साल 2025
के
आगाज के साथ प्रयागराज में लगने वाले देश दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ
की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है। महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा
है और विभिन्न अखाड़ों की भव्य पेशवाई भी शुरू हो चुकी है। साधु-संतों द्वारा
तीर्थराज प्रयागराज में डेरा डालने के बाद आस्था की संगम नगरी अपने आध्यमिक चरम पर
है। महाकुंभ
सुरक्षा के चार डिजिटल दरवाजे की चर्चा लोग खुब कर रहे हैं। यह क्यूआर कोड स्कैन
करते ही खुल जाएंगे। एक्स,
फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के रास्ते
सुरक्षित महाकुंभ की तैयारी इस बार है। इसके जरिए श्रद्धालुओं को सुरक्षा संबंधी
पल पल का अपडेट मिलेगा।
महाकुंभ में डिजिटल दरवाजा
महाकुंभ
में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बेहद पुख्ता इंतजाम सरकार ने किए हैं
महाकुंभ
में डिजिटल तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है
श्रद्धालुओं
को महाकुंभ के दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से पल पल का अपडेट मिलेगा
श्रद्धालु
अपनी बात चंद सकेंड में बड़े पुलिस अफसरों से लेकर पूरे महकमे तक पहुंचा पाएंगे
महाकुंभ
पुलिस ने सुरक्षा के चार ऐसे डिजिटल दरवाजे बनाए हैं, जिनके माध्यम
से यह सबकुछ पल भर में किया जा सकेगा
आपको
क्यूआर कोड स्कैन करना होगा, ऐसा करते ही श्रद्धालु तुरंत सुरक्षा तंत्र के साथ
जुड़ जाएंगे
यहां चार
प्रकार के ऐसे क्यूआर कोड जारी किए गए हैं, जिन्हें
स्कैन करते ही महाकुंभ सुरक्षा के चार डिजिटल दरवाजे खुल जाएंगे
ये दरवाजे
एक्स,
फेसबुक, इंस्टाग्राम
और यूट्यूब होंगे, इनके रास्ते सुरक्षित महाकुंभ की पूरी तैयारी योजनाबद्ध तरीके
से कर ली गई है
मुख्यमंत्री
योगी के निर्देश पर महाकुंभ पुलिस ने चार ऐसे क्यूआर कोड तैयार किए हैं
गंगा-जमुना के पवित्र संगम पर लाखों श्रद्धालुओं
के डुबकी लगाने के साथ सुरक्षा सुनिश्चित करना इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य है। जल
पुलिस, एनडीआरएफ और आपदा प्रबंधन विभाग के सहयोग से ये सुनिश्चित किया जा रहा
है कि श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक अनुभव लें,
बल्कि सुरक्षित भी रहें। नाविकों को विशेष
प्रशिक्षण देकर सुरक्षा को अभूतपूर्व स्तर पर ले जाने की तैयारी
महाकुंभ
को गंदगीमुक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक थाली-एक थैला अभियान
शुरू किया है। संघ का इरादा देशभर से स्टील की 21 लाख थालियां और कपड़े के
थैले बांटकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने का है। अभी तक जुटाई
गईं 15 लाख थालियां और थैले यहां पहुंच चुके हैं। संतों, समाजसेवी संस्थाओं और
कल्पवासियों को इनका वितरण भी शुरू कर दिया गया है।
संघ
का उद्देश्य है कि 13 जनवरी को महाकुंभ का शुभारंभ होने से पूर्व विभिन्न समाजसेवी
संस्थाओं, संतों-महंतों तक पर्याप्त थाली और थैले पहुंचा दिए जाएं, ताकि श्रद्धालुओं को
डिस्पोजल बर्तनों में भोजन नहीं करना पड़े। इससे गंदगी नहीं फैलेगी।
महंत रविंद्र पुरी ने कुंभ मेला और गंगा के महत्व पर प्रकाश
डालते हुए कहा कि हमारा मेला सुंदर, स्वच्छ
और भव्य होना चाहिए। यह पूरी दुनिया को दिखाता है कि सनातन संस्कृति कितनी पवित्र
है। हम चाहते हैं कि यह मेला हर किसी के लिए सुख और शांति लेकर आए।
महाकुंभ मेले में
मुस्लिमों के प्रवेश और दुकानें लगाने को लेकर बयानबाजी भी तेज हो गई है। मौलाना
शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने दावा किया है कि महाकुंभ का मेला वक्फ बोर्ड की 55
बीघा जमीन पर हो रहा है। इस बयान के बाद विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता
विनोद बंसल ने कहा कि 'जैसे जैसे महाकुंभ की तिथि की डेट
नजदीक आ रही है वैसे-वैसे नमाजवादी पार्टी और नमाजवादी गैंग के पैरों तरे जमीन
निकली जा रही है। जब इस्लाम नहीं था तबसे प्रयागराज की धरती पर महाकुंभ का आयोजन
हो रहा है, ऐसे बयानों से वक्फ बोर्ड की भी कलई
खुल गई है। विश्व के सबसे बड़े महाकुम्भ पर भी उनकी गिद्ध दृष्टि लगी हुई है'।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के दावे पर सतुआ बाबा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, कुंभ आज से
नहीं अनादि काल से चला आ रहा है। जब मौलाना के पूर्वज पैदा भी नहीं हुए थे, उससे
भी पहले से ये हिन्दुओं की पवित्र भूमी रही है। महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर 19 में
जगतगुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का विशाल शिविर और हवनकुंड निर्माण का कार्य
जोरो पर है। यह विशाल यज्ञशाला, अद्भुत है इसका
स्वरूप लोगों को काफी ज्यादा आकर्षित कर रहा है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
प्रयागराज की पावन धरती पर सनातन धर्मियों को धर्मादेश देंगे। शंकराचार्य
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिविर में 10 जनवरी,
2025 से धर्म संसद का भी आयोजन होगा।
कुंभ में अलग-अलग अखाड़ों और परंपराओं से जुड़े साधु अपने साथ ज्ञान की
अलग-अलग धाराएं भी लेकर आते हैं। इनमें कई साधु अपने अलग अंदाज की वजह से लोगों के
आकर्षण का केंद्र भी बन जाते हैं। इन्हीं में से एक हैं 'छोटू बाबा' असम की कामाख्या पीठ से आए 57 साल के गंगापुरी महाराज महज 3 फुट और 8 इंच के हैं। जिसकी वजह से
श्रद्धालु इन्हें 'छोटू बाबा' के नाम से भी जानते हैं।
बाबा की एक खासियत और है, उनका दावा है कि वे 32 सालों से नहाए नहीं हैं। पूछने
पर बाबा बताते हैं कि उन्होंने एक संकल्प ले रखा है। जब तक वह संकल्प पूरा नहीं
होता, वे स्नान नहीं करेंगे। संकल्प पूरा होने पर वे सबसे पहले उज्जैन
से होकर गुजरने वाली क्षिप्रा नदी में स्नान करेंगे। उनका कहना है कि वे महाकुंभ
में आध्यात्म की धूनी रमाकर साधना करेंगे और मां गंगा-यमुना के संगम को निहारेंगे
लेकिन संकल्प की वजह से स्नान नहीं करेंगे।
छोटू
बाबा का मानना है कि तन की शुद्धता से ज्यादा जरूरी मन की शुद्धता है। जब तक आप
आंतरिक रूप से शुद्ध नहीं होंगे, तब तक बाहरी काया को चमकाने का कोई फायदा नहीं है। छोटू बाबा
जूना अखाड़े के नागा संत हैं। जूना अखाड़े की नागा पीठ से जुड़े हुए हैं। लोगों
में काफी लोकप्रिय संत हैं। जब सड़क से गुजरते हैं तो उनके दर्शनों और साथ में
फोटो खिंचवाने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती है। महाकुंभ में भी यही नजारा देखने
को मिल रहा है।
No comments:
Post a Comment