14 November 2021

हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम अब कमलापति रेलवे स्टेशन- जानिए रानी कमलापति का गौरवपूर्ण इतिहास और विरासत

 भोपाल में देश के पहले वर्ल्ड क्लास हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम अब कमलापति रेलवे स्टेशन हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को नवनिर्मित रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करेंगे. राज्य के परिवहन विभाग ने स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था. रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम काफी चर्चा में है. ऐसे में रानी कमलापति का इतिहास हम सब को जानने की जरुरत है. तो चलिए हम आपको रानी कमलापति की वीरता और शौर्य की गाथा आपको बताते हैं. 

16वीं सदी में सलकनपुर जिला सीहोर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया थे. उनके शासन काल में वहां की प्रजा बहुत खुश और समपन्न थी. उनके यहां एक खूबसूरत कन्या का जन्म हुआ. वह बचपन से ही कमल की तरह बहुत सुंदर थी. उसकी सुंदरता को देखते हुए उसका नाम कमलावति रखा गया. वह बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और साहसी थी और शिक्षा, घुड़सवारी, मलयुद्ध, तीर कमान चलाने में उन्हें महारत हासिल थी. वह अनेक कलाओं से परांगत होकर राजकुमारी कुशल सेनापति बनी. वह अपने पिता के सैन्य बल के साथ और अपनी महिला साथी दल के साथ युद्धों में शत्रुओं से लोहा लेती थी.
 

रानी धीरे धीरे बड़ी होने लगी और उनकी खूबसूरती की चर्चा चारों दिशाओं में होने लगी. राजा सूराज सिंह शाह के पुत्र निजामशाह से रानी कमलावती का विवाह हुआ. अफगानों का सरदार दोस्त मोहम्मद खान था. मोहम्मदखान अब सम्पूर्ण भोपाल की रियासत पर कब्जा करना चाहता था. उसने रानी कमलावती को अपने हरम में शामिल हो जाए और मुझसे शादी करने का प्रस्ताव रखा. 

 


मोहम्मद खान के इस नपाक इरादे को देखते हुए रानी कमलावती का 14 वर्षीय बेटा नवल शाह अपने 100 लड़ाको के साथ लालघाटी में युद्ध करने चला गया और इस घमासान युद्ध में दोस्त मोहम्मद खान ने नवल शाह को मार दिया. इस स्थान पर इतना खून बहा कि यहाँ की जमीन लाल हो गई.


 

रानी कमलावती ने महल की समस्त धन दौलत जेवरात आभूषण इसमें गिरवा दिया और स्वयं इसमें खूदकर जलसमाधि ले ली. 

 

मोहम्मद खान जब अपनी सेना को साथ लेकर लालघाटी से इस किले तक पहुँचा उतनी देर में सब कुछ खत्म हो गया था. मोहम्मद खान को न रानी कमलावती मिली और न ही धन दौलत.

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