उत्तर प्रदेश के
प्रयागराज में महाकुंभ-2025
का आगाज होने में महज
कुछ ही दिन और रह गए हैं। देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से सनातन की इस परंपरा
में आस्था रखने वालों का त्रिवेणी के संगम पर खूबसूरत जमघट लगेगा। यह वह हुजूम है
जो एक साथ एक ही एक समय में नदी की धारा में डुबकी लगाएंगे और हर डुबकी के साथ
होने वाला हर-हर गंगे का उद्घोष सनातन एकता का संचार करेगा। ग्रहों और राशियों के विशेष योग में लगने वाला महाकुंभ
पर्व इसी विश्वास को बल देता है कि गंगा माता हमारे सारे पाप धुल देती हैं। यह
विश्वास भी उस पौराणिक कथा के कारण आता है जो कहती है कि गंगा में अमृत की बूंदे
मिली हुई है। अमृत वह दैवीय तरल है जो अमर कर देता है। सिर्फ अमर ही नहीं, यह जन्म-मृत्यु का चक्र तोड़
देता है। थोड़ी मात्रा गंगा नदी में मिल जाने का प्रभाव यह है कि गंगा जल स्नान
अमरता न भी दे तो कम से कम पापों को धो दे और मनुष्य नवजीवन का अनुभव कर सके।
पुराणों
में महाकुंभ स्नान का महत्व
ऋषि
वेद व्यास ने अलग-अलग पुराणों में गंगा स्नान के महत्व बताए हैं
भविष्य
पुराण कहता है कि गंगा स्नान पापों को नष्ट कर देता है
ब्रह्म
पुराण के अनुसार कुंभ में गंगा स्नान से अश्वमेध यज्ञ जैसा फल मिलता है
जब आप
कुंभ में गंगा स्नान करते है तो आप अपने पापों की बलि दे रहे होते हैं
अग्नि
पुराण में कुंभ स्नान को गोदान जैसा पवित्र बताया गया है
स्कंद
पुराण में कुंभ के दौरान स्नान को इच्छा पूर्ति और शुभ फल पाने का जरिया बताया गया
है
कूर्म
पुराण कहता है कि कुंभ स्नान से पाप नष्ट होते हैं
कूर्म
पुराण के अनुसार आप यह संकल्प भी लें कि अब कोई पाप नहीं करेंगे
इस
तरह का प्रण लेने और संकल्प करने से पुराने पाप कटते हैं और पुण्यों में वृद्धि
होती है
स्कंद
पुराण कहता है कि माघ मास में गंगा में स्नान करने वाले व्यक्ति के पितर
युगों-युगों तक स्वर्ग में वास करते हैं
पद्म
पुराण कहता है कि, जो धर्मात्मा प्रयाग, पुष्कर और कुरुक्षेत्र में
स्नान करता है, वह परम धाम को प्राप्त करता
है
गरुड़
पुराण में कहा गया है कि, हजारों अग्निष्टोम और
सैकड़ों वाजपेय यज्ञ भी कुंभ स्नान के सोलहवें भाग के बराबर नहीं हैं
महाभारत
“वनपर्व” में बताया गया है कि यज्ञ
तीनों लोकों को शुद्ध करता है
तीर्थ
में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और व्यक्ति पूरी तरह शुद्ध
हो जाता है
ब्रह्मवैवर्त
पुराण कहता है कि, माघ मास में प्रयाग में
स्नान करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है और उसके पितर भी प्रसन्न
होते हैं
अग्नि
पुराण में दर्ज है कि, कुंभ में स्नान करने से
व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है, और वह शुभ कर्मों की ओर अग्रसर
होता है
श्रीमद्भागवत
पुराण में गंगा स्नान का महत्व बताते हुए कहा गया है कि, पवित्र समय में गंगा के
तीर्थ पर स्नान करने वाला व्यक्ति पुण्य प्राप्त कर वैकुण्ठ धाम को जाता है
विष्णु
पुराण में भी कहा गया है कि, कुंभ में स्नान अत्यंत
पुण्यदायक है, जिससे व्यक्ति सभी पापों से
मुक्त होकर विष्णु लोक को प्राप्त करता है
महाकुंभ-2025
महज एक
धार्मिक आयोजन नहीं है बल्की यह लोकजीवन में
रचे-बसे लोगों का एक समय पर, एक स्थान पर एकजुट होने की परंपरा का निर्वहन है। यह
हमारी संस्कृति का हस्ताक्षर है, जो दान की परंपरा को सबसे ऊपर मानती है। जहां प्रणाम और
आशीर्वाद एक साथ ही फलते-फूलते हैं। कुंभ आने वाली हर पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी से
मिलने वाली विरासत है, जो वसुधैव कुटुंबकम् के मंत्र को चरितार्थ करती है। अलग-अलग
समुदायों, वर्गों में बंट रहे समाज को फिर से एक हो जाने के लिए प्रेरित भी
करता है।
कुंभ क्षेत्र के बाहर शहर को भव्य स्वरूप देने के लिए
सड़कों, चौराहों से लेकर शहर की दीवारों तक को कुंभ की पौराणिकता में
रंगने की कवायद चल रही है। महाकुंभ के पहले कुंभ नगरी प्रयागराज सज रही है, संवर रही है। सड़क, चौराहे और दीवारों के बाद
अब बारी है शहर के उन प्रमुख मार्गों की जहां महाकुंभ आने वाले आगंतुकों का स्वागत
किया जाएगा। इसके लिए शहर के अलग- अलग मार्गों पर विशाल गेट का निर्माण किया गया
है जिसका जायजा लिया हमारे संवाददाता ने।
योगी
सरकार प्रयागराज में होने जा रहे ऐतिहासिक महाकुंभ 2025 को भव्य, दिव्य, सुरक्षित और सुगम बनाने के
लिए दिन रात काम कर रही है। महाकुंभ में श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य का भी पूरा
ध्यान रखा जा रहा है। मेला प्रशासन द्वारा महाकुंभ मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं
एवं स्नानार्थियों के लिए नेत्र कुंभ की स्थापना भी की जा रही है। 9 करोड़ से अधिक धनराशि से
स्थापित होने वाला यह नेत्र कुंभ श्रद्धालुओं को एक अस्थाई नेत्र देखभाल सुविधा
प्रदान करेगा, जहां मेले के दौरान श्रद्धालुओं की दृष्टि सुधार, मोतियाबिंद सर्जरी और चश्मे
का वितरण जैसी सेवाएं प्रदान की जाएंगी। नेत्र कुंभ के लिए एक बड़ी केंद्रीय इकाई
मुख्य मेला क्षेत्र में स्थापित की गई है जो प्राथमिक नेत्र देखभाल केंद्र के रूप
में कार्य कर रही है।
महाकुंभ
मेला के नजदीक आते ही प्रयागराज में आध्यात्मिक उत्साह और भक्ति का माहौल देखते बन
रहा है। आयोजन
की तैयारी में,
विभिन्न अखाड़ों ने महाकुंभ शिविर में प्रवेश करने
से पहले एक भव्य शोभा यात्रा निकाली। जुलूस में प्रमुख अखाड़ों में से एक निरंजनी
अखाड़ा भी शामिल हुआ। साध्वी निरंजन ज्योति भी जुलूस का हिस्सा थीं। स्वागत मार्ग
पर भारी भीड़ के साथ श्रद्धेय साधुओं की एक झलक पाने के लिए लोगों में काफा उत्साह
नजर आया। उत्सव के प्रदर्शन में फूलों की वर्षा की गई। इस दौरान पूर्व केंद्रीय
मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोगों से महाकुंभ मेले में आने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि
"आज पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी इस महाकुंभ क्षेत्र
में प्रवेश कर रहा है यह भारत की विशिष्टता है। सनातन धर्म वह है जो सभी को जोड़ता
है। यह महाकुंभ अधिक भव्य और दिव्य होगा। मैं देश के लोगों से अपील करती हूं कि वे
आएं और इस क्षण के साक्षी बनें।"
प्रयागराज
महाकुंभ में लोगों के स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस बार कुंभ को हर तरह
से सुसज्जित और व्यवस्थित किया गया है। महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं
के आने की संभावना है। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग प्रयागराज में प्रमुख स्थानों
पर 20 छोटे मंच स्थापित करेगा, जिससे पर्यटक, श्रद्धालु और स्थानीय लोग 45 दिनों तक देश की विविध
सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कर सकेंगे।
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