रवेश यात्रा में शामिल हुए।
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास, निर्यात प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने
प्रयागराज कुंभ क्षेत्र का दौरा किया और तैयारियों का जायजा लिया। साथ ही कुमार
विश्वास के राम कथा में भी शामिल हुए। नंद गोपाल नंदी ने कहा कि इस बार 13 जनवरी
से 26 फरवरी तक पूरी दुनिया से 40- 50 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
महाकुंभ 2025 की सुरक्षा व्यवस्था में हॉर्स पावर यानी अश्व-शक्ति को भी लगाया गया है। ये घोड़े आम नहीं,
वेल ट्रेंड हैं। इशारों पर कदमताल करते हुए
रास्ता बनाते हैं। जमीन के साथ-साथ पानी में भी ये घोड़े दौड़ सकते हैं। मेले में
क्राउड कंट्रोल के लिए यूपी की ट्रेंड माउंटेड पुलिस इन घोड़ों के साथ तैनात है। 130 घोड़ों के साथ जवान जब अलग-अलग ग्रुप में
पेट्रोलिंग पर निकलते हैं, तो लोग इन्हें देखते रह जाते हैं। घुड़सवारों के दस्ते में भारतीय
ब्रीड के अलावा अमेरिकन और इंग्लैंड ब्रीड के घोड़े भी शामिल हैं। इनकी कीमत 50 लाख से ढाई करोड़ तक है। सभी घोड़ों की गर्दन
में एक स्पेशल डिवाइस लगी है। कुंभ क्षेत्र में माउंटेड पुलिस कैंप के पास ही
घोड़ों के लिए अस्तबल है।
महाकुंभ में नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया को देखना किसी चमत्कार से कम नहीं होता। कड़कड़ाती ठंड में भी निर्वस्त्र नागा साधुओं को देखना भी एक तरह से चमत्कार ही है। प्रयागराज में कुंभ के दौरान ठंड आम लोगों की चिंता का विषय भले ही हो, लेकिन नागा संन्यासी के लिए इसका कोई अर्थ नहीं है। नागा साधु हठ योग के द्वारा अपने शरीर को इतना कठोर बना लेते हैं कि, उन्हें न ठंड परेशान करती है न गर्मी। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे नागा साधु के बारे में बताने वाले हैं, जो ठंड के मौसम में भी ठंडे पानी से नहा रहे हैं। ये नागा महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। हठ योग के द्वारा इन्होंने अपनी इंद्रियों को वश में कर लिया है। प्रमोद गिरी महाराज सुबह 4 बजे ठंडे पानी से स्नान करते हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात है कि प्रति दिन घड़ों की संख्या बढ़ती रहती है। प्रमोद गिरी जी ने 51 घड़े पानी से नहाना शुरू किया था, जो बढ़कर 108 घड़े पानी के स्रान तक जाएगा। 7 जनवरी की सुबह प्रमोद जी ने 61 घड़े पानी से स्नान किया था। प्रमोद गिरी जी कहते हैं, कि हमारे गुरु द्वारा हमें यह दीक्षा दी गई है, बिना किसी चाह के मानव कल्याण के लिए हम यह क्रिया कर रहे हैं। गिरी जी का कहना है कि, कठोर हठ योग के द्वारा अपने शरीर को मजबूत बनाकर हम सनातन धर्म के उत्थान के लिए कार्य करते हैं। नागा साधु का कहना है कि जब भी सनातन धर्म को हमारी आवश्यकता होगी हम अपने सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहेंगे। प्रयागराज में राम घाट पर अभी से ही बड़ी संख्या में भक्त पवित्र नदी गंगा को समर्पित 'संध्या आरती' में शामिल हो रहे हैं।
प्रयागराज में अखाड़ा प्रवेश हो चुका है। अखाड़ों की धर्म ध्वजा
स्थापित हो गई है। साधु संत महाकुंभ पहुंच चुके हैं। भव्य दिव्य तैयारी चल रही है।
शाही स्नान के लिए जमावड़ा हो चुका है। देश ही नहीं पूरी दुनिया प्रयागराज महाकुंभ
के दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध है। देश दुनिया से श्रद्धालु भी पहुंच रहे हैं.. महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे
बड़ा सम्मेलन है। पूरे ब्रह्मांड पर कोई भी ऐसा आयोजन नहीं होता है जहां एक दिन
में एक जगह पर 5 करोड़ लोग जुटें। 45 दिन के अंदर 45 करोड़ लोगों का जमावड़ा पूरे
विश्व में कहीं नहीं होता है। महाकुंभ सनातन आस्था का प्रतीक है। पूरी दुनिया महाकुंभ
को देख रही है।
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